पाकिस्तान की यात्रा में आडवाणी तो जिन्ना की मजार पर भी गए थे। भारत रत्न पर ओवैसी और अखिलेश को ऐतराज क्यों?
पाकिस्तान की यात्रा में आडवाणी तो जिन्ना की मजार पर भी गए थे। भारत रत्न पर ओवैसी और अखिलेश को ऐतराज क्यों?

पाकिस्तान की यात्रा में आडवाणी तो जिन्ना की मजार पर भी गए थे। भारत रत्न पर ओवैसी और अखिलेश को ऐतराज क्यों?

पाकिस्तान की यात्रा में आडवाणी तो जिन्ना की मजार पर भी गए थे।
भारत रत्न पर ओवैसी और अखिलेश को ऐतराज क्यों?
देवनानी ने आडवाणी को अपना मार्गदर्शक बताया।
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देश के उपप्रधानमंत्री और लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐतराज जताया है। ओवैसी का कहना रहा कि आडवाणी हिंदू राष्ट्र के पक्षधर है, इसलिए उन्हें भारत रत्न नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों पर राजनीति करने वाले अखिलेश यादव का कहना है कि हिंदुओं के वोट हासिल करने के लिए आडवाणी को भारत रत्न दिया गया है। इन दोनों नेताओं के बयान से प्रतीत होता है कि आडवाणी को सिर्फ हिंदुओं का नेता माना जा रहा है। यह सही है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आडवाणी ने देशव्यापी राम रथ यात्रा निकाली थी। 1992 में जब बाबरी ढांचा गिराया गया तब भी आडवाणी की सक्रिय भूमिका रही थी। भले ही आडवाणी की छवि हिंदुत्ववादी नेता की रही हो, लेकिन आडवाणी ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे मुसलमानों का नुकसान हुआ हो। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आडवाणी का मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर जाना है। सब जानते हैं कि जिन्ना ने ही धर्म के आधार पर पाकिस्तान का जन्म करवाया। 1947 में देश के विभाजन के समय जिन्ना की मांग पर ही पाकिस्तान को अलग राष्ट्र घोषित किया गया। इन सबके बावजूद आडवाणी ने भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए 4 जून 2005 को पाकिस्तान की अधिकृत यात्रा की। इस दौरान आडवाणी जिन्ना की मजार पर भी गए। यदि आडवाणी के मन में मुसलमानों के प्रति कोई द्वेषता होती तो वह जिन्ना की मजार पर नहीं जाते। इसलिए ओवैसी और अखिलेश को आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। ओवैसी और अखिलेश यादव जैसे नेता माने या नहीं, लेकिन भारत का कोई भी राजनेता आज मुसलमानों की अनदेखी नहीं कर सकता है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने उन्हीं मुसलमानों के खिलाफ कार्यवाही की जो आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे। इनमें हिंदू समुदाय के गुंडा तत्व भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश का आम मुसलमान भी मानता है कि योगी सरकार ने परेशान नहीं किया है। गुंडा तत्वों के खिलाफ कार्यवाही होने से कानून व्यवस्था की स्थिति मजबूत हुई है।
96 वर्ष की उम्र का सम्मान:
भारत की राजनीति में आडवाणी का बड़ा योगदान है। उन्होंने राजनीति में शुचिता की मिसाल कायम की है। आज भले ही भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी हो, लेकिन आडवाणी ने भाजपा का नेतृत्व तब किया, जब भाजपा को सिर्फ हिंदी भाषी राज्यों की पार्टी माना जाता था। आडवाणी के समय कांग्रेस देश की सबसे शक्तिशाली पार्टी थी, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर आडवाणी ने कांग्रेस से मुकाबला किया। आडवाणी जैसे नेताओं ने भाजपा की जो नींव रखी उसी का परिणाम है कि आज लोकसभा में भाजपा के तीन सौ से भी ज्यादा सांसद हैं और 17 राज्यों में भाजपा व समर्थन से चलने वाली सरकार हैं। अब जब आडवाणी की उम्र 96 वर्ष है, तब देश के सर्वोच्च भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की गई है। आडवाणी इस सम्मान के न केवल अधिकारी है, बल्कि इससे भारत रत्न का सम्मान भी बढ़ा है। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार ने एक पात्र व्यक्ति को भारत रत्न दिया है।
मार्ग दर्शक -देवनानी:
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का आभार जताया है। देवनानी ने कहा कि आज उनका हृदय अत्यंत प्रसन्न है। आडवाणी का संपूर्ण जीवन राष्ट्र और समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा। देवनानी ने कहा कि आडवाणी जी का आशीर्वाद और स्नेह मुझे वर्षों से लगातार मिल रहा है। राजनीति में आडवाणी मेरे मार्गदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि आडवाणी ने अपने राजनीतिक कौशल प्रशासकीय अनुभव और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण से भारत के भविष्य की नींव रखी और राष्ट्र निर्माण में जुटे रहे। आडवाणी हम सभी के लिए तपस्या, त्याग, संघर्ष, समर्पण के प्रेरणा स्रोत हैं।
S.P.MITTAL