केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अहम सवाल लोगों के भरोसे का टूटना है। अब जनता के बीच किस मुंह से वोट मांगेंगे।
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अहम सवाल लोगों के भरोसे का टूटना है। अब जनता के बीच किस मुंह से वोट मांगेंगे।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अहम सवाल लोगों के भरोसे का टूटना है। अब जनता के बीच किस मुंह से वोट मांगेंगे।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अहम सवाल लोगों के भरोसे का टूटना है। अब जनता के बीच किस मुंह से वोट मांगेंगे।

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दिल्ली की पीएमएलए कोर्ट ने 22 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक के लिए जांच एजेंसी ईडी को सौंप दिया है। ईडी के अधिकारी अब केजरीवाल से बहुचर्चित शराब घोटाले के बारे में पूछताछ करेंगे। आरोप है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जो शराब नीति बनाई उससे करीब तीन हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसकी एवज में केजरीवाल और उनकी सरकार में बैठे मंत्रियों व प्रभावशाली लोगों ने तीन सौ करोड़ रुपए रिश्वत के तौर पर प्राप्त किए। ईडी के पास पैसों के लेनदेन के सारे सबूत है। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी और शराब कंपनियों की पैरोकार के कविता ने भी कहा है कि रिश्वत की राशि केजरीवाल और उसके सहयोगियों को दी गई। केजरीवाल की गिरफ्तारी और फिर रिमांड पर जाने की घटना भारत के लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली है। यह पहला अवसर है जब किसी नेता को मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गिरफ्तार होना पड़ा हो। अभी भी केजरीवाल इस्तीफा देने से इंकार कर रहे है। ऐसी ढीठता तो पहली बार देखने को मिली है। सवाल केजरीवाल की गिरफ्तारी का नहीं, अहम सवाल लोगों के भरोसे का टूटना है। सब जानते है कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मुहिम चलाकर केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। केजरीवाल ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि उनके शासन में एक पैसे का भी भ्रष्टाचार नहीं होगा, लेकिन केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांघ दी। केजरीवाल देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे और इसलिए देशभर में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। कोई माने या नहीं, लेकिन राजनीति पैसे के बिना नहीं होती। दिल्ली शराब घोटाले में भी यह बात सामने आई है कि गोवा और पंजाब में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को पैसा दिया गया। ईडी के पास इस बात के सबूत है। सवाल उठता है कि जब केजरीवाल अन्य राजनीतिक दलों की तरह भ्रष्टाचार कर रहे हैं, तब स्वयं को ईमानदार कैसे बता सकते हैं? केजरीवाल अब स्वयं को अब कितना भी ईमानदार बताए लेकिन उनके मुंह पर भ्रष्टाचार की जो कालिख पूत गइ्र है उसे देखते हुए जनता से कैसे वोट मांगेंगे? किसी भी भ्रष्टाचारी को पकडऩे के लिए कोई समय नहीं होता। खुद कांग्रेस ने केजरीवाल पर शराब घोटाले के आरोप लगाए थे, लेकिन आज कांग्रेस केजरीवाल के समर्थन में खड़ी है। ऐसा प्रतीत होता है कि चोर चोर मौसेरे भाई की कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है।

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Report By S.P.MITTAL