Rajasthan : आईएएस गौरव गोयल और हेमंत गेरा को मेहनत और वफादारी का फल मिला।

Rajasthan : आईएएस गौरव गोयल और हेमंत गेरा को मेहनत और वफादारी का फल मिला।

लेकिन डॉ. समित शर्मा पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नजरें इनायत अभी तक नहीं। वहीं पवन अरोड़ा आवासन मंडल की जरुरत बने।
============
राजस्थान सरकार ने 13 अप्रैल को रात 12 बजे 69 आईएएस की तबादला सूची जारी की। आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी भी दल की सरकार चलाने में आईएएस का ही महत्व होता है। राजस्थान में तो अशोक गहलोत की सरकार चलाने में मंत्रियों से ज्यादा अधिकारियों की भूमिका नजर आती है। 69 आईएएस की तबादला सूची देखने से प्रतीत होता है कि गौरव गोयल और हेमंत गौरा जैसे युवा आईएएस को मेहनत और वफादारी का फल मिला है। गौरव गोयल को जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त से हटाकर मुख्यमंत्री गहलोत ने अपना सचिव बना लिया है। गौरव गोयल उन चुनिंदा आईएएस में शामिल हैं जो लीक से हटकर नौकरी करते हैं। जयपुर में बनने वाले दूसरे सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के लिए भूमि आवंटन में गोयल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह स्टेडियम राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत की देखरेख में बन रहा है।
राज्य सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर गत वर्ष जयपुर में कांग्रेस की जो रैली हुई उस रैली के मंच को बनाने से लेकर भीड़ की निकासी तक की तैयारियां गौरव गोयल के नेतृत्व वाले जयपुर विकास प्राधिकरण ने ही की। कोरोनाकाल में निजी अस्पतालों के परिसर में अस्थाई कोविड वार्ड बनवाने में भी गौरव गोयल की काबिलीयत सीएम गहलोत देख चुके हैं। गोयल की मेहनत और वफादारी को देखते हुए ही अब उन्हें मुख्यमंत्री का सचिव बनाया गया है। गोयल की नियुक्ति से सीएमओ और प्रभावी होगा। हालांकि हेमंत गेरा का कार्मिक विभाग से तबादला नहीं किया है, लेकिन गेरा को मंत्रिमंडल सचिवालय, संपादन, स्टेट मोटर गैराज, नागरिक उड्डयन जैसे विभाग और सौंपे गए हैं। यानी सचिवालय में गेरा का रुतबा और बढ़ाया गया है। प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस हेमंत गेरा को भी सीएम गहलोत का भरोसेमंद माना जाता है। इस भरोसे के पीछे गेरा की मेहनत और सरकार के काम के प्रति वफादारी है। ऐसा नहीं कि आईएएस डॉ. समित शर्मा से सीएम गहलोत खुश नहीं है। संभवत: हर माह किसी न किसी सार्वजनिक समारोह में सीएम गहलोत समित शर्मा की कार्यशैली की प्रशंसा करते हैं। राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा योजना का श्रेय सीएम गहलोत डॉ. समित शर्मा को ही देते हैं।
Rajasthan : आईएएस गौरव गोयल और हेमंत गेरा को मेहनत और वफादारी का फल मिला।
लेकिन डॉ. शर्मा पर गहलोत की नजरें इनायत नहीं हो रही है। 69 आईएएस की सूची में डॉ. शर्मा का नाम तो है, लेकिन उन्हें सामाजिक न्याय एवं प्रअधिकारिता विभाग में ही बनाए रखा गया है। डॉ. शर्मा की ईमानदारी से सीएम गहलोत वाकिफ हैं, लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के चलते डॉ. शर्मा का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। यदि डॉ. समित शर्मा का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे में उपयोग तो मुख्यमंत्री गहलोत की महत्वाकांक्षी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना सफल और प्रभावी हो सकती है। मालूम हो कि रघु शर्मा जब चिकित्सा मंत्री थे, तब डॉ. शर्मा के साथ विवाद हो गया था। तब डॉ. शर्मा चिकित्सा विभाग से हटना पड़ा। उस समय डॉ. शर्मा पर जो आरोप लगाए गए थे वे सभी जांच में निराधार साबित हुए। डॉ. समित शर्मा जिस विभाग में भी रहते हैं, अपना काम ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ करते हैं। जोधपुर और जयपुर का संभागीय आयुक्त रहते हुए डॉ. शर्मा सरकारी कार्मिकों खास कर शिक्षकों ओर चिकित्सा कर्मियों की उपस्थिति समय पर करवाने में प्रभावी भूमिका निभाई।
जहां तक आईएएस पवन अरोड़ा का सवाल है तो प्रतीत होता है कि वे राजस्थान आवासन मंडल की जरूरत बन गए हैं। तीन साल पहले तक जो आवास मंडल बंद होने के कगार पर था वह मंडल आज हजारों करोड़ रुपए के मुनाफे में है। मंडल का आयुक्त बनने पर अरोड़ा ने पुराने सिस्टम को ही पारदर्शी और ईमानदार बनाया। मंडल की पुरानी संपत्तियों को साफ सुथरा कर बाजार दरों पर बेचा तो आवासन मंडल में पैसों की बरसात हो गई। आज आवासन मंडल राज्य सरकार का सबसे महत्वपूर्ण उपक्रम बन गया है। पवन अरोड़ा की मेहनत और ईमानदारी की वजह से सरकार ने मंडल को विधायकों के फ्लैट भी बनाने का काम दिया है। यानी आवासन मंडल अब सरकार के अन्य काम भी कर रहा है। सीएम गहलोत और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल भी सार्वजनिक मंचों से पवन अरोड़ा की प्रशंसा कर चुके हैं। असल में पवन अरोड़ा सीएम गहलोत और मंत्री धारीवाल की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। पवन अरोड़ा के नेतृत्व में आवासन मंडल लगातार विकास कर रहा है,इसलिए आरोडा जब आवासन मंडल की जरूरत बन गए हैं।