आखिर राहुल गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा किस लिए कर रहे हैं? इंडी एलायंस तो टूट ही रहा है, साथ ही कांग्रेस भी कमजोर हो रही है।

आखिर राहुल गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा किस लिए कर रहे हैं? इंडी एलायंस तो टूट ही रहा है, साथ ही कांग्रेस भी कमजोर हो रही है।

आखिर राहुल गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा किस लिए कर रहे हैं?
इंडी एलायंस तो टूट ही रहा है, साथ ही कांग्रेस भी कमजोर हो रही है।
============
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा के 16वें दिन 29 जनवरी को बिहार में प्रवेश किया। राहुल ने मणिपुर से जब यात्रा शुरू की थी, तब बिहार में कांग्रेस के सहयोग से नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार थी, लेकिन यात्रा के बिहार में प्रवेश करने से एक दिन पहले महागठबंधन की सरकार गिर गई और नीतीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से 9वीं बार मुख्यमंत्री बन गए। यानी राहुल के प्रवेश करने के साथ ही बिहार में भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई। एक सप्ताह पहले जब राहुल गांधी की यात्रा ने पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया था, तब एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर इंडी एलायंस से अलग होने की घोषणा कर दी। राहुल ने जिस दिन यात्रा शुरू की उसी दिन महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभावी नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राहुल गांधी की यात्रा का उद्देश्य भाजपा के खिलाफ विपक्ष का मजबूत गठबंधन तैयार करना है, साथ ही कांग्रेस को मजबूत करना भी है। लेकिन राहुल ने जब से यात्रा शुरू की है, तभी से इंडी एलायंस और कांग्रेस का बुरा हाल है। इसीलिए सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी किस लिए यात्रा निकाल रहे हैं? यह सही है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। मल्लिकार्जुन खडग़े भले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हो, लेकनि पार्टी का अंतिम निर्णय राहुल गांधी ही करते हैं। इंडी एलायंस को खड़ा करने में राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका है। एलायंस को मजबूत करने के लिए राहुल ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तक से हाथ मिलाया। जबकि विपक्ष में रहते हुए केजरीवाल ने राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी को जेल भिजवाने की बात कही थी। राहुल गांधी का प्रयास था कि सभी छोटे बड़े दलों को एकजुट कर लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराया जाए, लेकिन राहुल गांधी इस प्रयास में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है, लेकिन सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के बाद भी कांग्रेस अन्य दलों को साथ रखने में विफल है। अच्छा हो कि राहुल गांधी यात्रा निकालने के बजाए इंडी एलायंस में शामिल दलों को एकजुट करने में भूमिका निभाए। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस भी लगातार कमजोर होती जा रही है। कांग्रेस को हाल ही में तीन बड़े राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब आदि ने कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों ने झटका दिया है तो केरल में वामपंथी दलों ने राहुल के लिए वायनाड सीट छोड़ने के लिए इंकार कर दिया है। मुस्लिम बाहुल्य वायनाड सीट के लिए वाम दलों ने कांग्रेस के साथ समझौता करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में राहुल गांधी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ने का संकट हो गया है। राहुल गांधी अब उत्तर प्रदेश के अमेठी क्षेत्र से भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि 2019 में अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था। बड़ी अजीब बात है कि बंगाल में वामपंथी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन वहीं केरल में राहुल के लिए वायनाड सीट छोड़ना नहीं चाहते। बंगाल, बिहार, पंजाब आदि में जो कुछ भी हुआ उससे राहुल गांधी को इंडी एलायंस के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए।