Sawai Madhopur : पाती लेखन प्रतियोगिता एक अभिनव पहल: जिला कलेक्टर अखिल भारतीय पत्र लेखन प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का हुआ सम्मान, पुस्तकों का किया विमोचन

सवाई माधोपुर, 16 अक्टूबर। पाती अपनो को मुहिम के अन्तर्गत “माटी की पाती मेरे नाम” एवं “पाती दादा-दादी, नाना-नानी की स्मृतियों के नाम” अखिल भारतीय पत्र लेखन प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का सम्मान एवं पुस्तक विमोचन समारोह रविवार को जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला के मुख्य आतिथ्य में रणथम्भौर रोड़ स्थित होटल रणथम्भौर नेशनल रिसोर्ट में हुआ।
इस दौरान मुख्य अथिति जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अशोक सक्सेना, डॉ. रमेश चन्द मीना, चन्द्रमोहन उपाध्याय, उप जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर कपिल शर्मा, उप जिला कलेक्टर चौथ का बरवाड़ा उपेन्द्र शर्मा द्वारा माटी की पुकार, पाती स्मृतियों के झरोखे से, कोरे कागज, कर्Ÿाव्य पथ, जनक नन्दनी एवं फॉर द सेक ऑफ नॉस पुस्तक का विमोचन किया गया। वहीं समारोह की अध्यक्षता प्रवर अधीक्षक डाक विभाग जयपुर प्रियंका गुप्ता द्वारा की गई।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके पश्चात अन्य अतिथियों द्वारा भी मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया तथा डॉ. छाया शर्मा ने गणेश वन्दना एवं मां सरस्वती गायन कर शास्त्री संगीत की निवध रचना प्रस्तुत की। समारोह में अतिरिक्त जिला कलेक्टर डॉ. सूरज सिंह नेगी ने मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर को पुष्पगुच्छ, स्मृति चिह्न व शॉल भेंट कर तथा माला पहनाकर उनका स्वागत किया। इसी प्रकार प्रियंका गुप्ता, अखिलेश पालरिया, रमेश चन्द मीना, अशोक सक्सेना, चन्द्रमोहन उपाध्याय, एसडीएम कपिल शर्मा, एसडीएम उपेन्द्र शर्मा, एडीएम डॉ. सूरज सिंह नेगी, मीना शर्मा सहित अन्य अधिकारियों का भी शॉल भेंट कर व स्मृति चिह्न प्रदान कर स्वागत किया।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर ने उपस्थित साहित्यकार, लेखक, शिक्षा विभाग के अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों, कार्मिकों एवं विद्यार्थियों से साहित्य पत्र लेखन के संबंध में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा जिले में चलाए जा रहे नवाचारों की प्रशंसा भी की। कलेक्टर ने कहा कि आज ई-मेल, इन्स्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्वीटर के माध्यम से क्षणिक में संदेश भेजे जाते है लेकिन कुछ समय बाद यह संदेश हमे ठीक से याद नहीं रहते हैं लेकिन पत्र लेखन, पाती लेखन या चिट्टी के माध्यम से अगर हम संदेश लिखते हैं तो हमे वे संदेश याद रहते है। इसे लिखने से बच्चों का अच्छा स्कोर होता है। पाती लेखन से माता-पिता के प्रति बच्चों का स्वभाव का पता चलता है। उन्होंने कहा कि पाती लेखन बहुत अच्छी और सराहनीय पहल है। कलेक्टर ओला ने एडीएम की इस पहल को अभिनव पहले बताया। उन्होंने सभी को मिलकर इस मुहिम को और अधिक ऊंचाई पर ले जाने की बात कहीं।
कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रवर अधीक्षक डाक विभाग जयपुर प्रियंका गुप्ता ने उपस्थितजन को पाती लेखन के लिए प्रेरित करते हुए डाक विभाग में प्राप्त होने वाले पत्रों की जानकारी प्रदान की। इसके साथ ही उन्होंने माटी की पाती पुस्तक पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर डॉ. सूरज सिंह नेगी ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि साहित्यकार, लेखक वह हैं जिनके दिल में भावनाओं का अम्बार है और ऐसे साहित्यकार, लेखक यहां उपस्थित है। उन्होंने अपने सम्बोधन में जिला कलेक्टर को आमजन की पीड़ा समझने वाले, उनके प्रति सम्मान की भावना रखने वाले कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी बताया। इस दौरान पाती अपनो को मुहिम की झलकियां प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाई। समारोह में रेखा शर्मा द्वारा केसरिया बालम, पधारो म्हारे देश पर नृत्य प्रस्तुती दी गई।
समारोह में एनएसएस की ईकाइ से जुड़े तीन बच्चों को बापू की चिट्टी मेरी जुबानी पत्र लेखन में श्रेष्ठ पाती लिखने पर तथा जिले में सर्वश्रेष्ठ आने पर जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला सहित अन्य अतिथियों द्वारा विद्यार्थियों का स्मृति चिह्न और माला पहनाकर सम्मानित किया गया। जिनमें प्रथम स्थान राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय शेरपुर खिलचीपुर की तन्नू अग्रवाल, द्वितीय स्थान महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खिरनी की रीना योगी एवं तृतीय स्थान महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय साहूनगर के विद्यार्थी अशोक मेरोठा को मिला।
इस दौरान लेखक डॉ. रमेश चन्द मीना ने विस्तार से पाती लेखन की जानकारी प्रदान की। वहीं डॉ. अखिलेश पालरिया ने कहा कि मन की शांति कमाये गए धन के सही उपयोग से, गरीबो की मद्द करने से, अच्छे दोस्त बनाने से, माता-पिता की सेवा करने से होती है। इनके साथ-साथ पाती लेखन से भी हम मन की शांति प्राप्त कर सकते है।
अशोक सक्सेना ने पाती लेखन मुहिम को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि डॉ. नेगी की इस मुहिम ने लुप्त होती जा रही पाती लेखन विद्या को फिर से पुर्नजीवित किया है। पाती लेखन से हमारे व्यवहार में बदलाव आता है जीवन कैसे जिये, कैसा व्यवहार करे यह पाती लेखन से हमे सीखने को मिलता है। पाती लेखन से हम सामाजिक और नैतिक मूल्य को जगा सकते है।
इस दौरान शिवानी भरतूनिया, हनुमान गुर्जर, पूजा शर्मा, खुशी कुशवाह, श्रृष्ठी मीना, रामावतार प्रजापत, संगीता सैनी, मनीषा साहू, धीरज कुमार मीना, अशोक बेरठा, संयोगिता वर्मा, राहुल मीना, तन्नू अग्रवाल एवं अंजली स्वामी को पाती लेखन प्रतियोगिता के विजेता को प्रशस्ति पत्र व माला पहनाकर सम्मानित किया गया। वहीं बाहर से पधारे गए सभी साहित्यकारों को भी स्मृति चिह्न पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान 2 हजार से भी अधिक पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई।