Rajasthan: भाजपा के पास महेंद्र जीत सिंह मालवीय है तो कांग्रेस के पास राहुल कस्वा, प्रहलाद गुंजल जैसे भाजपाई।
Rajasthan: भाजपा के पास महेंद्र जीत सिंह मालवीय है तो कांग्रेस के पास राहुल कस्वा, प्रहलाद गुंजल जैसे भाजपाई।

Rajasthan: भाजपा के पास महेंद्र जीत सिंह मालवीय है तो कांग्रेस के पास राहुल कस्वा, प्रहलाद गुंजल जैसे भाजपाई।

Rajasthan: भाजपा के पास महेंद्र जीत सिंह मालवीय है तो कांग्रेस के पास राहुल कस्वा, प्रहलाद गुंजल जैसे भाजपाई।

कोटा में गुंजल के समर्थकों ने नारे लगाए, बिड़ला तेरी खैर नहीं।

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कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को भाजपा में शामिल कर भाजपा ने जहां कांग्रेस को झटका दिया, वहीं अब कांग्रेस ने राहुल कस्वां और प्रहलाद गुंजल जैसे मजबूत भाजपा नेताओं को शामिल कर भाजपा को झटका दिया है। भाजपा ने तो कांग्रेस के एक नेता मालवीय को डूंगरपुर बांसवाड़ा से उम्मीदवार बनाया, लेकिन कांग्रेस ने भाजपा के दो नेताओं को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना रही है। चूरू से भाजपा के मौजूदा सांसद राहुल कस्वा को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जबकि प्रहलाद गुंजल को कोटा से उम्मीदवार घोषित किया जा रहा है। गुंजल ने 21 मार्च को कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। भाजपा भले ही राजस्थान की सभी 25 सीटें जीतने का दावा करे, लेकिन चूरू में राहुल कस्वां और कोटा में प्रहलाद गुंजल लोकप्रिय नेता है। इन दोनों की वजह से भाजपा को कड़ी चुनौती मिलेगी।
बिड़ला तेरी खैर नहीं:
21 मार्च को कोटा में प्रहलाद गुंजल की उपस्थिति में कोटा के मौजूदा भाजपा सांसद और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला के खिलाफ जमकर नारे लगे। गुंजल समर्थक भाजपाइयों ने बिड़ला तेरी खैर नहीं के नारे लगाए। खुद प्रहलाद गुंजल ने भी कहा कि लोकसभा चुनाव में बिड़ला को हैसियत का पता चल जाएगा। बिड़ला भले ही देश के प्रोटोकॉल में चौथे नंबर पर आते हो, लेकिन कोटा में जमीनी हकीकत अलग है। गुंजल ने कहा कि वे चालीस वर्ष तक भाजपा में रहे। उन्होंने मात्र दो रुपए देकर 1984 में भाजपा की सदस्यता ली थी। तब भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी के साथ साथ सिकंदर वक्त जैसे नेता थे। लेकिन आज भाजपा बदल गई है। मेरे जैसे कार्यकर्ता का भी सम्मान नहीं है। मालूम हो कि गुंजल ने हाल ही में विधानसभा का चुनाव भाजपा उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, लेकिन मामूली मतों से गुंजल, शांति धारीवाल से हार गए। गुंजल को भाजपा की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है। चूंकि अब भाजपा में राजे भी प्रभावहीन हो गई है, इसलिए उनके समर्थक भी कांग्रेस में जाने को स्वतंत्र है। कोटा में गुंजल के प्रभाव को देखते हुए ही कांग्रेस गुंजल को उम्मीदवार बनाने जा रही है। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर गुंजल भाजपा के ओम बिड़ला को कड़ी टक्कर देंगे, क्योंकि कोटा संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या परिणाम को प्रभावित करने वाली है। प्रहलाद गुंजल की वजह से कोटा का लोकसभा चुनाव रोचक हो गया है।
Report By : S.P.MITTAL