Rajasthan: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?
Rajasthan: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?

Rajasthan: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?

गोदी मीडिया पर अशोक गहलोत को एक्सपोज करने के लिए दैनिक भास्कर को बधाई।

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?

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कांग्रेस के खाते फ्रीज करने के विरोध में 22 मार्च को जयपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में गहलोत ने कहा कि देश में क्या क्या हो रहा है, यह गोदी मीडिया को नजर नहीं आता। इस पर पत्रकारों ने गोदी मीडिया के शब्द पर गहलोत से स्थिति साफ करने को कहा। लेकिन गहलोत कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुई इस घटना को दैनिक भास्कर ने 23 मार्च के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस खबर में भास्कर में गहलोत को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया। इसके लिए भास्कर अखबार बधाई का पात्र है। अशोक गहलोत जैसे नेता अक्सर भारत की मीडिया को बदनाम करते हैं। गहलोत ने तो न्यायपालिका पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की है। जबकि मीडिया में केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना भी होती है। हाल ही में चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया उसे मीडिया ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया। भास्कर अखबार में भी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की सख्त टिप्पणी का शीर्षक लगाया। इतना ही नहीं अखबारों में उन राजनीतिक दलों के नाम प्रकाशित किए गए जिन्हें चंद मिला। चंदा देने वाली कंपनियों के नाम भी लिखे गए। भास्तर ने तो यहां तक बताया कि जिन कंपनियों पर ईडी और इनकम टैक्स की कार्यवाही हुई उन्होंने भी भाजपा को चंदा दिया।
हाल ही में चंडीगढ़ के मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो सख्त टिप्पणी की उसे भी मीडिया में दिखाया गया। अशोक गहलोत जैसे नेता आखिर मीडिया से क्या चाहते है। जब विपक्ष के नेताओं के बयान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले प्रमुखता के साथ प्रकाशित हो रहे हैं, तब भी मीडिया को गालियां दी जा रही है। गहलोत माने या नहीं, लेकिन मीडिया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सशक्त भूमिका निभा रहा है। अब यदि कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है तो इसमें मीडिया क्या कर सकता है? जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने, सीएए लागू करने जैसे निर्णयों का फायदा भाजपा को मिल रहा है तो इसमें मीडिया की आलोचना क्यों की जाती है? कांग्रेस को जमीनी हकीकत को समझना चाहिए। मीडिया की आलोचना से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
राजस्थान की जनता जानती है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए अशोक गहलोत ने क्या क्या नहीं किया। सरकारी एजेंसियों का जमकर दुरुपयोग किया। जो आईएएस और आईपीएस नौकरी में रहते हुए गहलोत के इशारे पर नाचते रहे, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद लाभ के पद दिए गए। राजस्थान लोक सेवा आयोग में ऐसे सदस्यों की नियुक्ति की गई उन्हें परीक्षा के प्रश्न पत्र बेचते हुए पकड़ा गया। इतना ही नहीं गहलोत ने कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी चुनौती दी। खुद के समर्थन में कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे तक दिलवा दिए। यह बात अलग है कि बाद में विधायकों के इस्तीफे भी झूठे निकले। राजनीति में इतना झूठा पन सिर्फ अशोक गहलोत ही दिखा सकते हैं। गहलोत आज जिस मीडिया को गोदी मीडिया कह रहे है, उसी गोदी मीडिया को मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए। सवाल उठता है कि जब गोदी मीडिया है तो उसे विज्ञापन क्यों दिए गए? जाहिर है कि गहलोत की कथनी और करनी में अंतर है।
Rajasthan: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?
Rajasthan: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिके रहने के लिए आखिर गहलोत ने क्या क्या नहीं किया?
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Report By S.P.MITTAL