शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय संस्थानों में रूपांतरित करने के लिए लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – केंद्रीय शिक्षा मंत्री

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि राष्ट्र-प्रथम की भावना से जुड़कर देश के युवा 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत के पथ प्रदर्शक बनेंगे। श्री प्रधान ने आज आईआईटी भुवनेश्वर में पुष्पगिरी लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स और ऋषिकुल्य हॉल ऑफ रेजिडेंस के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. आर.वी. राजा कुमार और कौशल विकास संस्थान भुवनेश्वर के अध्यक्ष श्री रंजन कुमार महापात्रा द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए। यह समझौता ज्ञापन आईआईटी भुवनेश्वर की विशेषज्ञता एवं मार्गदर्शन के तहत उद्योगों के लिए प्रासंगिक तकनीकी शिक्षा के साथ बेरोजगार, अल्प-रोजगार और वंचित युवाओं में कौशल विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए है।

At the inauguration of Lecture Hall Complex and students amenities at @IITBhubaneswar. https://t.co/CYfyTK7d1T

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों को हरसंभव सहायता देकर युवाओं को अवसर उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा परिदृश्य को बदलने के लिए सरकार सामर्थ्य, सुलभता, समानता और गुणवत्ता की नींव पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर आई है। श्री प्रधान ने कहा कि यह केवल एक नीति नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य के लिए एक विजन दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य छात्रों को लचीलेपन और चयन के अधिकार के साथ सशक्त बनाकर एक छात्र-केंद्रित शिक्षा प्रणाली स्थापित करना है। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि नई शिक्षा नीति हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय संस्थानों में बदल देगी।

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श्री प्रधान ने ओडिशा में राज्य के सबसे बड़े व्याख्यान परिसर और छात्रावास के उद्घाटन के अवसर पर प्रसन्नता जताई और आशा व्यक्त की कि अतिरिक्त बुनियादी सुविधाएं छात्रों को अधिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने में सक्षम बनाएंगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देने के साथ ही आईआईटी परिसर वास्तव में भारत की प्रगति तथा उच्च शिक्षा में सफलता के प्रतीक बन गए हैं। उन्होंने शिक्षण उत्कृष्टता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आईआईटी भुवनेश्वर की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आईआईटी भुवनेश्वर को ओडिशा राज्य में एक अग्रणी संस्थान होने के नाते राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के प्रभावी कार्यान्वयन और समग्र व बहु-विषयक शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने तथा समाज के जरूरतमंद वर्गों की मदद करने का बीड़ा उठाना चाहिए।

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श्री प्रधान ने कहा कि आईआईटी और एसडीआई के बीच सहयोग से ओडिशा जैसे आपदा प्रभवित राज्य में स्थानीय तथा पर्यावरण के मुद्दों को हल करने में सहायता मिलेगी और इस तरह से यह पूरे देश के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने दोहराया कि आईआईटी भुवनेश्वर में ज्ञान और तकनीकी कौशल का एकीकरण ओडिशा जैसे राज्य में नवीन परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेगा। श्री प्रधान ने कहा कि ओडिशा की वास्तविक क्षमता यहां के नागरिकों में निहित है और इसकी वास्तविक विकास यात्रा स्थानीय युवाओं के द्वारा संचालित होनी चाहिए। उन्होंने संस्थान के शिक्षकों और छात्रों के भविष्य के लिए सभी प्रयासों में सफलता मिलने की कामना की।

इस अवसर पर डीन स्टूडेंट अफेयर्स प्रो. वी.आर. पेडिरेड्डी, डीन (आर एंड डी) प्रो. सुजीत रॉय, डीन (फैकल्टी प्लानिंग) प्रो. सरोज नायक, स्कूल ऑफ मिनरल्स, मेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग (एसएमएमएमई) के प्रमुख प्रो. पी.वी. सत्यम, पीआईसी सिविल वर्क्स और स्कूल ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर (एसआईएफ) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुमंत हलदर, रजिस्ट्रार आई/सी श्री देबराज रथ, एनबीसीसी के अधिकारी सहित अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी तथा संस्थान के कर्मचारी उपस्थित थे।

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