नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की आवश्यकता पूरी करने की सरकार की प्रतिबद्धता को हासिल करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए विद्युत मंत्रालय ने नई पनबिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के पारेषण पर आईएसटीएस शुल्क से छूट देने का आदेश जारी किया

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की आवश्यकता पूरी करने की सरकार की प्रतिबद्धता को हासिल करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए विद्युत मंत्रालय ने नई पनबिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के पारेषण पर अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क से छूट देने का आदेश जारी किया है। उक्त छूट सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पहले से ही उपलब्ध है।

सरकार ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा आधारित पर स्रोतों से 500 गीगावॉट उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। पनबिजली परियोजनाएं, स्वच्छ, हरित और टिकाऊ होने के कारण हमारी स्वच्छ ऊर्जा बदलाव की यात्रा में सर्वोपरि होंगी। वे अनियमित प्रकृति वाली सौर और पवन ऊर्जा के एकीकरण के लिए भी आवश्यक हैं।

पनबिजली के उपर्युक्‍त अंतर्निहित गुणों को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने मार्च, 2019 में पनबिजली परियोजनाओं को बिजली का नवीकरणीय स्रोत घोषित किया था।  हालांकि, सौर और पवन परियोजनाओं को प्रदान किए गए अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क की छूट का दायरा पनबिजली परियोजनाओं तक नहीं बढ़ाया गया था।

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इस विसंगति को दूर करने और पनबिजली परियोजनाओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने अब नई पनबिजली परियोजनाओं, से बिजली के पारेषण पर आईएसटीएस शुल्क से छूट देने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत वे परियोजनाएं आएंगी जिनके लिए निर्माण कार्य आवंटित किया जा चुका है और पीपीए पर 30.06.2025 को या उससे पहले हस्ताक्षर होंगे।

उन पनबिजली परियोजनाओं से बिजली के पारेषण के लिए आईएसटीएस शुल्क लगाया जाएगा, जिनके लिए निर्माण कार्य आवंटित किया जा चुका है और पीपीए पर हस्ताक्षर 30.06.2025 के बाद निम्‍नलिखित कार्यप्रणाली  के अनुसार किए जाएंगे:

 

क्रम सं.

निर्माण कार्य का आवंटन + पीपीए पर हस्ताक्षर

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आईएसटीएस शुल्क

1.

01.07.25 से  30.06.26

लागू आईएसटीएस शुल्क का 25%

2.

01.07.26 से 30.06.27

लागू आईएसटीएस शुल्क का 50%

3.

01.07.27 से 30.06.28

लागू आईएसटीएस शुल्क का 75%

4.

से  01.07.28

लागू आईएसटीएस शुल्क का 100%

 

उपरोक्त तालिका में प्रदर्शित छूट/या रियायती शुल्क पनबिजली संयंत्रों के चालू होने की तारीख से 18 वर्ष की अवधि के लिए लागू होंगे। यह छूट केवल अंतर्राज्यीय पारेषण शुल्‍कों के लिए दी जाएगी हानियों के लिए नहीं। छूट संभावित तिथि से लागू की जाएगी।

इस कदम से पनबिजली क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की आशा है, जो भारत की जल सुरक्षा की स्थिति में सुधार लाने और पूर्वोत्‍तर राज्यों, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि जैसे अधिकांश पनबिजली क्षमता से लैस पहाड़ी राज्यों तक विकास के लाभ पहुंचाने में मदद करेगा।

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एमजी/एएम/आरके