Rajasthan : कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो वर्ष 2008 में चित्तौड़ के कलेक्टर डॉ. समित शर्मा को भी हटा चुके हैं। अब एक थानेदार की क्या बिसात है।

Rajasthan : कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो वर्ष 2008 में चित्तौड़ के कलेक्टर डॉ. समित शर्मा को भी हटा चुके हैं। अब एक थानेदार की क्या बिसात है।

बिधूड़ी के गैर जिम्मेदाराना रवैये की शिकायत चुनाव आयोग ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तक से कर रखी है।
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बच्चों को पुस्तकों में पढ़ाया तो यही जाता है कि सत्य की जीत होती है, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार में शायद ऐसा नहीं हो रहा है। गांधीवादी छवि के माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह कथन भी गलत साबित हो रहा है कि हर गलती कीमत मांगती है। यदि सत्य की जीत का बोलबाला होता तो अब तक कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी के विरुद्ध कार्यवाही हो जाती। चित्तौड़ के भैंस गढ़ रोड के जिन एसएचओ ने विधायक बिधूड़ी से मां-बहन की अश्लील गालियां सुनी है, उनका कहना है कि अब वे अपने सम्मान के खारित आखिरी सांस तक लड़ेंगे।
अच्छी बात है कि थानाधिकारी संजय गुर्जर सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक से लड़ने का इरादा रखते हैं, लेकिन संजय गुर्जर को यह नहीं पता था कि राजेंद्र बिधूड़ी मुख्यमंत्री गहलोत के चहेते विधायकों में से एक हैं। चित्तौड़ के जागरूक लोगों को 2008 का घटनाक्रम भी याद है जब इन्हीं विधायक बिधूड़ी के कारण चित्तौड़ के तत्कालीन कलेक्टर डॉ. समित शर्मा को रातों रात हटाया गया था। उस समय भी मुख्यमंत्री के पद पर अशोक गहलोत ही विराजमान थे। तब कलेक्टर और विधायक के बीच हुए विवाद में चित्तौड़ की जनता कलेक्टर डॉ. समित शर्मा के साथ खड़ी थी। जनता का कहना था कि डॉ. शर्मा सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चल कर विधायक बिधूड़ी की ज्यादतियों का विरोध कर रहे हैं। डॉ. शर्मा के तबादले के विरोध में चित्तौड़ लगातार पांच दिनों तक बंद रहा। लेकिन तब अशोक गहलोत के शासन में सत्य और ईमानदार की जीत नहीं हो सकी। आखिर डॉ. समित शर्मा को चित्तौड़ के कलेक्टर के पद से हटना पड़ा।
चित्तौड़ की जनता को सत्य की हार होने का आज तक दुख है। चुनाव के दौरान भी राजेंद्र बिधूड़ी अपने निर्वाचन क्षेत्र में जो गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करते हैं उसकी शिकायत चुनाव आयोग ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भी की है, लेकिन इसे अशोक गहलोत की मेहरबानी ही कहा जाएगा कि बिधूड़ी का कुछ भी नहीं बिगड़ता है। बिधूड़ी को गहलोत शासन में सब कुछ करने की छूट होती है, इसलिए थानाधिकारी संजय गुर्जर को फोन पर मां-बहन की गालियां सुननी पड़ती है। भले ही संजय गुर्जर ने विधायक बिधूड़ी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के आदेश अदालत से करवा लिए हो, लेकिन कार्यवाही तो अशोक गहलोत ही करेंगे। गहलोत के पास ही गृह विभाग का प्रभार है। आईपीएस अफसरों को यदि अच्छे पदों पर नौकरी करनी है तो गहलोत का इशारा समझना ही होगा। आईपीएस अफसर सेवानिवृत्ति के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग जैसे संस्थानों में नियुक्त होने की लालसा रखते हैं, इसलिए थानाधिकारी संजय गुर्जर के साथ खड़ा होने के बजाए सत्ता के तलुए चाटना पसंद करते हैं।
राजेंद्र बिधूड़ी को तो सात खून इसलिए भी माफ है कि वे हमेशा अशोक गहलोत की सरकार को टिकाए रखने में सहयोग रखते हैं। जुलाई 2020 में जब कांग्रेस के 19 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब बिधूड़ी गहलोत के साथ एक माह तक जयपुर और जैसलमेर की होटलों में बंद रहे। गहलोत तो पहले ही कह चुके हैं कि जिन विधायकों ने मेरा साथ दिया है, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करुंगा। थानेदार संजय गुर्जर के प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं होने का मतलब राजेंद्र बिधूड़ी को ब्याज सहित भुगतान करना ही है।
गालियों वाली ऑडियो सामने आने के बाद कार्यवाही तो बिधूड़ी के विरुद्ध होनी चाहिए थी, लेकिन चित्तौड़ की पुलिस अधीक्षक प्रीति जैन ने पीड़ित और अपमानित संजय गुर्जर को भैंस गढ़ रोड के थानाधिकारी के पद से हटा दिया।