Rajasthan : एकल पट्टा प्रकरण में बढ़ी धारीवाल की मुसीबत, क्लोजर रिपोर्ट ख़ारिज, अग्रिम जांच के आदेश।

Rajasthan : एकल पट्टा प्रकरण में बढ़ी धारीवाल की मुसीबत, क्लोजर रिपोर्ट ख़ारिज,

अग्रिम जांच के आदेश।

एकल पट्टा प्रकरण में मंत्री धारीवाल आसानी बचते नहीं दिख रहे।  एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-4 ने गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को वर्ष 2011 मे एकल पट्टा जारी करने से जुड़े मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और पूर्व उप सचिव एनएल मीणा के पक्ष में 12 जून 2019 को पेश क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।  वहीं, अदालत ने मामले में तत्कालीन जेडीसी ललित के पंवार और अतिरिक्त आयुक्त वीएम कपूर को लेकर 7 जुलाई 2021 को पेश एफआर को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अग्रिम जांच के आदेश भी दिए हैं जिससे धारीवाल की मुसीबतें फिर से बढ़ सकती हैं।

अदालत ने एसीबी के डीजी को कहा है कि वह मामले में कोर्ट की ओर से सुझाए बिन्दुओं पर एसपी से उच्च स्तर के अधिकारी से तीन माह में जांच पूरी कराए।  वहीं, अदालत ने मामले की जांच में शामिल अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा है।  अदालत ने यह आदेश परिवादी रामशरण सिंह की प्रोटेस्ट पिटीशन पर दिए। अदालत ने मामले में धारीवाल सहित अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान लेने के बिन्दु पर फैसला सुरक्षित भी रखा है।

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दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने परिवादी की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए एसीबी कोर्ट को कहा था कि वह परिवादी की प्रोटेस्ट पिटीशन पर जल्द से जल्द दस दिन में फैसला करे।  प्रोटेस्ट पिटीशन में अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल ने बताया कि पूरा मामला तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देशन में हुआ था।  मामले में धारीवाल और यूडीएच के तत्कालीन उप सचिव एनएल मीणा सहित ललित के पंवार और वीएम कपूर भी आरोपी हैं।  इन्होंने अपने उच्च पदों का दुरुपयोग कर अपने पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश करवाई।  पुलिस की रिपोर्ट कोर्ट मानने के लिए बाध्य नहीं है, ऐसे में क्लोजर रिपोर्ट रद्द कर चारों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया जाए।

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गौरतलब है कि मामले में यूडीएच के तत्कालीन सचिव जीएस संधू, उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर सहित अन्य का आरोपी बनाया गया था। एसीबी ने पहले संधू, ओंकारमल और निष्काम दिवाकर के खिलाफ लंबित मुकदमें को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था।  जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।  इसके खिलाफ तीनों अधिकारियों और राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका हाईकोर्ट में लंबित चल रही है।

चूँकि आने वाला वर्ष चुनावी है इसीलिए गहलोत सरकार इस फांस को इसी बरस निकल फेंकना चाहेगी।