समुद्री शैवाल अगर से निर्मित घावों की उन्नत मरहम पट्टी सामग्री मधुमेह के घावों का इलाज कर सकती है और प्रतिस्पर्धी लागत पर पुराने घावों का को भी ठीक कर सकती है

एक भारतीय वैज्ञानिक ने संक्रमित मधुमेह के घावों और पुराने घावों से पीड़ित रोगियों के उपचार के लिए, समुद्री शैवाल अगर से प्राप्त एक प्राकृतिक बहुलक (नेचुरल पॉलीमर), अगारोज पर आधारित एक उन्नत घाव मरहम पट्टी (ड्रेसिंग ) विकसित की है। यह स्वदेशी ड्रेसिंग पुराने घाव वाले रोगियों के लिए किफायती लागत पर प्रभावकारी मरहम पट्टी  (ड्रेसिंग) उपलब्ध कराने के साथ ही इसके व्यावसायिक उपयोग को बढाने  का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। इस जैव  विखंडनीय  असंक्रामक  मरहम पट्टी (बायोडिग्रेडेबल, नॉन-इम्यूनोजेनिक वाऊंड  ड्रेसिंग) को एक स्थिर एवं टिकाऊ स्रोत से प्राप्त करने के बाद  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के डॉ विवेक वर्मा ने आयोडीन और साइट्रिक एसिड जैसे कई योजक अणुओं को जोड़कर विकसित किया है। इस कार्य योजना को  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी कार्यक्रम से आवश्यक  सहायता प्राप्त हुई थी और इसे उस ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ भी जोड़ दिया गया  है जिसे  राष्ट्रीय पेटेंट मिल चुका  है और इसे चूहे के इन विट्रो और इन-विवो मॉडल पर परीक्षण किए जाने बाद के मान्य किया गया है ।
 
इस अनूठी घाव ड्रेसिंग में सेरिसिन, आयोडीन और साइट्रिक एसिड जैसे कई सक्रिय अणुओं को जोड़ने की भूमिका का मूल्यांकन पुराने घावों के संबंध में उनके उपचार और रोकथाम के गुणों के परिप्रेक्ष्य  में अगर के साथ किया गया है। यह आविष्कार  विशेष रूप से  संक्रमित मधुमेह के घावों के उपचार के लिए अगर ड्रेसिंग पट्टियां (फिल्में) प्रदान करता है। घाव की गंभीरता और प्रकार के आधार पर इस ड्रेसिंग को एक पट्टी (सिंगल लेयर), दोहरी पट्टी (बाइलेयर) या अनेक पट्टी (मल्टी-लेयर) वाली हाइड्रोजेल फिल्मों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।  
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