खरीदारों की गहरी रुचि के साथ 52वां आईएचजीएफ-दिल्ली मेला संपन्न

विशिष्ट अतिथि संसद सदस्य (राज्य सभा) डॉ. सैयद जफर इस्लाम और उत्तर प्रदेश सरकार की श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष/राज्य मंत्री श्री सुनील भरालाकी उपस्थिति में आयोजित समापन समारोह और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पुरस्कार वितरण के साथ कल शाम 52वें आईएचजीएफ दिल्ली मेले का समापन हुआ। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ डिजाइन और प्रदर्शन के लिए अजय शंकर और पी.एन. सूरी मेमोरियल पुरस्कार प्रदान किए और मेले के व्यापक प्रदर्शनों और हस्तशिल्प उद्योग की संभावनातथा आशावाद के लिए मेले की सराहना में अपने विचार साझा किए। इस समारोह में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के अध्यक्ष श्री राजकुमार मल्होत्रा, उपाध्यक्षश्री कमल सोनी,  ईपीसीएच के महानिदेशक तथा आईईएमएल के अध्यक्षडॉ. राकेश कुमार, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशकश्री आर.के वर्मा और ईपीसीएच की प्रशासन समिति के सदस्य, पुरस्कार विजेता औरप्रतिभागी भी उपस्थित थे।

डॉ. सैयद जफर इस्लाम ने अपने संबोधन मेंपुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और उनके पुरस्कार-योग्य प्रयासों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने उद्यमियों और निर्माता निर्यातकों द्वारा समर्थित देश के सक्षम और अत्यधिक कुशल कारीगरों और शिल्पकारों की ताकत की प्रशंसा की, जो आज भारत को सही परिदृश्य में पेश करते हैं। “गुणवत्तापूर्ण कारीगर इस देश में,इस देश की मिट्टी से!” टीकाकरण मील के पत्थर के बारे में बात करते हुएउन्होंने कहा कि कई देश विश्वास नहीं कर सकते कि भारत जैसा विकासशील देश असंभव को संभव बनाते हुए इसे हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की “वोकल फॉर लोकल” और “मेक इन इंडिया” पहल स्थानीय ब्रांडों को वैश्विक स्तर पर ले जाने की योजना है और उन्हीं कार्यक्रमों के तहत, नई योजनाओं की घोषणा की जाएगी जिससे कारीगरों को और भी अधिक लाभ होगा। उन्होंने डॉ. राकेश कुमार के नेतृत्व में हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए सराहनीय और अनुकरणीय कार्य करने के लिए ईपीसीएच की सराहना की। डॉ. इस्लाम ने उद्योग के हितधारकों को आश्वासन दिया कि उन्हें अपने व्यवसाय के अलावा किसी और चीज की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, उस व्यवसाय के लिए उपयुक्त वातावरण बनाना सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है।

उत्तर प्रदेश सरकार की श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष/राज्य मंत्री श्री सुनील भरालाने स्थानीय उत्पादों को खरीदने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि चीन से आयात कम से कम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस दिवाली, हमें अपने कारीगरों से उपहार खरीदना चाहिए ताकि वे भी महामारी के बाद की अवधि में फल-फूल सकें। भारतीय उत्पाद आकर्षक हैं और कोई अन्य बाजार उनका मुकाबला नहीं कर सकता।”

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ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री राजकुमार मल्होत्राने महामारी के बाद शो को एक साथ आयोजित करने में मेले के आयोजकों की चुनौतियों के बारे में चर्चा की। हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद, ईपीसीएच ने मेले को शारीरिक उपस्थिति से आयोजित करने का साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने डॉ. जफर इस्लाम के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने न केवल उनकी चिंताओं को सुना बल्कि उन्हें हल करने में भी अपना समर्थन दिया।

अपने संबोधन में ईपीसीएच के महानिदेशक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमारने एक खरीदार का हवाला देते हुए कहा कि इस मेले की सफलता ने दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया है कि “भारत एक जबर्दस्त सफलता के साथ खुल गया है”। उन्होंने कोविड टीकाकरण में 100 करोड़ की उपलब्धि हासिल करने पर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इसमहत्वपूर्ण उपलब्धि के कारण ही इस मेले को इतनी सफलता मिली।”

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर.के. वर्मा ने कहा, “90 देशों के लगभग 1250 विदेशी खरीदारों और 1100 से अधिक खरीदपरामर्शकों ने मेले का दौरा किया, जिसमें लगभग 1850 करोड़ रुपए का व्यापार किया गया।” अमरीका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ग्रीस, इटली, स्वीडन, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, सऊदी अरब, तुर्की, कनाडा, ब्राजील और कई अन्य देशों के खरीददार इस मेले में आए।

मेले में व्यस्त दिनों में एक सोर्सिंग व्यवसाय की गतिविधि देखी गई, जिसने प्रदर्शकों, खरीदारों, आयोजकों और अन्य सभी हितधारकों का मनोबल बढ़ाया। मेले में अपने अनुभव को साझा करते हुए, एक प्रदर्शक ने कहा, ‘ईपीसीएच ने हमें एक ऐसा मंच दिया है जहां हम अपने संबंध कायम कर सकते हैं और इस समय इस मेले का आयोजन करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन जैसा कि कोई देख सकता है, यह सार्थकरहा है। खरीदार सोर्सिंग के बारे में गंभीर थे और कई श्रेणियों के लिए संभावनाएं उभरी हैं, क्योंकि महामारी के बाद विभिन्न खरीदारों से मांग आ रही है। टिकाऊ और हाथ से बने उत्पादों का चलन बढ़ रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में यात्रा प्रतिबंधों के बावजूद, इस आईएचजीएफ दिल्ली मेले में खरीदारों की भीड़ अप्रत्याशित थी।

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स्वीडन के एक खरीदार इलियास वाल्बो इस मेले को भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए प्रवेश द्वार और प्रेरणा का भंडार कहती हैं। उन्होंने कहा, “मैं 2005 से इस मेले में आ रही हूं इसलिए मेरे पास नियमित आपूर्तिकर्ताओं का आधार है। महामारी ने व्यापार को प्रभावित किया है लेकिन इस मेले के माध्यम से सोर्सिंग जारी रहेगी।”

चार दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मेले में आने वाले गणमान्य व्यक्तियों में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कौशल विकास, उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्री सैयद शाहनवाज हुसैन, कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) श्री शांतमनुएवं अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल थे।

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन डिजाइन के लिए अजय शंकर मेमोरियल पुरस्कार विभिन्न उत्पाद श्रेणियों जैसे – सजावटी और उपहार (कॉरपोरेट उपहार सहित), स्नानघर की उपयोगी वस्तुएं,लैंप और प्रकाश उपकरण,फर्नीचर, फर्नीचर हार्डवेयर और सहायक उपकरण,मोमबत्तियां, अगरबत्ती, पोटपौरी और सुगंधित वस्तुएं,फैशन आभूषण और सहायक उपकरण,होम टेक्सटाइल्स, फर्निशिंग और फ्लोर कवरिंग सहित हाउसवेयरऔर ईपीएनएस टेबलवेयर, किचनवेयर और होटलवेयर में दिए गए थे।

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन डिजाइन के लिए अजय शंकर मेमोरियल अवार्ड्स के प्राप्तकर्ता थे: –

बाथरूम उपकरण श्रेणी

मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पोटपौरी और सुगंधित वस्तुएं

सजावटी और उपहार (कॉरपोरेट उपहार सहित) श्रेणी:

फैशन ज्वैलरी, बैग, स्कार्फ, टाई और एक्सेसरीज कैटेगरी

होम टेक्सटाइल्स, फर्निशिंग और फ्लोर कवरिंग

लैंप और प्रकाश श्रेणी

हाउसवेयर, टेबलवेयर, बरतन और होटलवेयर (ईपीएनएस सहित) श्रेणी

फर्नीचर, फर्नीचर हार्डवेयर और घरेलू सहायक उपकरण

ईपीसीएचविश्व के विभिन्न गंतव्यों में भारत से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और हस्तशिल्प वस्तुओं और सेवाओं की उच्च गुणवत्ता के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि पेश करने के लिए एक नोडल एजेंसी है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से सितंबर, 2021-22 तक छह महीनों के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 60.34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 15995.73 करोड़ रुपए मूल्य का हस्तशिल्प निर्यात किया गया। 

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