Rajasthan : विधायकों पर जनप्रतिनिधि के रूप में दायित्वों के निर्वहन के साथ ही विधि निर्माण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी-सीएम गहलोत

Rajasthan : विधायकों पर जनप्रतिनिधि के रूप में दायित्वों के निर्वहन के साथ ही

विधि निर्माण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी-सीएम गहलोत

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायको की भूमिका विषय संविधान की मूल भावना को दर्शाता है। संविधान के अनुच्छेद 164 से स्पष्ट होता है कि राज्यपाल व विधायकों के क्लिष्ट कर्तव्य हैं। वर्तमान में राज्यपाल व विधायक बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहें हैं।

धनकड़ विधान सभा में शुक्रवार को राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार ’संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायको की भूमिका’ को संबोधित कर रहे थे।सेमिनार में मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़, राजस्थान विधान सभा और राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, संसदीय कार्य मंत्री शांती कुमार धारीवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया सहित विधायक, पूर्व विधायक और गणमान्य नागरिक ने शिरकत की।

धनकड़ ने राज्यपाल व विधायकों के कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विधायक संविधान के दायरे में कार्य करने की शपथ लेते हैं और राज्यपाल संविधान के संरक्षण की शपथ लेते हैं। राज्यपाल पर संविधान की मर्यादा को बचाये रखने की भी जिम्मेदारी होती है। भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सर्वोपरि होते हैं। उन्होंने कहा कि जो संसदीय परम्पराओं के सर्वश्रेष्ठ मापदंड हो सकते है वे राजस्थान विधानसभा में है। उन्होंने इसे कई दशकों से यहां विधानसभा में देखा भी है। डॉ. जोशी ने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ ने संसदीय परंपराओं को समझाने की एक श्रृंखला बनाई है।

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इस क्रम में संघ ने गणमान्यजन को आंमत्रित कर कई सेमिनारों का आयोजन किया है।उन्होंने कहा कि डॉ. बी. आर अंबेडकर ने कहा था कि कानून कुछ भी बना लो, व्यक्ति जो उस जगह पर बैठा, उसकी भूमिका भी होती है। राज्यपाल की दो तरह की भूमिका होती है। एक्टिव और पेसिव। उन्होंने कहा कि धनकड़ एक्टिव भूमिका को इस संसदीय लोकतंत्र के सामने रख रहे हैं। संविधान में राज्यपाल की भूमिका को लोकतंत्र के समक्ष समझाना है कि राज्यपाल लोकतंत्र को किस प्रकार मजबूत कर सकता है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सांसद और विधायकों पर एक जनप्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्वों के निर्वहन के साथ ही विधि निर्माण की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान में पक्ष एवं प्रतिपक्ष के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध रहे हैं। इससे विधानसभा में विधायी कार्यों के संपादन एवं जनहित से जुडे़ विषयों पर निर्णय लेने में आसानी होती है।मुख्यमंत्री ने संसदीय लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाने में राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की भूमिका की सराहना की।

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उन्होंने कहा कि जब से डॉ. सी.पी जोशी विधानसभा अध्यक्ष बने हैं तब से उन्होंने इसकी गतिविधियों को नये आयाम दिये हैं। प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ विधायकों का चयन उनकी योग्यता को देखते हुए किया गया है। उन्होंने कहा कि जनता के निर्णय के आधार पर इस देश के लोकतंत्र को मजबूत करना सदन के सभी सदस्यों का कर्तव्य है। संसदीय कार्य मंत्री शांती कुमार धारीवाल ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संघ द्वारा आयोजित इस प्रकार के आयोजनों से सदस्यों को संसदीय परंपराओं का ज्ञान होता है।