केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमेरिका में आयोजित ‘ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम’ की बैठक भारत को विश्‍व के सामने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करेगी

केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार),  कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम की बैठक भारत को विश्‍व के सामने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करेगी।

एक उच्च स्तरीय संयुक्त मंत्री स्‍तर के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में अमेरिका की 5 दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले डॉ. जितेंद्र सिंह ने मीडिया कर्मियों को बताया कि यह मंच विभिन्‍न देशों के कम से कम 30 मंत्रियों, सैकड़ों सीईओ और व्यापार दिग्‍गजों, वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों सहित सभी हितधारकों को एक साथ लाएगा और यह स्वच्छ ऊर्जा की चिंताओं से संबंधित मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्‍व में भारत द्वारा अर्जित की गई अग्रणी भूमिका को भी स्वीकृति प्रदान करता है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले महीने ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के नवीनतम राष्‍ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की ‘यूनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)’ में जानकारी देने की मंजूरी प्रदान की थी।

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भारत ने नवंबर, 2021 में ग्लासगो (ब्रिटेन) में आयोजित ‘यूनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)’ की पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में विश्‍व के समक्ष भारत की जलवायु कार्रवाई के पांच अमृत तत्वों (पंचामृत) को प्रस्‍तुत करके अपनी जलवायु संबंधी कार्रवाई को तेज करने का विचार व्यक्त किया था।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 15 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ किया था। उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्‍य अपनी जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और देश को एक हरित हाइड्रोजन का केन्‍द्र बनाने में सरकार को सहायता प्रदान करना है। इससे 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य को अर्जित करने और नवीकरण ऊर्जा क्षमता से संबंधित विकास में सहायता प्राप्‍त होगी।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत को नेट जीरो उत्‍सर्जन की ओर ले जाने के लिए कोई एक ही मंत्रालय जिम्मेदार नहीं है, बल्कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (एमओईएफसीसी), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और भारी उद्योग मंत्रालय (जो भारत में हाइब्रिड और विद्युत वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम इंडिया) करने की योजना को लागू करता है ताकि विद्युत वाहनों को बढ़ावा मिल सके)  इस दिशा में भारत के प्रयासों में मदद करने के लिए एक प्रेरक बल के रूप में काम कर रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश और विदेश दोनों में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में अभी हाल की सफलताओं को देखते हुए उन्‍हें ‘ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम’ के पूर्ण सत्र और गोलमेज सम्मेलन में बड़े नजदीकी संबंध स्‍थापित होने की उम्मीद है।

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