Rajasthan : इसीलिए तो कहते हैं पुलिस सत्ता के दबाव में काम करती है।

जैसी कार्यवाही भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और जितेंद्र गोठवाल के

मामलों में की वैसी कार्यवाही राजस्थान पुलिस ने सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायक गिर्राज

मलिंगा, जोहरी लाल मीणा और राजेंद्र बिधूड़ी के मामलों में क्यों नहीं की?

कोटा में वन विभाग के डीएफओ को चांटा मारने और महिला डॉक्टर के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए दौसा पुलिस पर दबाव बनाने के आरोप में पुलिस ने भाजपा के पूर्व विधायक क्रमश: भवानी सिंह राजावत और जितेंद्र गोठवाल को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया है। राजस्थान पुलिस के होनहार अफसरों का कहना है कि भाजपा के पूर्व विधायक गोठवाल ने 27 मार्च को जो दबाव बनाया, उसकी वजह से दौसा पुलिस को लालसोट के निजी अस्पताल की मालिक डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ 302 में हत्या का मुकदमा दर्ज करना पड़ा। गोठवाल के दबाव में दौसा की बेचारी पुलिस सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन की पालना करना भी भूल गई। इस मुकदमो के डर की वजह से डॉ. शर्मा ने आत्महत्या कर ली, इसलिए डॉ. शर्मा की आत्महत्या के लिए गोठवाल और उसके साथी जिम्मेदार हैं। जिन लोगों ने सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत द्वारा एडीएफओ को चांटा मारने का वीडियो देखा है,उन्हें पता है कि राजावत ने चांटा मारा ही नहीं बल्कि प्यार से एडीएफओ के गाल पर हाथ लगाया। वीडियो में न तो चाटे की आवाज है और न ही राजावत का गुस्सा। फिर भी पुलिस ने डीएफओ की शिकायत पर चांटा मारने का मुकदमा दर्ज कर राजावत को जेल भेज दिया। राजस्थान पुलिस के महानिदेशक एमएल लाठर माने या नहीं, लेकिन इन दोनों ही मामलों में पुलिस पर सत्ता का दबाव रहा है।
यदि राजस्थान पुलिस सत्ता के दबाव में नहीं होती तो अब तक कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा, राजेंद्र सिंह बिधूड़ी और जौहरी लाल मीणा के पुत्र को भी गिरफ्तार कर जेल भेज देती। कांग्रेस विधायक मलिंगा पर धौलपुर के विद्युत इंजीनियर ने हाथ तोडऩे का मुकदमा दर्ज करवाया है, जबकि विधूड़ी पर एक सब इंस्पेक्टर ने अश्लील गालियां बकने का मुकदमा दर्ज करवाया। विधायक द्वारा दी गई गालियों का ऑडियो भी पुलिस को दिया गया है।
विधायक जौहरी लाल मीणा के पुत्र सहित पांच युवकों पर एक नाबालिग ने गैंगरेप का मुकदमा दर्ज करवाया है। इन सभी मामलों में राजस्थान पुलिस के कर्तव्यनिष्ठ और बगैर दबाव में काम करने वाले अधिकारियों, कांग्रेस विधायकों के बयान तक नहीं लिए है। धौलपुर के बिजली इंजीनियर की पिटाई के प्रकरण में तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। भाजपा के दो पूर्व विधायक और कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायकों से जुड़ेे प्रकरण में पुलिस ने जो कार्यवाही की है, उसके बाद भी यदि डीजीपी एमएल लाठर राजस्थान पुलिस निष्पक्ष और होशियार बताएं तो प्रदेश की जनता क्या कर सकती है? प्रदेश की जनता तो दिसंबर 2023 का इंतजार ही करेगी।