Indian Railways : सीबीआई ने शुरु की फिटकरी घोटाले की जांच, पहले ही दिन
पकड़ी 5 करोड़ की गड़बड़ी, रेलवे में मचा हड़कंप, खबर का असर
Kota Rail News : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार से फिटकरी (एलम) परिवहन घोटाले मामले की जांच शुरू कर दी है। जयपुर से आई सीबीआई की 6 सदस्यीय टीम ने पहले दिन भरतपुर, मांडलगढ़, शंभूपुरा और रांवठारोड में छापामार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में सीबीआई ने पहले ही दिन करीब 5 करोड़ रुपए घोटाले पकड़ा है। शुरुआती जांच में सीबीआई को मांडलगढ़ से करीब 20 मालगाड़ियां रवाना होने कब पता चला है। एक मालगाड़ी पर रेलवे को करीब साढे 22 लाख रुपए का चूना लगा है।
कार्रवाई के दौरान सीबीआई ने मामले से संबंधित कागजातों को भी जप्त किया है। साथ ही स्टेशन स्टाफ से भी पूछताछ कर मौके से पाउडर के सैंपल भी लिए हैं।
सूत्रों ने बताया कि कार्रवाई के दौरान सीबीआई को उदयपुर के पास एक और स्टेशन से भी मालगाड़ियां रवाना होने की जानकारी मिली है। यहां भी सीबीआई जल्द ही दबिश दे सकती है। इसके अलावा कोटा और कई अन्य जगह भी सीबीआई जल्द पहुंच सकती है।
अधिकारियों को किया जयपुर तलब
मामले में सीबीआई ने कोटा मंडल रेलवे के अधिकारियों को सोमवार को जयपुर तलब किया है। सीबीआई ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि अधिकारी अपने साथ एलम पाउडर के नाम से अब तक भेजी गई मालगाड़ियों का पूरा रिकॉर्ड लेकर आएं।
इस कार्रवाई की जानकारी मिलते ही कोटा से लेकर पश्चिम-मध्य रेलवे जबलपुर मुख्यालय तक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। अपने आप को फंसता देख कई अधिकारियों ने बचाव के उपाय खोजना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इस पूरे मामले में कोटा से लेकर मुख्यालय तक कई बड़े अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं।
विजिलेंस की भी जांच
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई द्वारा इस पूरे मामले में रेलवे विजिलेंस और चल लेखा विभाग की भूमिका की भी जांच कर सकती है। सीबीआई जानना चाहती है कि लंबे समय से चल रहे इतने बड़े घोटाले की भनक आखिर विजिलेंस और चल लेखा विभाग को क्यों नहीं लगी। जबकि ऐसे ही मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं। इसके अलावा सीबीआई यह भी जानना चाहती है कि मामला सामने आने के बाद विजिलेंस और लेखा विभाग में क्या कार्रवाई की। अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों एजेंसियों ने इस घोटाले के लिए किसको जिम्मेदार ठहराया या फिर एजेंसियों ने इसे घोटाला माना ही नही।
गौरतलब है कि घोटाला सामने आने के बाद इन दोनों विभागों ने भी मामले की जांच की थी।
जनप्रतिनिधियों की भी जांच
इस पूरे मामले में केंद्र और राज्य सरकार के जुड़े कुछ प्रतिनिधियों के भी शामिल होने की बात सामने आ रही है। देर सवेर विजिलेंस के इन जनप्रतिनिधियों तक भी पहुंच सकती है। इसके लिए विजिलेंस ने सबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों घोटाले की जिम्मेदार ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक एक नेता के साथ देखा भी गया था।
किराए का अंतर बना घोटाले का कारण
इस पूरे मामले में माल परिवहन के किराए में बड़ा अंतर ही इस घोटाले का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
गौरतलब है कि रेलवे में मार्बल पाउडर परिवहन का किराया 2800 प्रति टन है जबकि फिटकरी का किराया मात्र 1200 रुपए है। इसके चलते पार्टी ने रेल अधिकारियों से मिलीभगत कर एलम की जगह मार्बल पाउडर भेज दिया। इससे रेलवे को करोड़ों रुपए का चूना लग चुका है।
रेलवे कबूल कर चुकी है घोटाला
उल्लेखनीय है कि रेलवे भी मान चुकी है फिटकरी परिवहन के नाम पर घोटाला हुआ है। लेकिन घोटाला कितना बड़ा है, रेलवे ने इसका खुलासा नहीं किया है। साथ ही किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाने की बात सामने नहीं आई। रेलवे ने सिर्फ इतनी जानकारी दी है कि उसने ट्रांसपोर्ट कंपनी पर जुर्माना लगाया है। रेलवे ने इस जुर्माने राशि का भी जिक्र नहीं किया है। हालांकि कंपनी ने इस मामले को रेलवे ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है।
जांच में साबित हो चुका है घोटाला
उल्लेखनीय है कि मामला सामने आने के बाद रेलवे ने वर्कशॉप में परिवहन किए गए पाउडर की जांच कराई थी। इस जांच में भी इस पाउडर के मार्बल का अंश होने का पता चला है। जांच रिपोर्ट में इस पाउडर को एलम नहीं माना है।
खबर का असर
उल्लेखनीय है कि इस मामले को पिछले करीब तीन महीने से लगातार उठाया जा रहा है। ‘कोटा रेल न्यूज़’ द्वारा ही इस बात का सबसे पहले खुलासा किया गया था कि सीबीआई मामले में जल्द ही अपनी जांच शुरू कर सकती है। लगातार आ रही खबरों पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई ने कार्रवाई करने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि एक ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा कोटा, मांडलगढ़, शंभूपुरा, रांवठारोड तथा भरतपुर आदि स्टेशनों से एलम के नाम पर मार्बल पाउडर भेजा जा रहा था। पिछले डेढ़ साल में कंपनी ऐसी सैंकड़ों मालगाड़ियां असम और गुवाहाटी के लिए रवाना कर चुकी है।