कट्टरपंथियों को रास नहीं आएगा संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान

कट्टरपंथियों को रास नहीं आएगा संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान । ओवैसी जैसे नेताओं का जहर उगलना शुरू।
कोई मुसलमान मंदिर में पूजा अर्चना करे या नहीं, लेकिन अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में रोजाना हजारों हिन्दू जियारत करते हैं।
यदि मुसलमान और हिन्दू एकजुट होकर रहेंगे तो भारत न केवल मजबूत होगा,बल्कि विकास भी करेगा।
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4 जुलाई को यूपी के गाजियाबाद में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक ही है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। मुसलमान भारत में नहीं रह सकते, ऐसा कहने वाले हिन्दू नहीं है। हिन्दू मुस्लिम संघर्ष को सिर्फ संवाद से ही खत्म किया जा सकता है। हिन्दू मुस्लिम एकता को लेकर भागवत पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। भागवत ने हर बार यह दिखाने की कोशिश की है कि संघ की विचारधारा मुस्लिम विरोधी नहीं है। लेकिन हर बार कट्टरपंथियों को भागवत के विचार रास नहीं आते हैें। अशोक गहलोत और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेता भी ऐसे बयानों की आलोचना करते हैं। टीवी चैनलों पर कट्टरपंथी नेता सक्रिय हो गए हैं। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत के बयान को लेकर जहर उगलना शुरू भी कर दिया है।
जो कट्टरपंथी और कांग्रेसी नेता भागवत के बयान की आलोचना कर रहे हैं उन्हें एक बार अजमेर आ कर ख्वाजा साहब की दरगाह का मंजर देखना चाहिए। कोई मुसलमान किसी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करे या नहीं लेकिन हजारों हिन्दू रोजाना ख्वाजा साहब की दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप जियारत करते हैं। दरगाह की रस्मों के अनुसार हिन्दू परिवार मजार शरीफ पर मखमली और फूलों की चादर भी पेश करते हैं। दरगाह के खादिम स्वयं मानते हैं कि उर्स की अवधि को छोड़ कर सामान्य दिनों में मुसलमान से ज्यादा हिन्दू जियारत करने आते हैं। कट्टरपंथी और कांग्रेसी नेता बताएं कि क्या कभी संघ के किसी पदाधिकारी ने हिन्दुओं को ख्वाजा साहब की दरगाह में जाने से रोकता है? संघ से जुड़े भाजपा के नेता भी अजरमे आकर दरगाह में जियारत करते हैं। जो कट्टरपंथी लोग हिन्दुओं के खिलाफ फतवे जारी करते हैं उन्हें यह भी देखना चाहिए कि दरगाह के आसपास के हिन्दु दुकानदार रोज सुबह दरगाह की सीढ्य़िों पर दुकान की चाबियां रखते हैं ताकि दिन भर कारोबार अच्छा हो। सवाल उठता है कि जब एक मुस्लिम धार्मिक स्थल पर सद्भावना का ऐसा माहौल है, तब साम्प्रदायिक दंगे क्यों होते हैं?
क्यों देश के कई हिस्सों में हिन्दू और मुसलमान आमने सामने नजर आते हैं? क्या जो सद्भावना हिन्दू समुदाय ख्वाजा साहब की दरगाह में प्रकट करता है ऐसी सद्भावना मुस्लिम समुदाय द्वारा दिखाने के लिए मुस्लिम विद्वान प्रेरणा नहीं दे सकते? जब सभी धर्म अच्छे होते हैं तो फिर दूसरे धर्म को अपने धर्म के चश्मे से क्यों देखा जाता है? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय को लेकर अच्छी पहले की है। कट्टरपंथियों और कांग्रेसियों को इस पहल का स्वागत करना चाहिए।
यदि मुसलमान और हिन्दू एकजुट होकर रहेंगे तो भारत न केवल मजबूत होगा,बल्कि विकास भी करेगा।