अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से भाजपा को राजनीतिक फायदा होगा तो फिर कांग्रेस अपना नुकसान क्यों कर रही है?

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से भाजपा को राजनीतिक फायदा होगा तो फिर कांग्रेस अपना नुकसान क्यों कर रही है?
समारोह का निमंत्रण ठुकराने के पीछे विपक्ष के गठबंधन को बचाने की कवायद।
पीएम मोदी ने तो इस बार भी ख्वाजा उर्स में चादर भेजी है।
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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट की ओरसे 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी भेजा गया, लेकिन इन तीनों ने निमंत्रण को इुकरा दिया है। निमंत्रण पत्र मिलने के जवाब में कांग्रेस ने कहा कि यह समारोह आरएसएस और भाजपा का इवेंट हैं। भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए यह सब कर रही है। यानी कांग्रेस भी मानती है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर शुरू होने से भाजपा को राजनीतिक फायदा होगा। सवाल उठता है कि जब भाजपा को फायदा होगा तो फिर कांग्रेस अपना नुकसान क्यों कर रही है? अच्छा होता कि कांग्रेस के नेता भी सम्मान पूर्वक समारोह में उपस्थित रहते। कांग्रेस ने क केवल निमंत्रण ठुकराया बल्कि गैर जरूरी प्रक्रिया देकर राजनीतिक नुकसान भी किया है। यदि कांग्रेस समारोह में शामिल होती तो लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस को फायदा होता। कांग्रेस को यह भी समझना चाहिए कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन हिंदी भाषी राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है। अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीट नहीं देना चाहते, वहीं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा आदि राज्यों में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी दशा है। इन राज्यों में कांग्रेस का इतना बुरा हाल है तो वहीं कांग्रेस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा रही है। कांग्रेस के नेता माने या नहीं, लेकिन इस फैसले से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषी राज्यों में भारी नुकसान होगा।
गठबंधन को बचाने की कवायद:
ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के इंडी एलायंस को बचाने के लिए कांग्रेस ने मंदिर का निमंत्रण ठुकराया है। इंडी एलायंस में ऐसे दल शामिल हैं जो सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाला बयान दिया है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में असर रखने वाली समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के गोली चलाने के फैसले को सही करार दिया है। मालूम हो कि गोलीबारी में अनेक कारसेवक मारे गए थे। यानी कार सेवकों की सपा को कोई चिंता नहीं है। कांग्रेस को लगता होगा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से गठबंधन में शामिल दल नाराज हो जाएंगे। ऐसे दल नाराजगी जताएंगे तो फिर गठबंधन टूट सकता है, जबकि कांग्रेस का प्रयास है कि इस बार पूरे देश में विपक्ष का एक उम्मीदवार खड़ा हो ताकि भाजपा को जीतने से रोका जा सके। देखना होगा कि मंदिर का निमंत्रण ठुकरा कर कांग्रेस अपने इरादों में कितनी सफल होती है। वहीं भाजपा ने मंदिर निर्माण की लहर देश भर में चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन देशभर के मंदिरों पर टीवी लगाकर प्रसारण को लाइव दिखाया जाएगा। मंदिरों में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होंगे। इतना ही नहीं 25 जनवरी से स्पेशल ट्रेन चलाकर श्रद्धालुओं को अयोध्या की नि:शुल्क यात्रा करवाई जाएगी। भाजपा और उससे जुड़े हिंदूवादी संगठन इस नि:शुल्क यात्रा को 25 मार्च तक जारी रखेंगे। यानी जब लोकसभा चुनाव का प्रचार चरम पर होगा तब श्रद्धालु अयोध्या की यात्रा करते नजर आएंगे।
पीएम की चादर:
कांग्रेस भले ही मंदिर निर्माण के समारोह में जोन से डरती हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी धर्मों की भावनाओं का ख्याल रखते हैं। यही वजह है कि इस बार भी अजमेर में भरने वाले ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में पीएम मोदी की ओर से चादर भेजी जा रही है। उर्स में चादर भेजने की परंपरा रही है, जिससे प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी 10वीं बार निभा रहे हैं। अजमेर में उर्स का झंडा चढ़ चुका है और 6 दिवसीय उर्स धार्मिक दृष्टि से चांद दिखाई देने पर 12 या 13 जनवरी से शुरू होगा। पीएम मोदी को दरगाह में चादर भेजने का कोई डर नहीं है, लेकिन कांग्रेस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने से डरती है।
S.P.MITTAL BLOGGER