केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चल रही विद्युत परियोजनाओं के पूरा होने के बाद यह लगभग 6000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन करेगा और उत्तर भारत का प्रमुख विद्युत केंद्र बन जाएगा

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चल रही विद्युत परियोजनाओं के पूरा होने के बाद यह लगभग 6000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन करेगा और उत्तर भारत का प्रमुख विद्युत केंद्र बन जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह खराब मौसम के कारण किश्तवाड़ नहीं पहुंच सके और उन्होंने जम्मू से वर्चुअल माध्यम से एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि किश्तवाड़ से प्राप्त अतिरिक्त विद्युत का उपयोग न केवल केंद्र शासित प्रदेश के अन्य भागों के लिए किया जाएगा, बल्कि इसे अन्य राज्यों को बेचा भी जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 60-65 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में शासन करने वाली सरकारों द्वारा चिनाब के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नहीं किया गया।   

उल्लेखनीय है कि 1000 मेगावाट की पाकल दुल परियोजना, 624 मेगावाट की किरू परियोजना, 540 मेगावाट क्वार परियोजना और 930 मेगावाट की किरथाई परियोजना, सभी एक-दूसरे के निकटवर्ती क्षेत्रों में अवस्थित हैं, साथ ही 850 मेगावाट की रतले परियोजना भी है, जिसे केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में पुनर्जीवित किया गया है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह किश्तवाड़ क्षेत्र को उत्तर भारत के सबसे बड़े विद्युत केंद्रों में से एक बनाता है। उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए अकुशल नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए शतप्रतिशत आरक्षण और कुशल श्रमशक्ति की आवश्यकता में स्थानीय प्रतिभाओं को प्राथमिकता देने का वादा किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से पहले किश्तवाड़ तक सड़क की यात्रा बहुत कष्टप्रद थी और थोड़ा सा भी भूस्खलन होने पर डोडा-किश्तवाड़ मार्ग अवरुद्ध हो जाता था। 2014 तक जम्मू से किश्तवाड़ तक की सड़क यात्रा करने में 7 घंटे से अधिक का समय लगता था जो कि आज घटकर 5 घंटे से भी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से इन 8 वर्षों में किश्तवाड़ भारत के विमानन मानचित्र पर अपनी जगह बना चुका है और केंद्र की उड़ान योजना के अंतर्गत एक हवाई अड्डे को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसकी कल्पना कभी किसी ने नहीं की थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि किश्तवाड़ को एक आयुष अस्पताल प्राप्त हुआ है, जबकि पदार को केंद्र की रूसा योजना के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय मिला है, क्योंकि तत्कालीन राज्य सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया था।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि तत्कालीन डोडा जिले में, किश्तवाड़ जिसका एक हिस्सा था,  भारत का पहला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई-एल्टीट्यूड मेडिसिन भद्रवाह में बन रहा है और डोडा में पहले से ही केंद्र द्वारा वित्त पोषित मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से, मोदी सरकार के दौरान खिलानी-सुधमहादेव राजमार्ग सहित तीन नए राष्ट्रीय राजमार्ग, डिग्री कॉलेजों की एक श्रृंखला, मचैल यात्रा के रास्ते में मोबाइल टावर और अन्य दूरदराज क्षेत्रों का विकास हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागरिकों से कहा कि वे युवाओं को अरोमा मिशन के स्टार्टअप अवसरों, बैंगनी क्रांति और लैवेंडर की खेती का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें, जिसका लाभ पहले से ही पड़ोसी भद्रवाह में उठाया जा चुका है और जिसे अब तक आजीविका के अज्ञात स्रोत के रूप में देखा जाता रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य पहाड़ी राज्यों जैसे क्षेत्रों को पिछले 60-65 वर्षों के दौरान केंद्र सरकारों की अदूरदर्शी नीतियों के कारण कई मामलों में लगातार नुकसान हुआ है, लेकिन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री ने कहा था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर और अन्य पिछड़े क्षेत्रों को देश के ज्यादा विकसित क्षेत्रों के बराबर लाने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत में एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत करने का श्रेय हमेशा दिया जाएगा, जिसमें सभी गरीब समर्थक और लोक कल्याणकारी योजनाओं को इस प्रकार से डिजाइन किया गया कि जाति, पंथ, धर्म या वोट की परवाह किए बिना इसकी पहुंच अंतिम कतार में खड़े जरूरतमंद लोगों या अंतिम व्यक्ति तक हो सके। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिवर्तनकारी योजनाएं जैसे गरीब कल्याण अन्न योजना, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, शौचालय, पीएम आवास, हर घर जल, हर घर बिजली और आयुष्मान योजनाएं किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी और कठिन इलाकों सहित देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के प्राप्त हो रहा है, जो कि अतीत के विपरीत है, जिस समय तुष्टिकरण की नीतियां प्रचलन में थीं। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इन कल्याणकारी उपायों से करोड़ों लोगों को अत्यंत गरीबी के जंजाल से मुक्त किया गया और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन प्रदान किया गया।

अपने समापन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि किश्तवाड़, उत्तर-पूर्व और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों जैसे अज्ञात क्षमता वाले क्षेत्र अगले 25 वर्षों में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और ये क्षेत्र संतृप्त राज्यों के बदले भारत को दुनिया के एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाएंगे, जब 2047 में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का उत्सव मनाएगा।

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