तराशने में मूर्ति को लगी चोट के लिए भी प्रायश्चित। वहीं भगवान की मूर्तियों को तोड़ने वाली संस्कृति भी है।
तराशने में मूर्ति को लगी चोट के लिए भी प्रायश्चित। वहीं भगवान की मूर्तियों को तोड़ने वाली संस्कृति भी है।

तराशने में मूर्ति को लगी चोट के लिए भी प्रायश्चित। वहीं भगवान की मूर्तियों को तोड़ने वाली संस्कृति भी है।

तराशने में मूर्ति को लगी चोट के लिए भी प्रायश्चित। वहीं भगवान की मूर्तियों को तोड़ने वाली संस्कृति भी है।
कांग्रेस, ममता, अखिलेश, स्टालिन, लालू आदि को इन संस्कृतियों को समझना चाहिए।
पाकिस्तान पर ईरान की सर्जिकल स्ट्राइक भी चिंताजनक।
============
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले भगवान राम की जन्मभूमि पर अनेक धार्मिक अनुष्ठान हो रहे है। इसी क्रम में 16 जनवरी को मूर्तिकार अरुण योगीराज और अन्य शिल्पकारों ने प्रायश्चित एवं कर्म कुट्टी पूजन किया। भारत की सनातन संस्कृति में इस पूजन का विशेष महत्व इसलिए है कि जब पत्थर को तराशते हुए भगवान की प्रतिमा का स्वरूप दिया जाता है, जब छैनी, हथौड़े के कारण प्रतिमा को चोट लगती है। प्रतिमा को चोट लगने के लिए प्रायश्चित करने से सनातन संस्कृति की संवेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। सब जानते है कि अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा इसलिए करनी पड़ रही है, कयोंकि आक्रमणकारियों ने हमारे भगवान के मंदिर को तोड़ दिया था । 600 वर्षो के शासन में आक्रमणकारियों ने अयोध्या में ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में सनातन संस्कृति के प्रतीक मंदिरों और उनमें रखी भगवान की प्रतिमाओं को तोड़ा। कांग्रेस के साथ साथ ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, स्टालिन, लालू प्रसाद यादव जैसे राजनेताओं को संस्कृतियों के इस अंतर को समझना चाहिए। एक तरफ वो संस्कृति है जो मंदिरों और भगवान की प्रतिमाओं को तोडऩे में विश्वास रखती है तो दूसरी तरफ सनातन संस्कृति है, जिसमें पत्थर को चोट लगने पर भी प्रायश्चित किया जाता है। जब हम पत्थर की चोट का भी एहसास करते हैं, तब हम इंसान को चोट पहुंचाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। जबकि दूसरी संस्कृति में इंसान की हत्या को भी जायज ठहराया गया है। यही वजह है कि कट्टरपंथी और आतंकी दूसरे की जान लेने को तैयार रहते हैं। कांग्रेस और अखिलेश यादव जैसे नेता अपनी वोट की राजनीति के कारण कुछ भी कहे, लेकिन सनातन संस्कृति ही एक मात्र संस्कृति है, जिसमें सभी संस्कृतियों के सम्मान की शिक्षा दी गई है। अच्छा हो कि वोट की राजनीति करने वाले राजनेता भारत की सनातन संस्कृति को मजबूत करने वाले काम करें। जो राजनेता आम अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार या विरोध कर रहे हैं उन्हें अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना चाहिए। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सवाल है तो पूरा देश जानता है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण की बाधाओं को हटाने में मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हो सकता है कि इस भूमिका की वजह से लोकसभा चुनाव में भाजपा को जायज मत मिले, लेकिन मोदी ने सनातन संस्कृति को मजबूत करने वाला काम किया है। मोदी सनातन संस्कृति के अनुरूप आचरण करते हैं, इसलिए अजमेर में ख्वाजा साहब के सालाना उर्स के दौरान अपनी ओर से मजार शरीफ पर चादर भी पेश करवाई है।
पाकिस्तान पर स्ट्राइक चिंताजनक:
सब जानते हैं कि पाकिस्तान और ईरान मुस्लिम राष्ट्र है, लेकिन इसके बावजूद भी 16 जनवरी को ईरान ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की है। यानी ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर गोलीबारी की। आरोप है कि पाकिस्तान में ऐसे इलाके हैं, जहां कट्टरपंथी संगठन ईरान के खिलाफ योजना बनाते हैं। इससे ईरान की कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। ऐसे कट्टरपंथियों को सबक सिखाने के लिए ही ईरान को सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी। इससे भी हिंसा में विश्वास रखने वाली संस्कृतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है, इसलिए भारत का चिंतित होना स्वाभाविक हैं। पाकिस्तान में जो सर्जिकल स्ट्राइक हुई है, उस पर भारत के सैन्य अधिकारियों की नजर है। यहां यह उल्लेखनीय है कि आतंकी अड्डों को नष्ट करने के लिए भारत ने भी पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक (सैन्य हमला) की थी।
Report By S.P.MITTAL