अश्लील हरकत करने के आरोपी मुनि की पहले जैन समाज के लोगों ने पिटाई की और कपड़े पहना कर अजमेर से भगा दिया।

अश्लील हरकत करने के आरोपी मुनि की पहले जैन समाज के लोगों ने पिटाई की और

कपड़े पहना कर अजमेर से भगा दिया।

क्या एक व्यक्ति के कृत्य से संपूर्ण समाज की बदनामी करवाना जायज है?
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अजमेर के दिगम्बर जैन समाज के कुछ प्रतिनिधि स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने अपने ही समाज के एक मुनि की अश्लील हरकतों का भंडाफोड़ कर दिया। ऐसे लोग समाज में बुराई को खत्म करने का तर्क दे रहे हैं। जब जैन समाज के प्रतिनिधि ही अपने मुनि की अश्लील हरकतों वाले सबूत दे रहे हैं तो मीडिया तो चटकारे लेकर खबर प्रकाशित करेगा ही। 14 अप्रैल को जब संपूर्ण जैन समाज में भगवान महावीर के जन्मदिन का उत्सव मनाया जा रहा था, तभी अजमेर के प्रमुख समाचार पत्रों में जैन समाज पर प्रतिकूल असर डालने वाली मुनि महाराज की खबरें छपीं। जो श्रद्धालु जैन मुनियों को भगवान का दर्जा देते हैं, उन श्रद्धालुओं की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो अजमेर के मदार स्थित जैन मंदिर के कुछ प्रतिनिधि चाहते थे कि आरोपी मुनि महाराज चुपचाप अजमेर से चले जाएं ताकि जैन धर्म को बदनामी से बचाया जा सके। क्योंकि एक व्यक्ति की वजह से संपूर्ण समाज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन अजमेर के जैन समाज में भी जो टांग खिंचाई है, उसी का परिणाम रहा कि जैन मुनि की करतूतों वाली खबर मीडिया तक पहुंच गई।
हो सकता है कि मीडिया में खबर देने वाले जैन प्रतिनिधियों को कुछ लोग शाबाशी भी दे रहे हो, लेकिन सब जानते हैं कि जैन धर्म खास कर दिगंबर जैन की पहचान तो त्याग, तपस्या, अहिंसा वाली ही है। एक दिगम्बर जैन मुनि जिस अवस्था में जीवन व्यतीत करता है वैसा तप पहाड़ों में रहने वाले संत-महात्माओं के लिए भी कठिन है। अंजली जितना भोजन लेकर चौबीस घंटे या इससे भी अधिक समय तक दूसरी बार भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। दिगंबर जैन मुनियों की तपस्या किसी से भी छिपी नहीं है। ऐसे में एक जैन मुनि की वजह से बदनामी हो,यह उचित नहीं है। कोई भी धर्म मनुष्य को गलत आचरण करने की सीख नहीं देता है, लेकिन किसी एक धर्मगुरु की वजह से धर्म पर आपत्ति नहीं की जा सकती।
इसे हिन्दू धर्म की सहिष्णुता ही कहा जाएगा कि अपने जैन मुनि की बुराईयों को उजागर करने पर समाज के कुछ लोग स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। ऐसी दिलेरी उन धर्मों में देखने को नहीं मिलती, जहां कट्टरपंथियों का बोलबाला है। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि 14 अप्रैल को अखबारों में जैन मुनि की अश्लील हरकतों वाली खबरें छपी है, लेकिन वहीं 13 अप्रैल को अखबारों में जैन धर्म का मान सम्मान बढ़ाने वाली खबर भी छपी। 12 अप्रैल को अजमेर में 21 वर्षीय रेणु गुदेचा का वरघोड़ा निकला। श्वेताम्बर जैन समाज में घर परिवार में रहने वाले युवक युवतियों का वरघोड़ा (जुलूस) तब निकाला जाता है, जब ऐसे युवक युवतियों संन्यास ग्रहण करते हैं। 21 वर्षीय रेणु गुदेचा भी अपना घर परिवार छोड़ कर आगामी 7 मई को बेंगलुरु में महासती रुचिता के सानिध्य में जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण करेंगी।
जब कोई युवक-युवती दीक्षा ग्रहण करते हैं, तब धर्म के साथ साथ समाज का सिर भी ऊंचा होता है, लेकिन जब कोई धर्म प्रर्वतक धर्म विरोधी आचरण करता है तो धर्म और समाज का सिर झुक जाता है। जिन जैन प्रतिनिधियों ने अपने ही मुनि महाराज की अश्लील हरकतों का भंडाफोड़ किया है, उन्हें खुद अहसास होना चाहिए कि धर्म और समाज का सिर ऊंचा हुआ है या झुका है। जो प्रतिनिधि यह समझते हैं कि उन्होंने पिटाई कर मुनि महाराज को सजा दे दी है, उन्हें धर्म का विश्वास रखना चाहिए। कोई भी व्यक्ति धर्म के विरुद्ध आचरण करता है तो धर्म की रक्षा करने वाले भगवान अपने आप सजा देते हैं। अजमेर के जैन समाज के उन प्रतिनिधियों का अभिनंदन होना चाहिए जो चाहते थे कि आरोपी मुनि महाराज चुपचाप अजमेर से चले जाएं। यदि ऐसा हो जाता तो महावीर जयंती के दिन जैन समाज की बदनामी नहीं होती। भगवान महावीर सब देख रहे हैं।