भारत प्रकृति और लोगों के लिए उच्च आकांक्षा गठबंधन (एचएसी) में शामिल हुआ

7 अक्टूबर को नई दिल्ली में फ्रांसीसी और भारतीय सरकारों के बीच आयोजित एक समारोह में, भारत आधिकारिक तौर पर प्रकृति और लोगों के लिए उच्च आकांक्षा गठबंधन में शामिल हो गया, जो कि 70 से अधिक देशों का एक समूह है और 30×30 की रक्षा के लिए वैश्विक लक्ष्य को अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है।

वर्तमान में दुनिया भर में अलग-अलग आर्थिक और सामाजिक स्थिति वाले देश एचएसी सदस्यों में शामिल है; यूरोपीय, लैटिन अमेरिकी, अफ्रीका और एशिया के देश इसके सदस्य हैं। भारत एचएसी में शामिल होने वाली प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के ब्रिक्स ब्लॉक में से पहला है।

भारत के द्वारा किया गया ऐलान चीन द्वारा आयोजित एक उच्च स्तरीय जैव विविधता बैठक से ठीक पहले हुआ है। 11-15 अक्टूबर को होने वाली ये वर्चुअल बैठक 2022 में अंतिम रूप दी जाने वाली जैव विविधता संधि के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेगी। वैश्विक 30×30 लक्ष्य वर्तमान में संधि का एक केन्द्रबिन्दु है।

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श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने आज आयोजित एक समारोह में हस्ताक्षरित एचएसी समझौते को भारत में फ्रांस के राजदूत महामहिम श्री इमैनुएल लूना को सौंपा।

 

भारत के एचएसी के सदस्य देशों में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए संसाधन जुटाना हमेशा नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की आधारशिला होगा और साथ ही कहा कि भारत वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों को पूरा करने के लिये सभी समर्थन सुनिश्चित करेगा।

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प्रकृति और लोगों के लिए उच्च आकांक्षा गठबंधन में शामिल होने के भारत के निर्णय का स्वागत करते हुए, जिसे जनवरी 2021 में पेरिस में “वन प्लैनेट समिट” में शुरू किया गया था, भारत में फ्रांस के राजदूत श्री इमैनुएल लूना ने कहा कि सीओपी15 के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर, भारत का उच्च आकांक्षा गठबंधन में शामिल होना एक वास्तविक गेम चेंजर है और यह हमारे बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा देगा। यह कहते हुए कि भारत जैव विविधता संरक्षण के लिए काफी महत्व रखता है, फ्रांसीसी राजदूत ने बताया कि इस गठबंधन का उद्देश्य 2030 तक दुनिया की कम से कम 30% भूमि और महासागर की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को बढ़ावा देना है।

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