प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में डेफएक्सपो22 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में महात्मा मंदिर सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र में डेफएक्सपो 2022 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इंडिया पवेलियन में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिजाइन किए गए स्वदेशी ट्रेनर विमान एचटीटी-40 का भी अनावरण किया। विमान में अत्याधुनिक उन्नत प्रणालियां हैं और इसे पायलट के अनुकूल सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है। प्रधानमंत्री ने उद्योग और स्टार्ट-अप के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में सशस्त्र बलों के लिए अभिनव समाधान विकसित करने के उद्देश्य से मिशन डेफस्पेस का भी शुभारंभ किया। उन्होंने गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला भी रखी।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रधानमंत्री के रूप में और गुजरात के एक पुत्र के रूप में एक सक्षम और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आयोजन में प्रतिनिधियों का स्वागत किया। डेफएक्सपो 2022 के आयोजन पर टिप्पणी करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ‘न्यू इंडिया’ और इसकी क्षमताओं की एक तस्वीर पेश करता है जिसका संकल्प अमृतकाल के समय गढ़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश के विकास के साथ-साथ राज्यों के सहयोग का एक मिलाजुला रूप है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसमें युवाओं की शक्ति और सपने हैं, इसमें युवाओं के संकल्प और क्षमताएं हैं। इसमें दुनिया के लिए आशाएं हैं और मित्र देशों के लिए अवसर हैं।”

डेफएक्सपो के इस आयोजन की विशिष्टता के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “यह पहला रक्षा एक्सपो है जहां केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं और इसमें केवल भारत में निर्मित उपकरण शामिल ही है।” उन्होंने घोषणा करते हुए कहा, “लौह पुरुष सरदार पटेल की भूमि से, हम दुनिया के सामने भारत की क्षमताओं का एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। एक्सपो में 1,300 से अधिक प्रदर्शक हैं जिनमें भारत का रक्षा उद्योग, भारतीय रक्षा उद्योग से जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, एमएसएमई और 100 से अधिक स्टार्ट-अप शामिल हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक ही फ्रेम में भारत की क्षमता और संभावना की एक झलक प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि पहली बार 400 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।

विभिन्न देशों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि जब भारत अपने सपनों को साकार कर रहा है, तो अफ्रीका के 53 मित्र देश हमारे साथ आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर दूसरी भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता भी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और अफ्रीका के बीच यह संबंध दीर्घकालिक तौर पर प्रमाणित विश्वास पर आधारित है जो समय बीतने के साथ और गहरा हो रहा है और नए आयामों को छू रहा है।” अफ्रीका और गुजरात के बीच पुराने संबंधों के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने याद किया कि अफ्रीका में पहली रेलवे लाइनों में कच्छ के लोगों की भागीदारी थी। अफ्रीका में दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले कई शब्दों की उत्पत्ति अफ्रीका में गुजराती समुदाय से हुई है। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी जैसे वैश्विक नेता के लिए भी, अगर गुजरात उनकी जन्मभूमि थी, तो अफ्रीका उनकी पहली ‘कर्मभूमि’ थी। अफ्रीका के प्रति यह आत्मीयता अभी भी भारत की विदेश नीति के केंद्र में है। कोरोना काल में, जब पूरी दुनिया वैक्सीन को लेकर चिंतित थी, भारत ने अफ्रीका में हमारे मित्र देशों को प्राथमिकता देते हुए वैक्सीन दी।”

एक्सपो के दौरान दूसरा हिंद महासागर क्षेत्र प्लस (आईओआर+) कॉन्क्लेव भी आयोजित किया जाएगा, जो आईओआर+ राष्ट्रों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक वार्ता के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जो कि प्रधानमंत्री के सभी के लिए सुरक्षा और विकास का विजन (सागर) के अनुरूप क्षेत्र में शांति, विकास, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर वैश्विक व्यापार तक, समुद्री सुरक्षा वैश्विक प्राथमिकता के रूप में उभरी है। वैश्वीकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है।” उन्होंने यह भी कहा, “दुनिया की भारत से उम्मीदें बढ़ी हैं, और मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि भारत उन्हें पूरा करेगा। इसलिए यह डिफेंस एक्सपो भारत के प्रति वैश्विक भरोसे का भी प्रतीक है।”

प्रधानमंत्री ने विकास और औद्योगिक क्षमताओं के संबंध में गुजरात की पहचान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “यह डिफेंस एक्सपो इस पहचान को एक नई ऊंचाई दे रहा है।” उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में गुजरात रक्षा उद्योग के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा।

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गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला रखते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य में वायुसेना अड्डा देश की सुरक्षा संरचना में इजाफा करेगा। सीमा के साथ डीसा की निकटता के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। श्री मोदी ने कहा, “सरकार में आने के बाद, हमने डीसा में एक ऑपरेशनल बेस स्थापित करने का फैसला किया, और हमारी सेनाओं की यह उम्मीद आज पूरी हो रही है। यह क्षेत्र अब देश की सुरक्षा का एक प्रभावी केंद्र बनेगा।”

अपने संबोधन को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक उदाहरण है कि भविष्य में किसी भी मजबूत राष्ट्र के लिए सुरक्षा का क्या अर्थ होगा। इस क्षेत्र में तीनों सेनाओं द्वारा विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा की गई है और पहचान की गई है। हमें उन्हें हल करने के लिए तेजी से काम करना होगा।” उन्होंने कहा कि ‘मिशन डिफेंस स्पेस’ न केवल नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और बलों को मजबूत करेगा बल्कि नए और अभिनव समाधान भी प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत की उदार अंतरिक्ष कूटनीति की नई परिभाषाओं को आकार दे रही है, नई संभावनाओं को जन्म दे रही है। उन्होंने कहा, “कई अफ्रीकी देश और कई अन्य छोटे देश इससे लाभान्वित हो रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने बताया कि 60 से अधिक विकासशील देश हैं जिनके साथ भारत अपना अंतरिक्ष विज्ञान साझा कर रहा है। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया उपग्रह इसका एक प्रभावी उदाहरण है। अगले साल तक, दस आसियान देशों को भी भारत के उपग्रह डेटा तक तत्काल पहुंच मिल जाएगी। यहां तक कि यूरोप और अमरीका जैसे विकसित देश भी हमारे सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में नया भारत इरादों, नवोन्मेष और क्रियान्वयन के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। 8 साल पहले तक भारत को दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक माना जाता था। लेकिन न्यू इंडिया ने इरादा दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई और ‘मेक इन इंडिया’ आज रक्षा क्षेत्र में एक सफलता की कहानी बन रही है। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा है। हम दुनिया के 75 से अधिक देशों में रक्षा सामग्री और उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं। 2021-22 में भारत से रक्षा निर्यात 1.59 अरब डॉलर यानी करीब 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में हमने 5 अरब डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।”

दुनिया आज भारत की तकनीक पर निर्भर है क्योंकि भारत की सेनाओं ने अपनी क्षमता साबित कर दी है। भारतीय नौसेना ने आईएनएस-विक्रांत जैसे अत्याधुनिक विमानवाहक पोतों को अपने बेड़े में शामिल किया है। इंजीनियरिंग की इस विशाल और विराट कृति को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी तकनीक से बनाया है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय वायु सेना द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित ‘प्रचंड’ हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों को शामिल करना भारत की रक्षा क्षमता का एक स्पष्ट उदाहरण है।”

भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सेनाओं ने उपकरणों की दो सूचियों को भी अंतिम रूप दिया है, जिन्हें केवल देश के भीतर ही खरीदा जाएगा। ऐसे ही 101 आइटम्स की ये सूची आज जारी की जा रही है। ये फैसले आत्मनिर्भर भारत की क्षमता को भी दर्शाते हैं। सूची जारी होने के बाद रक्षा क्षेत्र के 411 ऐसे उपकरण और यंत्र होंगे, जिन्हें सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खरीदा जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि इतना बड़ा बजट भारतीय कंपनियों की नींव को मजबूत करेगा और उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे देश के युवा सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रक्षा आपूर्ति के क्षेत्र में कुछ कंपनियों द्वारा बनाए गए एकाधिकार को प्रतिस्थापित करने के लिए विश्वसनीय विकल्प अब बढ़ रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “भारत के युवाओं ने रक्षा उद्योग में इस एकाधिकार को तोड़ने की ताकत दिखाई है और हमारे युवाओं का यह प्रयास वैश्विक भलाई के लिए है।” उन्होंने रेखांकित किया कि दुनिया के छोटे-छोटे देश जो संसाधनों के अभाव में अपनी सुरक्षा में पीछे रह गए हैं, उन्हें अब इसका बड़ा लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “भारत रक्षा क्षेत्र को अवसरों के अनंत आकाश, सकारात्मक संभावनाओं के रूप में देखता है।” रक्षा क्षेत्र में निवेश के अवसरों के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत यूपी और तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारे बना रहा है तथा दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करने आ रही हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में एमएसएमई की ताकत पर भी प्रकाश डाला और बताया कि इस निवेश के पीछे आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक बड़ा नेटवर्क बनाने के दौरान इन बड़ी कंपनियों को हमारे एमएसएमई द्वारा समर्थन दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर निवेश से उन क्षेत्रों में युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे, जिनके बारे में पहले सोचा भी नहीं गया था।”

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प्रधानमंत्री ने डेफएक्सपो में उपस्थित सभी कंपनियों का आह्वान किया और उनसे भविष्य के भारत को केंद्र में रखते हुए इन अवसरों को आकार देने का आग्रह किया। अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, “आप नवाचार करते हैं, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने का संकल्प लेते हैं, और एक मजबूत विकसित भारत के सपने को आकार देते हैं। आप हमेशा मुझे वहां आपका समर्थन करते हुए पाएंगे।”

अपने संबोधन में, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ‘पाथ टू प्राइड’ को न केवल डेफएक्सपो 2022 का विषय बताया, बल्कि ‘न्यू इंडिया’ का एक नया उद्देश्य भी बताया, जो मजबूत और ‘आत्मनिर्भर’ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘अमृतकाल’ की शुरुआत में डेफएक्सपो 2022 का आयोजन देश को सभी खतरों से बचाने और अगले 25 वर्षों में भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए सरकार के मजबूत संकल्प को दर्शाता है। रक्षा मंत्री ने कहा, “डेफएक्सपो एक महत्वाकांक्षी और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। यह भारत के गौरव, शक्ति और संकल्प का प्रतीक है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उत्साही नेतृत्व में भारतीय रक्षा क्षेत्र पूरे समर्पण के साथ राष्ट्रीय गौरव के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने डेफएक्सपो 2022 में रक्षा मंत्रियों, सेवा प्रमुखों और 80 से अधिक देशों के अधिकारियों के अलावा अपनी नवीनतम तकनीकों के साथ 1,300 से अधिक भारतीय प्रदर्शकों की बड़ी भागीदारी को भारत के उभरते व्यापार क्षमता में घरेलू और वैश्विक व्यापार समुदाय के नए विश्वास के लिए एक प्रमाण करार दिया। उन्होंने कहा कि डेफएक्सपो में और इससे पहले द्विपक्षीय बैठकों के दौरान, कई देशों ने भारत में बनाए जा रहे रक्षा उपकरण/प्रौद्योगिकियों/प्रशिक्षण प्रणालियों में रुचि दिखाई है, जो रक्षा क्षेत्र के विकास को दर्शाता है।

यह बताते हुए कि भारतीय रक्षा उद्योग का बदलता परिदृश्य निजी क्षेत्र को नए अवसर प्रदान कर रहा है, श्री राजनाथ सिंह ने कहा, आज बड़े औद्योगिक घराने रक्षा परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और बड़े निवेश करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर सरकार द्वारा समान रूप से जोर दिए जाने के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में इन उद्यमों की भागीदारी को विशेष रुप से प्रोत्साहित किया जा रहा है।

अनुसंधान और विकास को एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, सरकार रक्षा उत्पादन में तकनीकी नेतृत्व हासिल करने के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास को लेकर वित्तपोषण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट फंड और इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडेक्स) पहल उसी दिशा में कदम हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, “जमीन, पानी और आकाश पहले से ही हमारी सेना की वीरता के साक्षी हैं, लेकिन अब हम अंडर वाटर डोमेन अवेयरनेस के रूप में समुद्र की गहराई तक पहुंचकर और एयरो-स्पेस फोर्स के रूप में अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक पहुंचकर अपनी रक्षा क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया मिशन डेफ-स्पेस उस दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है। मिशन डेफ-स्पेस के तहत, अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर नवीन समाधान प्राप्त करने के लिए 75 चुनौतियों पर काम किया जा रहा है।

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, सेना प्रमुख जनरल अनिल चौहान, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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