प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ता से आतंकवाद से निपटने में संशय की किसी भी स्थिति से बचने को कहा है और उन देशों को भी चेतावनी दी है जो आतंकवाद का विदेश नीति के एक साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। प्रधानमंत्री आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर आज नई दिल्ली में तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ (एनएमएफटी) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
सभा का स्वागत करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत में होने वाले सम्मेलन के महत्व की चर्चा की और याद दिलाया कि जब देश ने बहुत पहले आतंक का काला चेहरा देखा तब दुनिया ने इसे गंभीरता से लिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “दशकों में,” “विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की।” उन्होंने कहा कि भले ही हजारों कीमती जानें चली गईं, भारत ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह सभी प्रतिनिधियों के लिए भारत और उसके लोगों के साथ बातचीत करने का एक अवसर है, जो आतंकवाद से निपटने में दृढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “ हम एक अकेले हमले को भी कई हमलों की तरह मानते हैं। एक जनहानि भी अनके जनहानि के बराबर है। इसलिए, जब तक आतंकवाद जड़ से खत्म नहीं हो जायेगा, हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
इस सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे सिर्फ मंत्रियों के जमावड़े के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि आतंकवाद पूरी मानवता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव खासतौर से गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी होता है। श्री मोदी ने टिप्पणी की “चाहे पर्यटन हो या व्यापार, कोई भी व्यक्ति ऐसा क्षेत्र पसंद नहीं करता जो लगातार खतरे में हो।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद के परिणामस्वरूप लोगों की आजीविका छिन जाती है। यह बेहद जरूरी है कि हम आतंकवादी संगठनों को गैरकानूनी तरीके से नकदी का प्रवाह रोकें।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने में किसी भी प्रकार के संशय के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने आतंकवाद की गलत धारणाओं का जिक्र किया और कहा “अलग-अलग हमलों की प्रतिक्रिया की तीव्रता इस आधार पर भिन्न नहीं हो सकती है कि वे कहां होते हैं। सभी आतंकवादी हमलों के खिलाफ समान आक्रोश और कार्रवाई होनी चाहिए। कई बार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई रोकने के लिए आतंकवाद के समर्थन में अप्रत्यक्ष तर्क दिए गए। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक खतरे से निपटने के दौरान संशय के लिए कोई स्थान नहीं है। “अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद नाम की कोई चीज नहीं है। यह मानवता, स्वतंत्रता और सभ्यता पर हमला है। इसकी कोई सीमा नहीं है”। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “केवल एक समान, एकीकृत और जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण आतंकवाद को पराजित कर सकता है।”
एक आतंकवादी से और आतंकवाद से लड़ने के बीच के अंतर पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक आतंकवादी को हथियारों और तत्काल सामरिक प्रतिक्रियाओं से बेअसर किया जा सकता है, लेकिन उन्हें गैरकानूनी तरीके से मिलने वाले धन को चोट पहुंचाए बिना हम इन रणनीतिक लाभों को गंवा देंगे। श्री मोदी ने कहा, “आतंकवादी एक व्यक्ति होता है लेकिन आतंकवाद व्यक्तियों का फैला हुआ एक नेटवर्क है।” प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमला रक्षा करने का सबसे अच्छा स्वरूप है और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए एक व्यापक, सक्रिय, प्रणालीगत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, उनका समर्थन करने वाले नेटवर्क को तोड़ना चाहिए और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए उनकी आय पर चोट पहुंचानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय समर्थन के प्रमुख स्रोतों में से एक के रूप में देश के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से छद्म युद्धों से सतर्क रहने को भी कहा। आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। आतंकवादियों के लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को भी अलग-थलग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसे मामलों में कोई अगर-मगर नहीं हो सकता। दुनिया को आतंक को हर प्रकार के प्रत्यक्ष और गोपनीय समर्थन के खिलाफ एकजुट करने की आवश्यकता है।”
प्रधानमंत्री ने संगठित अपराध को आतंकी फंडिंग के एक अन्य स्रोत के रूप में रेखांकित किया और आपराधिक गिरोहों व आतंकवादी संगठनों के बीच गहरे संबंधों की बात जोर देकर कही, उन्होंने कहा, “आतंक के खिलाफ लड़ाई में संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई बार, धन शोधन और वित्तीय अपराधों जैसी गतिविधियां भी आतंकवादियों तक धन पहुंचाने में मदद करती हैं। इससे लड़ने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत है।”
जटिल वातावरण पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल, वित्तीय खुफिया इकाइयों और एग्मोंट समूह अवैध धन प्रवाह की रोकथाम, उसका पता लगाने और अभियोजन में सहयोग बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रकाश डाला कि यह संरचना पिछले दो दशकों से कई तरीकों से आतंक के खिलाफ युद्ध में मदद कर रही है। उन्होंने कहा, “इससे आतंक के वित्तपोषण के जोखिमों को समझने में भी मदद मिलती है।”
उन्नत प्रौद्योगिकी के आलोक में आतंकवाद के बदलते परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “आतंकवाद के लिए गैरकानूनी तरीके से धन देने और भर्ती के लिए नई प्रकार की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। डार्क नेट, निजी मुद्राओं और अन्य चीजों से चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। नई वित्त प्रौद्योगिकियों की एक समान समझ की आवश्यकता है। इन प्रयासों में निजी क्षेत्र को शामिल करना भी महत्वपूर्ण है।” हालांकि, उन्होंने आतंकवाद पर नज़र रखने, उसका पता लगाने और उससे निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की मांग करते हुए प्रौद्योगिकी को राक्षसी बनाने के खिलाफ भी चेतावनी दी।
वास्तविक और वर्चुअल सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरता के लिए उपयोग किए जाने वाले बुनियादी ढांचे को वितरित किया जाता है, जबकि कुछ संस्थाएं सुदूरवर्ती इलाकों के साथ-साथ ऑनलाइन संसाधनों से भी आतंकवादियों को हथियारों का प्रशिक्षण देती हैं। विभिन्न देशों में श्रृंखला की कई कड़ी हैं-“ संचार व्यवस्था, भ्रमण करना, लॉजिस्टिक्स”। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक देश से श्रृंखला के उन हिस्सों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया जो उनकी पहुंच के भीतर हैं।
प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि आतंकवादियों को विभिन्न देशों में कानूनी सिद्धांतों, कार्य प्रणालियों और प्रक्रियाओं में अंतर का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया, “इसे सरकारों के बीच गहन समन्वय और समझ के माध्यम से रोका जा सकता है। संयुक्त अभियान, खुफिया समन्वय और प्रत्यर्पण से आतंक के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलती है।” प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूप से कट्टरता और उग्रवाद की समस्या का समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “कट्टरपंथ के समर्थकों के लिए किसी भी देश में जगह नहीं होनी चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा हाल ही में किए गए प्रयासों की जानकारी दी। सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर विभिन्न सम्मेलनों की जानकारी देते हुए, प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में इंटरपोल की महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति के मुम्बई में हुए एक विशेष सत्र का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि भारत वर्तमान ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन के माध्यम से आतंकी फंडिंग के खिलाफ वैश्विक आयाम बनाने में मदद कर रहा है।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय, गृह सचिव श्री अजय कुमार भल्ला और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक श्री दिनकर गुप्ता उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
आतंकवादी संगठनों को गैरकानूनी ढंग से दी जाने वाली मदद रोकने पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक कदमों पर 18-19 नवम्बर को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन भाग लेने वाले देशों और संगठनों को एक अनूठा मंच प्रदान करेगा। यह सम्मेलन पिछले दो सम्मेलनों (अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवम्बर 2019 में मेलबर्न में आयोजित) के लाभों और सीखों पर आधारित है और आतंकवादियों को धन देने और उन्हें अपना कार्य करने की इजाजत मिलने के अधिकार से वंचित करने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेगा। इसमें मंत्रियों, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुखों और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों सहित दुनिया भर के करीब 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस सम्मेलन के दौरान, चार सत्रों में विचार-विमर्श किया जाएगा, जो ‘आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण में वैश्विक रुझान’, ‘आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग’, ‘उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवादियों को गैरकानूनी तरीके से वित्तीय सहायता’ तथा ‘आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ पर केन्द्रित होगा।
Addressing the ‘No Money for Terror’ Ministerial Conference on Counter-Terrorism Financing. https://t.co/M7EhOCYIxS
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