Rajasthan : राजस्थान के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी के दो दिन के दो फैसलों से कांग्रेस सरकार को राहत।

Rajasthan : राजस्थान के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी के दो दिन के दो फैसलों से कांग्रेस सरकार को राहत।
कुरैशी को सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बनाए जाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सहानुभूति जताई थी।
गुजरात हाईकोर्ट का जज रहते हुए वर्ष 2010 में कुरैशी ने तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह को सीबीआई की हिरासत में भेजा था।
6 मार्च को रिटायर हो जाएंगे अकील कुरैशी।
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राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सहित देश के प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं पर केंद्र सरकार का दबाव है। सुप्रीम कोर्ट पर केंद्र सरकार का कितना दबाव है यह तो अशोक गहलोत ही जाने, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी के दो दिनों के दो फैसलों ने गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को राहत प्रदान की है। एक फैसले में तो हाईकोर्ट का सिंगल बेंच का फैसला ही पलट दिया गया। 22 फरवरी को याचिकाओं पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आरएएस प्री के परिणाम को त्रुटिपूर्ण मानते हुए नया संशोधित परिणाम जारी करने के आदेश दिए। इस आदेश पर राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा पूर्व में घोषित परिणाम निरस्त हो गया। सिंगल बेंच के इस फैसले के विरुद्ध अगले ही दिन 23 फरवरी को राज्य सरकार और आयोग ने चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता वाली डबल बेंच में याचिका दायर की। चीफ जस्टिस कुरैशी और जस्टिस संदीप बंसल ने हाथों हाथ सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के निर्णय पर रोक लगा दी। इससे दो दिन पहले 21 फरवरी को ही सीएम गहलोत ने आरएएस के अभ्यर्थियों के विरोध को दरकिनार करते हुए आरएएस मैंस की परीक्षा निर्धारित तिथियों पर करने की घोषणा की थी, जबकि प्री के परिणाम में प्रश्नों के उत्तर में अनेक विसंगतियां थीं। गंभीर विसंगतियों और त्रुटियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने प्री के परिणाम को निरस्त किया था, लेकिन जस्टिस कुरैशी की अध्यक्षता वाली डबल बेंच के फैसले से आयोग और गहलोत सरकार को बड़ी राहत मिली। इसी प्रकार 24 फरवरी को चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने रीट परीक्षा घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग को खारिज कर दिया। सीबीआई जांच की मांग राज्य की एसओजी की जांच के आधार पर की गई थी। एसओजी ने माना कि 16 लाख परीक्षार्थियों वाली रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र 10-10 लाख रुपए में बिके हैं। पेपर घोटाले में दो मंत्रियों पर भी गंभीर आरोप लगे, इसलिए सीबीआई से जांच की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की गई। लेकिन सीजे कुरैशी सरकार को राहत देते हुए सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। अकील कुरैशी ने गत 12 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के चीफ जस्टिस का पद संभाला, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अकील कुरैशी को सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बनाए जाने पर कुरैशी के प्रति सहानुभूति जताई थी। गहलोत का कहना था कि जस्टिस कुरैशी को दिल्ली (सुप्रीम कोर्ट) जाना चाहिए था, लेकिन इन्हें राजस्थान भेज दिया गया। न्यायिक क्षेत्र के जानकारों के अनुसार जस्टिस कुरैशी मौजूदा जजों में सबसे सीनियर है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने भी समय समय पर कुरैशी के नाम की सिफारिश की है, लेकिन केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया। मई 2019 में जब कुरैशी बॉम्बे हाईकोर्ट के जज थे, तब कोलोजियम ने उन्हें मध्यप्रदेश का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन तब केंद्र सरकार ने जस्टिस कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया। कुरैशी दो वर्ष तक त्रिपुरा में नियुक्त रहे और अब सेवानिवृत्ति के समय उन्हें कांग्रेस शासित राजस्थान का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। जस्टिस कुरैशी आगामी 6 मार्च को राजस्थान से ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट तक पर केंद्र की मोदी सरकार का दबाव होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन यह भी सही है कि वर्ष 2010 में जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी, तब सीबीआई ने गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह की गिरफ्तारी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तब गुजरात हाईकोर्ट का जज रहते हुए जस्टिस कुरैशी ने ही शाह को सीबीआई की हिरासत में भेजने के आदेश दिए थे। यह आदेश तब दिए जब ट्रायल कोर्ट अमित शाह को हिरासत में लेने की जरूरत नहीं बताई थी। यानी ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी। इतना ही नहीं 2011 में यूपीए सरकार ने राजस्थान की कांग्रेस नेता श्रीमती कमला बेनीवाल को गुजरात का राज्यपाल नियुक्त किया। तब कमला बेनीवाल ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की सिफारिश के बगैर ही कांग्रेस विचारधारा के आरए मेहता को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त कर दिया। तब राज्य सरकार ने राज्यपाल के आदेश को चुनौती। राज्य सरकार का तर्क था कि राज्य सरकार के प्रस्ताव के बगैर राज्यपाल सीधे लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर सकता है। तब जस्टिस अकील कुरैशी ने ही राज्य सरकार के तर्क को खारिज करते हुए राज्यपाल के आदेश को सही माना। यूपीए सरकार के समय भाजपा के नेता भी संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे।