Karauli : गर्मी की शुरुआत में ही मांड क्षेत्र में गहराया पेयजल संकट ; चंबल का पानी बना सपना , जल स्रोत सुखे – नादोती

Karauli : गर्मी की शुरुआत में ही मांड क्षेत्र में गहराया पेयजल संकट ; चंबल का पानी बना सपना ,

जल स्रोत सुखे – नादोती

नादोती क्षेत्र में गर्मी की दस्तक के साथ ही मांड क्षेत्र में पेयजल संकट गहरा गया है लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं कई गांव में दूसरे गांव से पानी के टैंकर मंगवा कर प्यास बुझानी पड़ रही है टेंकर 700रूपये आ रहा है, नादोती क्षेत्र के गांवों में ताल, तलैया के साथ बावड़ी, बांध आदि सूख चुके हैं मवेशी भी पानी के लिए भटकते रहते हैं दो दशक से बारिश की कमी से कुएं एवं नलकूप का पानी पाताल में पहुंच गया है मांड क्षेत्र में अधिकांश गांव में कुएं सूखे पड़े हुए हैं नलकूप भी जवाब देने लगे हैं ग्रामीणों ने बताया कि सुबह उठते ही पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है बिजली कटौती से भी समस्या आ रही है

बांधों में भी नहीं पर्याप्त जल
मांड क्षेत्र नादोती, टोडाभीम के प्रमुख बांध मोहनपुरा, भंडारी का बिशनसमंद बांध महस्वा के बांध, कैमरी, का बान्ध, होदाहेली में भी पर्याप्त पानी नहीं होने से पेयजल संकट गहरा गया है पेयजल के अभाव में तलैया सूखी हुई है गढमोरा ग्राम पंचायत के धोलादाता गांव सहित नवाडेरा, भाटडा़ , आदि गांवों में लोग पानी की तलाश में दूसरे गांव में पलायन कर रहे हैं

मांड क्षेत्र के ढहरिया गांव , रिंग्सपुरा , गोट्याकापुरा, भीलापाडा़, बालाखेडा़, तिमावा,घाटोली, दलपुरा, कैमा, कस्बा शहर, ग्राम पंचायत गुढा़चन्द्रजी , कैमरी, मेढेकापुरा, तेसगांव, आदि गांवों में पानी का संकट शुरू हो गया है सरकार द्वारा मांड क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाने के लिए चंबल नादौती पेयजल परियोजना से इन सभी गांव को जोड़ा था लेकिन अभी तक लोगों को चंबल का पानी नसीब नहीं हो पाया है हालांकि कई गांव में चंबल का पानी पहुंच चुका है लेकिन वह भी तीन-चार दिन में 1 दिन आता है जो भी पर्याप्त नहीं होता है चंबल नादोती पेयजल परियोजना लोगों के लिए दिखावा साबित हो रही है कई गांव के लोग महंगे दामों पर टैंकर मंगवा रहे हैं माड इलाके में मवेशियों को भी पर्याप्त पेयजल नहीं मिलने से पशुपालकों में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है

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तीन दिन में एक दिन मिल रहा है पानी
नादौती क्षेत्र इलाके के ढहरिया, रिंगसपुरा, सहित एक दर्जन से अन्य गांवों में लंबे समय तक पेयजल किल्लत चल रही है लोगों को पाने के लिए भटकना पड़ रहा है लोगों ने बताया कि गांव में वर्ष भर हर मौसम में पेयजल किल्लत रहती है गर्मी शुरू होने के बाद पेयजल संकट गहरा गया है लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं ग्रामीणों ने बताया कि जलदाय विभाग की एक योजना से गांव में 3 दिन पानी मिल रहा है वहीं चंबल का पानी 8 दिन में एक दिन मिल पा रहा है गांव में तालाब में बावड़ी , कुएं आदि सूख चुके हैं हेन्डपंप हवा फेंक रहे हैं समाजसेवी राजेश आदिवासी रींगसपुरा, समाजसेवी कमलेश नीमरोठ, बलराम मीनाकैमा, लखन कुंजेला आदि ने बताया कि पर्याप्त पानी नहीं मिलने से परेशानी हो रही है पहले ही छोर में पानी आता है जबकि अंतिम छोर में पानी नहीं आता है कस्बा शहर में तेली मोहल्ला एवं मुख्य बाजार में हीरामन मंदिर से मुख्य बाजार में पानी की किल्लत मची हुई है पेयजल संकट के लिए भटकना पड़ रहा है महिलाएं दूर दूर से पानी लाने को मजबूर है गांव में लाखों रुपए की लागत से बनी पेयजल परियोजना की टंकी भी लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रही है ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है टैंकर के अलावा लोगों को अब शहरों की तर्ज पर पीने के लिए कैंपर मंगवाने पड रहे हैं ग्रामीणों ने नादोती, कैमा, कैमरी,मेढेकापुरा, कस्बा गुढा़चन्द्रजी सहित रिंगसपुरा, ढहरिया में पेयजल समस्या का समाधान करने की मांग की है

धोलादाता सहित कई गांव गर्मी में रहते वीरान , घरों पर लग जाते हैं ताले
नीर की पीर मिटाने के लिए पलायन को हो जाते हैं विवश
गढमोरा ग्राम पंचायत के गांव धोलादाता में हर वर्ष उभरता है पानी का संकट गर्मी के दिनों में करौली जिले के डांग क्षेत्र में पानी की किल्लत और उसके लिए दिन-रात भागदौड़ सामान्य बात है लेकिन इलाके में कई गांव में ऐसे भी हैं जिनके लोग गर्मी की शुरुआत होने पर घरों के ताले लगाकर पलायन कर जाते हैं पानी के अभाव में लोगों को घर छोड़कर गर्मी के 4 माह तक अन्य जगह बिताने पड़ते हैं दुर्गम पहाड़ी में बसे गढ़मोरा पंचायत के धोलादाता गांव में ऐसे ही हालात हैं लोग गर्मी शुरू होने पर घरों के ताले लगाकर अन्य जगह चले गए हैं क्योंकि गर्मी में गांव में पानी की बड़ी किल्लत है पीने का पानी भी नहीं मिलता है 140 घरों के लिए एक हेड पंप का सहारा है धोलादाता गांव में करीबन 140 घर हैं जिनमें 1200 लोग रहते हैं लेकिन पेयजल के लिए एकमात्र हेडपंप का सहारा है इसके अलावा नवाडेरा भाटड़ा सहित आधा दर्जन ढाणी के के लोग भी पहाड़ियों में निवास करते हैं लेकिन उनके लिए पेयजल का स्रोत नहीं है लोगों को सर्दी और बरसात में जैसे तैसे दिनों में भी कई किमी से दूर पानी लाना पड़ता है ऐसे में गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या को देखते हुए गर्मी रहने तक लोगों को अन्य जगह जाकर बस जाते हैं बरसात आने पर लौट आते हैं बरसात के दिनों में गांव में रौनक लौट आती है बरसात के दिनों में जल स्रोतों म पानी आने से लोगों को सहारा मिल जाता है जिससे वह काम चला लेते हैं धोलादाता गांव सहित आधा दर्जन गांव में गुर्जर जाति के लोग निवास करते हैं इनकी आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी में पशुओं को भी पीने का पानी नहीं मिल पाता है ग्रामीणों ने बताया कि पशुओं को लेकर गढ़मोरा सहित रेवासा ,भोडवाडा , चिरावंडा, आदि गांव में जाकर यह लोग बस जाते हैं यह व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है

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