बहुत मायने रखता है भूपेन्द्र यादव का केन्द्रीय मंत्री बनना। गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं और यादव प्रभारी हैं।

बहुत मायने रखता है भूपेन्द्र यादव का केन्द्रीय मंत्री बनना। गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं और यादव प्रभारी हैं।
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राजस्थान से राज्यसभा के सांसद भूपेंद्र यादव भी उन सांसदों में शामिल हैं जिन्होंने 7 जुलाई को दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। जिन सांसदों ने मुलाकात की है वे ही शाम को राष्ट्रपति भवन में केन्द्रीय मंत्री पद की शपथ लेंगे। अब जब भूपेन्द्र यादव मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे हैं, तब उनकी भूमिका को लेकर भी राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा होने लगी है। भाजपा खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सामने अपने गृह राज्य गुजरात में छठी बार चुनाव जीतने की चुनौती है। भूपेन्द्र यादव पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह के भरोसे मंद नेताओं में से हैं। इसलिए यादव को गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। गत चुनावों में भी यादव गुजरात के प्रभारी थे। अब देखना होगा कि मंत्री बनने के बाद यादव के पास भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पद कितने दिनों तक रहता है। हो सकता है कि गुजरात विधानसभा चुनाव तक यादव को दोनों पदों पर बनाए रखा जाए। हालांकि यादव राजस्थान के हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे राजस्थान की राजनीति में सक्रिय नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में यादव की जबर्दस्त सक्रियता है। चाहे हैदराबाद नगर निगम का चुनाव हो या फिर पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव। सभी में यादव की सक्रिय भूमिका देखने को मिली है। राज्यसभा में भी सरकार और भाजपा की ओर से फ्लोर मैनेजमेंट की जिम्मेदारी यादव के पास ही है। यादव लम्बे अर्से से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में यादव के मंत्री बनने की उम्मीद थी। लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व में यादव को संगठन के काम में ही लगाए रखा। अमित शाह के भाजपा का अध्यक्ष पद छोड़ने के समय में भी यादव का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए सामने आया था। यही वजह है कि मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की जब भी चर्चा होती थी तो भूपेन्द्र यादव का नाम सबसे ऊपर होता था। अब आखिरकार भूपेन्द्र यादव केन्द्रीय मंत्री पद की शपथ ले ही रहे हैं। यादव के केन्द्रीय मंत्री बनने से राजस्थान की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भूपेन्द्र यादव ही राजस्थान के प्रभारी थे और तब भाजपा को 200 में से 160 सीटें मिली थी। यह बात अलग है कि वसुंधरा राजे के दूसरे बार मुख्यमंत्री बनने पर यादव राजस्थान की राजनीति से दूर हो गए। असल में यादव किसी भी विवाद में नहीं पड़ने वाले राजनेता है। इस प्रवृत्ति के कारण ही यादव ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का भरोसा जीता है। चूंकि यादव अजमेर के निवासी है, इसलिए मंत्री बनने पर हर्ष का माहौल है।