Rajasthan : राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चलने वाली कांग्रेस सरकार में आखिर जलालत (बेइज्जती) कौन भुगत रहा है?

Rajasthan : राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चलने वाली कांग्रेस सरकार में आखिर जलालत (बेइज्जती) कौन भुगत रहा है?

मंत्रियों और विधायकों के इतने तीखे हमलों के बाद भी सीएम गहलोत का इतना नरम रुख।
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राजस्थान के खेल और युवा मामलों के मंत्री अशोक चांदना ने ट्वीट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा कि वे मंत्री पद पर जलालत भुगत रहे हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से मुक्त कर दिया जाए। चांदना के इस कथन के बाद ही सवाल उठा है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार में आखिर जलालत (बेइज्जती) कौन भुगत रहा है? चांदना ने अपने ट्वीट में सीएम गहलोत के प्रधान सचिव कुलदीप रांका पर भी गंभीर आरोप लगाया, लेकिन इसके बावजूद भी अशोक गहलोत ने चांदना को लेकर कोई नाराजगी नहीं जताई। उल्टे कहा कि चांदना पर काम का बोझ है, इसलिए टेंशन में ऐसी नकारात्मक टिप्पणी कर दी है। विगत दिनों जब प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को विधायक पद से इस्तीफा भिजवा दिया तो गहलोत ने कहा कि गणेश घोघरा भावुक हैं, इसलिए भावनाओं में बह कर इस्तीफे का प्रस्ताव कर दिया है। घोघरा ने भी सरकार में अफसरशाही के हावी होने का आरोप लगाया। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह को खान विभाग में फैले भ्रष्टाचार के आरोप सार्वजनिक तौर पर लगाते रहे हैं। भरत सिंह का कहना है कि खान मंत्री प्रमोद जैन को मुख्यमंत्री का संरक्षण है। कांग्रेस के ही विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि राजस्थान में हुए रीट पेपर घोटाले की जांच सीबीआई से करवाई जाए तो अशोक गहलोत सरकार का एक मंत्री जेल जाएगा। अपने मंत्री को बचाने के लिए ही रीट पेपर घोटाले की जांच सीबीआई से नहीं करवाई जा रही है। आदिवासी क्षेत्र प्रतापगढ़ के कांग्रेसी विधायक रामलाल मीणा ने भी कहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी डूंगरपुर जिले में साफ हो जाएगी। बामनवास की विधायक इंद्रा मीणा का कहना है कि अब हमारी नाराजगी कोई मायने नहीं रखती है, क्योंकि अब तो सरकार से जनता ही नाराज हो गई है।
कांग्रेस के मंत्री और विधायक एक ओर इतने तीखे हमले कर रहे हैं तो वहीं सीएम गहलोत ने बेहद ही नरम रुख अपना रखा है। सीधे हमलों के बाद भी अशोक गहलोत ने किसी मंत्री और विधायक के प्रति नाराजगी प्रकट नहीं की है। इसलिए भी यह सवाल उठा है कि आखिर सरकार में जलालत कौन भुगत रहा है? एक तरफ मंत्री विधायक तीखे हमले कर रहे हैं तो वहीं सीएम गहलोत को अपने मंत्रियों के रिश्तेदारों के आपराधिक कृत्यों पर पर्दा भी डालना पड़ रहा है। जलदाय मंत्री महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी को बलात्कार के आरोप में दिल्ली पुलिस कभी भी गिरफ्तार कर सकती है तो वहीं सरकार के उप मुख्य सचेतक महेंद्र सिंह चौधरी के भाई और बहनोई को राजस्थान पुलिस ने ही हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया है। बलात्कार और हत्या के इन प्रकरणों में भी सीएम गहलोत का कहना है कि रिश्तेदारों के अपराध के लिए मंत्रियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। सीएम गहलोत को इन सब मुसीबतों का तब सामना करना पड़ रहा है, जब प्रदेश में डेढ़ वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। गहलोत अपनी सरकार के रिपीट होने की रट लगाए हुए हैं और मंत्री, विधायक, मुख्यमंत्री को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मौजूदा समय में विधायकों की नाराजगी 10 जून को होने वाले राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। राजस्थान में चार सीटों का चुनाव होना है। कांग्रेस तीन सीट पर अपना दावा कर रही है।