स्वीडन भारत नोबेल स्मृति सप्ताह के तहत आयोजित ‘शी स्टेम 2022’ के दौरान विद्यार्थि‍यों से कहा गया, ‘वे अपनी कल्पना को उड़ान भरने दें’

स्वीडन भारत नोबेल स्मृति सप्ताह के तहत ‘शी स्टेम’ को लगातार तीसरे वर्ष सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। ‘शी स्टेम’ का आयोजन हर साल विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित (स्टेम) और निरंतरता के क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं की सराहना करने के लिए किया जाता है।

भारत में स्वीडन के राजदूत माननीय जेन थेस्लेफ, जिन्होंने एक वीडियो संदेश के माध्यम से विद्यार्थि‍यों को संबोधित भी किया, ने कहा,  ‘‘हम ‘शी स्टेम’ की परंपरा को जारी रखते हुए अत्‍यंत खुश हैं, जो कि स्वीडन-भारत नोबेल स्मृति सप्ताह का एक प्रमुख आयोजन है। इस साल के ‘शी स्टेम’ वीडियो चैलेंज के सभी विजेताओं को बधाई।’’

अटल नवाचार मिशन, नीति आयोग के मिशन निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने कहा, ‘‘आज स्टेम में महिलाओं की भागीदारी का स्‍वरूप बदल रहा है,  और उनकी भागीदारी की दर बढ़ गई है। यह बढ़ती भागीदारी एटीएल मैराथन 2021 में नजर आई थी, जिसमें महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़कर 49% हो गई थी। एक प्रभावकारी स्टेम शिक्षा ऐसे महत्वपूर्ण विचारकों को विकसित करने में काफी मददगार साबित होगी।’’ 

‘शी स्टेम 2022’ की शुरुआत दरबारी लाल डीएवी  मॉडल स्कूल, नई दिल्ली, जो कि शी स्टेम 2022 के लिए मेजबान स्कूल था, के विद्यार्थि‍यों द्वारा एक संगीतमय प्रस्‍तुति पेश करने के साथ हुई। इसके बाद स्टेम और व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं के साथ संवाद और एक पैनल परिचर्चा आयोजित की गई, जिनमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान (सीएसआईआर-सीएफटीआरआई), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार की निदेशक डॉ. श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह भी शामिल थीं। डॉ. श्रीदेवी ने अल्पपोषित बच्चों के लिए पूरक आहार विकसित करने और बच्चों पर प्रोटीन युक्त भोजन के प्रभाव का अध्ययन करने की दिशा में व्यापक कार्य किया है। उन्होंने उपस्थित गणमान्‍यजनों से स्टेम के क्षेत्रों में महिलाओं की आवश्यकता के बारे में बात की, ताकि वे सतत भविष्य के लिए समस्याओं का समाधान करने में अपने अद्वितीय दृष्टिकोण को पेश कर सकें।

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अन्य प्रतिभागियों में भारत में स्वीडन की व्यापार और निवेश आयुक्त सेसिलिया ऑस्करसन, जिन्होंने लड़कियों और महिलाओं के लिए सकारात्मक बदलाव लाने एवं इसे सुनिश्चित करने में विविधता की भूमिका पर अपने विचार साझा किए; भारत में एक एड-टेक कंपनी प्रेपबाइट्स की सह-संस्थापक एवं सीईओ ममता कुमारी; और भारतीय विज्ञान शिक्षा अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) में न्यूरोबायोलॉजिस्ट और जीव विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. वसुधरानी देवनाथन शामिल थीं। कंटेंट पीपल एबी की संस्थापक रूपाली मेहरा ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।

नई दिल्ली में स्वीडन के दूतावास के विज्ञान और नवाचार कार्यालय की प्रमुख डॉ. पेर-आर्ने विकस्ट्रॉम ने कहा, ‘महिलाएं और लड़कियां जब पुरुषों और लड़कों के साथ बराबरी करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनी प्रतिभा, अपना ज्ञान और अपनी क्षमताएं प्रदान करती हैं, तो हम जानते हैं कि समाज समृद्ध होता है, और नवाचार क्षमता वास्तव में बढ़ती है। इसलिए हमारे लिए महिला-पुरुष समानता एक एकीकृत हिस्सा है और हम जो कुछ भी करते हैं उसमें एक महत्वपूर्ण पहलू है। हम इस महत्वपूर्ण पहल को आवश्‍यक समर्थन देने के लिए अपने भारतीय भागीदारों का धन्यवाद करना चाहते हैं।’

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डॉ. काटजा लैश, निदेशक, जर्मन सेंटर फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन (डीडब्ल्यूआईएच नई दिल्ली) और जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी) भारत ने कहा, ‘जैसा कि जोहान वोल्फगैंग वॉन गोएथे ने कहा, ‘जो जिज्ञासु नहीं है वह ज्ञान प्राप्त नहीं करेगा,’ इसलिए अपनी जिज्ञासा को बनाए रखें, अपना ज्ञान बढ़ाएं और कौन जानता है कि शायद कोई विशेष आइडिया या अन्य आइडिया लागू हो जाए।’

 

वर्ष 2021 में इंस्टा-रील्स वीडियो चैलेंज की सफलता के बाद ‘शी स्टेम’ ने 13 से 17 वर्ष की आयु के छात्रों के लिए इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक और गूगल ड्राइव पर #‘शी स्टेम’2022 वीडियो चैलेंज की मेजबानी की, उन्हें वर्ष 2047 में खुद की कल्पना करने के लिए कहा, और अपने एक ऐसे नवाचार के बारे में बताने को कहा जिसने जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद की है। इसे 930 से अधिक वीडियो के साथ व्‍यापक समर्थन मिला, जिनमें से 15 को शॉर्टलिस्ट किया गया।

इन वीडियो का आकलन इस पर किया गया

● अभिनव आइडिया

● विचार और अभिव्यक्ति की स्पष्टता

● निरंतरता या जलवायु कार्रवाई का पहलू

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एमजी/एएम/आरआरएस –