किसी भी शंकराचार्य ने अयोध्या में मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया।

किसी भी शंकराचार्य ने अयोध्या में मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया।

किसी भी शंकराचार्य ने अयोध्या में मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया।
कांग्रेस फंसी तो शंकराचार्यों की आड़ ले रही है। धर्म गुरु तो श्रद्धालु ही बनाते हैं।
धर्म गुुरुओं में विचारों का मतभेद, यही तो सनातन धर्म की महानता है।
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सब जानते हैं कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही श्रीमती सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीन रंजन चौधरी को भी मिला था, लेकिन इन तीनों ने समारोह का निमंत्रण पत्र ठुकरा दिया। इस पर जब देश भर में कांग्रेस की आलोचना होने लगी तो कांग्रेस के नेता अब शंकराचार्यों की आड़ ले रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि चारों शंकराचार्यों ने भी समारोह में शामिल होने से इंकार किया है। सवाल उठता है कि कांग्रेस को शंकराचार्यों की आड़ लेनी थी तो निमंत्रण ठुकराने के समय ही शंकराचार्यों का उल्लेख करना चाहिए था। जहां तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों शंकराचार्यों के उपस्थित नहीं रहने का सवाल है तो मंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से किसी भी शंकराचार्यों को आमंत्रित नहीं किया गया है। शंकराचार्यों ने स्वयं माना है कि उन्हें ट्रस्ट की ओर से निमंत्रण नहीं मिला है। लेकिन किसी भी शंकराचार्य ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर का विरोध नहीं किया है। निजी कारणों से एक-दो शंकराचार्यों के बीच विचारों का मतभेद हो सकता है, लेकिन सभी शंकराचार्य इस बात से खुश है कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण हुआ है। एक शंकराचार्य ने तो स्पष्ट कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा ने देश में हिंदुओं में जागरूकता लाने का काम किया है। सनातन धर्म में शंकराचार्यों का विशेष स्थान है। लेकिन यह भी सही है कि किसी भी व्यक्ति को धर्मगुरु श्रद्धालु ही बनाते हैं। आज सनातन धर्म को मानने वाला हर व्यक्ति अयोध्या में मंदिर निर्माण से खुश और उत्साहित है। यही वजह है कि 22 जनवरी को जब मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा, तब देश भर में दीपावली पर्व जैसा माहौल होगा। धर्म प्रेमी इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि 22 जनवरी को ऐतिहासिक दि बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठन सक्रिय हैं। कांग्रेस का यह आरोप हो सकता है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के माध्यम से भाजपा लोकसभा चुनाव में लाभ लेगी। कांग्रेस को जब यह पता है कि मंदिर निर्माण का लाभ भाजपा को मिलेगा तो फिर कांग्रेस अब भले ही शंकराचार्यों की आड़ ले, लेकिन कांग्रेस की छवि सनातन धर्म विरोधी बन गई है। यही वजह है कि कांग्रेस उन राजनीतिक दलों से गठबंधन कर रही है जो सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं।
सनातन धर्म की महानता:
यह पहला अवसर नहीं है, जब शंकराचार्यों और धर्मगुरुओं के बीच विचारों का मतभेद देखने को मिला है, इससे पहले भी किसी मुद्दे पर शंकराचार्यों ने अलग अलग राय प्रकट की है। सनातन धर्म को मानने वाले भले ही शिरडी के सांई बाबा के प्रति श्रद्धा रखते हो, लेकिन बद्रीकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि साईं बाबा के मंदिर की वजह से सनातन धर्म का नुकसान हो रहा है। असल में धर्मगुरुओं में विचारों के मतभेद होना ही सनातन धर्म की महानता है। सनातन धर्म का हृदय इतना विशाल है कि उसमें आलोचना सहने की क्षमता भी है जो लोग सनातन धर्म की तुलना डेंगू और कोरोना जैसे संक्रमण से कर रहे हैं वे भी सत्ता में बने हुए हैं। यदि ऐसी आलोचना किसी अन्य धर्म की जाती तो अब तक सर तन से जुदा हो जाता। सनातन धर्म के प्रभाव के कारण ही भारत में 25 करोड़ से ज्यादा मुसलमान सम्मान और अधिकार के साथ रह रहे हैं। आज कोई मुसलमान नहीं कह सकता है कि भारत में धर्म के आधार पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि हम मुस्लिम देश पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा देख रहे हैं।
Report By S.P.MITTAL