The Kashmir Files : धर्म निरपेक्षता के झंडा बरदार बने हिन्दू चिंतकों, लेखकों, पत्रकारों को भी कश्मीर फाइल्स देखनी चाहिए।

कश्मीर फाइल्स फिल्म पर कांग्रेस के ट्वीट से ही गांधी परिवार को लगातार हो रही

हार का कारण समझ लेना चाहिए।

The Kashmir Files : धर्म निरपेक्षता के झंडा बरदार बने हिन्दू चिंतकों, लेखकों,

पत्रकारों को भी कश्मीर फाइल्स देखनी चाहिए।

कॉमेडियन कपिल शर्मा में थोड़ी से भी राष्ट्रभक्ति है तो सलमान खान का शो छोड़ देना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों में करारी हार को लेकर 13 मार्च को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी दोनों संतान राहुल गांधी व प्रियका गांधी ने त्याग की भावना दिखाते हुए कांग्रेस से किनारा करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खडग़े, केसी वेणुगोपाल जैसे गांधी परिवारजीवी नेताओं ने तीनों के इस्तीफे की बात को दरकिनार कर हार के कारणों का पता लगाने की बात कह कर बैठक को समाप्त कर दिया।
गांधी परिवार को कांग्रेस की हार का पता लगाने के बजाए कश्मीर फाइल्स फिल्म पर कांग्रेस के ट्वीट पढ़ लेने चाहिए। 30 साल पहले कश्मीर में हिन्दुओं खास महिलाओं पर जो अत्याचार हुए, उसे कांग्रेस आज भी जायज ठहरा रही है। विवेक अग्निहोत्री द्वारा बनाई गई, इस फिल्म में 90 के दशक की उन यातनाओं को दिखाया है जो चार लाख हिन्दुओं ने सही है। उस समय की सरकारों ने किस प्रकार हिन्दुओं को भेडिय़ों के सामने निहत्था छोड़ दिया। यदि सरकारें मददगार होती तो चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर से पलायन नहीं करना पड़ता।
आज तीस साल बाद भी कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि यह अलगाववादियों और हिन्दुओं के बीच का विवाद था। कांग्रेस के जिन नेताओं ने फिल्म पर ऐसे ट्वीट किए हैं उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। आज भी उन दर्दनाक घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस की हार का यही सबसे बड़ा कारण है। कांग्रेस का रुख हमेशा से ही तुष्टीकरण का रहा है, इसलिए आज कांग्रेस सिकुड़ती जा रही है।
झंडाबरदार फिल्म को देखें:
अफसोस तब होता है, जब अनेक हिन्दू चिंतक, लेखक, पत्रकार ही धर्म निरपेक्षता के झंडाबरदार बन हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। ऐसे झंडाबरदारों को कश्मीर फाइल्स फिल्म देखनी चाहिए। उस समय धर्मनिरपेक्षता की भावना कहां मर जाती है, जब अलगाववाद की आड़ में हिन्दू लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं होती है। सब जानते हैं कि 90 के दशक में कश्मीर की मस्जिदों से हिन्दुओं को अपना घर छोड़ने की चेतावनी दी जाती थी। मस्जिद से हुई घोषणा के बाद यदि कोई हिन्दू अपना घर नहीं छोड़ता तो उसे घर से बाहर निकाल कर सरेआम गोली मार दी जाती थी।
आज जब इन घटनाओं को लेकर फिल्म बनी है, तब भी अनेक हिन्दू चिंतक लेखक, पत्रकार धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ मैदान में आ गए हैं। लेकिन ऐसे चिंतक हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं। धर्मनिरपेक्षता का असल चेहरा देखना है तो अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह पर देखा जा सकता हे। दरगाह में मजार भले ही सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की हो, लेकिन मजार शरीफ पर प्रतिदिन हजारों हिन्दू जियारत के लिए आते हैं। एक और कश्मीर के अलगाववादी है जो हिन्दू महिलाओं के साथ ज्यादती करते हैं तो दूसरी तरफ वो हिन्दू है जो दरगाह में जाकर जियारत करते हैं।
सलमान का शो:
कहा जा सकता है कि कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रमोशन करने के लिए कपिल शर्मा शो के मालिक फिल्म स्टार सलमान खान ने इंकार कर दिया है। वैसे तो कश्मीर फाइल्स को सलमान खान के शो में प्रमोशन की जरूरत नहीं है, लेकिन अब यदि शो के एंकर कपिल शर्मा में थोड़ी सी भी राष्ट्रभक्ति है तो उन्हें यह शो छोड़ देना चाहिए। असल में यह किसी फिल्म के प्रमोशन का मुद्दा नहीं है। यह मुद्दा देशवासियों की भावनाओं से जुड़ा है।
कपिल शर्मा खुद कई बार कह चुके हैं कि सलमान भाई के शो में मैं अपनी बेइज्जती इसलिए करवाता हूं कि मुझे मोटी राशि मिलती है। कपिल को अब मोटी कमाई का मोह छोड़ देना चाहिए। यदि कपिल शर्मा, सलमान का यह शो नहीं छोड़ते हैं तो फिर दर्शकों को कपिल शर्मा कॉमेडी नाइट वाला शो देखना छोड़ देना चाहिए। हमें ऐसे शो नहीं देखने चाहिए जो अलगाववादियों का समर्थन करते हों।