भारत डब्ल्यूआईपीओ के वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक में 40वें रैंक पर पहुंचा, 7 वर्षों में 41 स्थानों की बड़ी छलांग लगाई

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत ने वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक (जीआईआई) में 2015 के 81वें स्थान से आज 2022 में 40वें स्थान पर पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछली बार जब रैंकिंग की गई थी, तो हम 46वें स्थान पर थे। हमने पिछले कुछ वर्षों में आईसीटी सेवाओं के निर्यात में भी प्रथम स्थान बनाये रखा है। श्री गोयल विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक, 2022 के लॉन्‍च के अवसर पर वर्चुअल रूप से संदेश दे रहे थे।

श्री गोयल ने कहा कि जीआईआई ने खुद को दुनिया भर की सरकारों के लिए नीतियों एवं उनके प्रभाव को प्रतिबिंबित करने के एक माध्यम के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जीआईआई ने पिछले कुछ वर्षों से सरकार और उद्योग द्वारा एकजुट होकर काम करने के जरिये उठाये गए प्रगतिशील कदमों के कारण भारत के निरंतर विकास को मान्यता दी है।’’  उन्होंने 1.3 बिलियन भारतीयों की तरफ से डब्ल्यूआईपीओ के प्रति कृतज्ञता भी जताई और कहा कि भारत आज जीआईआई सूचकांक में अपनी रैंकिंग को शीर्ष 25 में ले जाने की आकांक्षा रखता है।

India Innovating Like Never Before! India climbs to the 40th rank in the Global Innovation Index of @WIPO, a huge leap of 41 places in 7 years.The steady rise testifies that India under the leadership of PM @NarendraModi ji is rapidly emerging as the global innovation hub. pic.twitter.com/pltqW8kdUh

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श्री गोयल ने कहा कि नवोन्मेषण अर्थव्यवस्था और समाज के लिए एक उत्प्रेरक बल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि, नवोन्मेषण का अर्थ नवीनता है, यह भारत में हमारे लिए परंपराओं में भी निहित है। वेदों और पारंपरिक चिकित्सा सहित प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान भारत की नवोन्मेषी भावना का एक प्रमाण है।’’   

श्री गोयल ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूएचओ के सहयोग से अपनी तरह का पहला वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया है जो भारत के प्राचीन वैज्ञानिक कौशल का प्रतिनिधित्व करता है।

श्री गोयल ने कहा कि जैसे-जैसे ‘ज्ञान अर्थव्यवस्था’ का महत्व बढ़ रहा है, नवोन्मेषण भारत में विकास के लिए रूपरेखा तैयार कर रहा है। ‘‘उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘हम सभी सेक्टरों में अनुसंधान एवं विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जैसाकि नवोन्मेषण को हमारे देश का मिशन बनाने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपील की गई है।’’

श्री गोयल ने कहा कि हमारे युवाओं की स्फूर्ति, उत्साह तथा ऊर्जा स्टार्ट अप परितंत्र को शक्ति प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत आज तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट अप इकोसिस्टम है और यहां 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्टार्ट अप क्रांति पूरे देश में फैल चुकी है। आधे से अधिक स्टार्ट अप्स सुदूर के छोटे शहरों से हैं।’’

श्री गोयल ने विचार व्यक्त किया कि इनक्यूबेशन, आरंभिक सहायता, वित्त पोषण, उद्योग-शिक्षा क्षेत्र की साझीदारी तथा मेंटरशिप ने देश भर में उद्यमशीलता की भावना प्रज्‍ज्‍वलित कर दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने 2015 में ‘डिजिटल इंडिया’ की यात्रा का सूत्रपात किया था और उसने अगले कुछ वर्षों के दौरान एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने बताया, ‘‘सरकार की पहलों तथा सार्वजनिक सेवाओं के डिजिटाइजेशन पर हमारा निरंतर फोकस रहा है।’’  

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श्री गोयल ने कई क्षेत्रों को रेखांकित किया जिनमें डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है जिनमें जीआईएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के जरिये पूंजीगत परिसंपत्तियों का मानचित्रण करने से लेकर यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने जैसे क्रांतिकारी कदम शामिल हैं। वास्तव में, पिछले वर्ष भारत में 40 प्रतिशत वैश्विक रियल टाइम डिजिटल लेनदेन हुए। उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘नवोन्मेषण को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए, हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है जो इनक्यूबेशन तथा प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों की स्थापना के माध्यम से पूछताछ की भावना को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा, 9000 से अधिक अटल टिकरिंग लैब्स के साथ, हम युवाओं को समाज की समस्याओं के समाधान का विकास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’’

श्री गोयल ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ने आईपी कार्यालय के आधुनिकीकरण, कानूनी अनुपालनों को कम करने तथा स्टार्टअप्स, महिला उद्यमियों, छोटे उद्योगों और अन्य सहित अपनी आईपीआर व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कई संरचनागत सुधार आरंभ किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच वर्षों में घरेलू पैटेंट दायर करने की दर में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अब हम तेजी से एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में रूपांतरित हो रहे हैं।’’

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