Rajasthan: जब कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में अधिकांश मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनती है तो फिर राजस्थान में हिजाब को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।
Rajasthan: जब कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में अधिकांश मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनती है तो फिर राजस्थान में हिजाब को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।

Rajasthan: जब कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में अधिकांश मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनती है तो फिर राजस्थान में हिजाब को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।

जब कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में अधिकांश मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनती है तो फिर राजस्थान में हिजाब को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।
हिजाब का मुद्दा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की स्कूलों में ही।
चिंता, मुस्लिम बच्चियों की पढ़ाई की होनी चाहिए।
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29 जनवरी को न्यूज 18 राजस्थान न्यूज़ चैनल पर रात 8 बजे लाइव डिबेट के प्रोग्राम में मेरी भी भागीदारी रही। यह डिबेट 29 जनवरी को ही जयपुर में सुभाष नगर थाने पर हुए हंगामे को लेकर थी। सैकड़ों मुस्लिम छात्राओं ने आरोप लगाया कि गंगा पोल के सरकारी स्कूल में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर भाजपा के विधायक बाल मुकुंद आचार्य ने एतराज जताया है। डिबेट का संचालन कर रहे हेमंत कुमार ने प्रोग्राम के दौरान जयपुर शहर से ही कांग्रेस विधायक रफीक खान और अमीन कागजी के बयान भी सुनाए। दोनों विधायकों का कहना रहा कि मुस्लिम छात्राओं को सरकारी स्कूलों में हिजाब पहनने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि संविधान ने मुसलमानों को अपने धर्म के अनुरूप रहने की आजादी दी है। इस डिबेट में भाजपा की डॉ. निमिषा, कांग्रेस के भरत मेघवाल व मुस्लिम समुदाय के स्कॉलर ने अपने विचार रखे। मेरा कहना रहा कि राजस्थान में हिजाब को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। चिंता इस बात की होनी चाहिए कि मुस्लिम बच्चियां स्कूल के बाद उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करें। पिछड़ेपन के कारण लाखों मुस्लिम बच्चियां पढ़ाई से वंचित हैं। जो मुस्लिम बच्चियां पढ़ाई कर रही है, उनका ध्यान हिजाब के बजाए स्कूल के ड्रेस कोड पर है। यही वजह है कि कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाली अधिकांश मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनती। हो सकता है कि कुछ छात्राएं घर से स्कूल तक हिजाब पहनकर आती हो, लेकिन जब वे स्कूल परिसर में प्रवेश करती है, तब हिजाब को उतार देत है। ऐसी मुस्लिम छात्राओं को अपने स्कूल की ड्रेस कोड पर कोई ऐतराज नहीं है। कांग्रेस विधायक रफीक खान और अमीन कागजी मुस्लिम बाहुल्य गंगा पोल के सरकारी स्कूल की मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब की वकालत करते हैं, लेकिन कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाली मुस्लिम छात्राओं के हिजाब न पहनने पर कोई ऐतराज नहीं करते। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों के मुकाबले में राजस्थान में मुस्लिम छात्राओं की पढ़ाई का प्रतिशत ज्यादा है, लेकिन इसे और बढ़ाने की जरूरत है। अच्छा हो कि हिजाब के मुद्दे को उछालने के बजाए मुस्लिम बच्चियों की पढ़ाई पर जोर देना चाहिए। जो मुस्लिम माता पिता अपनी बच्चियां को कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। उनका सपना है कि उनकी बच्चियां आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि बने। कर्नाटक में जब हिजाब को लेकर विवाद हुआ तो यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। तब यह बात सामने आई कि हिजाब पहनना धर्म से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। यही वजह है कि अनेक मुस्लिम छात्राएं स्कूल कॉलेज में हिजाब नहीं पहनती है। हिजाब पहनना एक परंपरा हो सकती है। यदि कोई मुस्लिम छात्र इस परंपरा का निर्वाह करना चाहती है तो यह उसकी मर्जी है।
Report By S.P.MITTAL