विद्युत मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को नया स्वरूप प्रदान किया

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर के सिंह ने मौजूदा नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र में संशोधन के लिए अपनी सहमति प्रदान की है। इस निर्णय का उद्देश्य बिजली परिदृश्य में उभरते परिवर्तनों के साथ ‘तंत्र’ को अनुरूप बनाना और नई नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना भी है।

प्रस्तावित परिवर्तन दिग्गजों को कुछ लचीलापन प्रदान करेंगे, अतिरिक्त राजस्व, विवेकीकरण और आरईसी की वैधता अवधि के अनिश्चितता के मुद्दों का भी समाधान करेंगे। इन परिवर्तनों को तैयार करने के लिए व्यापक हितधारक परामर्श आयोजित किए गए हैं। विद्युत मंत्रालय ने 4 जून, 2021 को बिजली क्षेत्र में हितधारकों की टिप्पणियों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को नया रूप देने के लिए एक विचार-विमर्श परिपत्र परिचालित किया था।

यह भी पढ़ें :   केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त राज्य अमेरिका में पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में चल रहे "वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच (ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम) -2022" में कहा है कि स्थायी जैव ईंधन परिवहन क्षेत्र से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

संशोधित आरईसी तंत्र में प्रस्तावित परिवर्तनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

संशोधित आरईसी तंत्र में प्रस्तावित परिवर्तनों को सीईआरसी द्वारा नियामक प्रक्रिया के माध्यम से लागू किया जाएगा। आरई स्रोतों की उपलब्धता और उनके नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) को पूरा करने के लिए बाध्य संस्थाओं की आवश्यकता के बीच तालमेल में कमी को दूर करने के लिए, अखिल भारतीय बाजार आधारित अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को वर्ष 2010 में शुरू किया गया था।

यह भी पढ़ें :   श्री अनुराग ठाकुर ने प्रसारकों के लिए प्रसारण सेवा पोर्टल (बीएसपी) का शुभारंभ किया

***

एमजी/एएम/आईपीएस/एसकेएस/एचबी/वीके