उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और समय पर वितरण करने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नागरिकों के लिए सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और उन्हें समय पर वितरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने की भी बात कही। उन्होंने नागरिक सेवाओं के वितरण के मौजूदा मॉडलों की समीक्षा करने और बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिलों से अच्छी प्रथाओं का अनुकरण करने का आह्वान किया। सरकारी कार्यक्रमों के लिए वितरण के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री नायडू ने कहा, ‘गुणवत्‍तापूर्ण सेवाओं की समय पर वितरण सुनिश्चित किए बिना सुधार का कोई मतलब नहीं है।’ उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को भारत में प्रशासनिक बदलाव के सफर में निर्णायक क्षण करार दिया।
श्री नायडू ने समावेशीकरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर जोर दिया कि विकास कार्यक्रमों का लाभ समाज के सभी वर्गों, विशेष तौर पर सबसे कमजोर और हाशिए पर मौजूद लोगों तक पहुंचना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने पिछड़े क्षेत्रों में विकास को गति देने के लिए आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी उल्लेखनीय योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने 2024 तक लगभग 20 करोड़ घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराने संबंधी महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सरकार की सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने आज उपराष्ट्रपति निवास में ‘एक्सेलरेटिंग इंडिया: 7 इयर्स ऑफ मोदी गवर्नमेंट’ पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि भारत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है और यह आम लोगों को ‘सम्मानजनक जीवन’ जीने के संवैधानिक वादे की प्रगति का मूल्यांकन करने का भी समय है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ भेदभाव किए बिना सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार एक ऐसा संकल्‍प है जिसे हमने अपने गणतंत्र की शुरुआत में खुद के लिए किया है और इसे हमेशा बरकरार रखा जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कौशल और अवसरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सुझाव दिया कि अच्छी शिक्षा के साथ-साथ हमें अपने युवाओं को सफलता हासिल करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं को कुशल बनाने और उनकी रोजगार क्षमता को बेहतर करने के लिए उन्‍हें नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने के लिए सरकार के प्रयासों का पूरक बनने के लिए निजी क्षेत्र से आह्वान किया।
श्री नायडू ने एक समर्पित कौशल विकास मंत्रालय बनाने के लिए सरकार की सराहना करते हुए खुशी जताई कि उद्योग जगत के नेता सीएसआर फंड और गैर-सरकारी संगठनों के जरिये कौशल विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि प्रत्येक उद्योग में प्रशिक्षुओं और कर्मचारियों को कुशल बनाने के लिए एक ‘कौशल विकास केंद्र’ होना चाहिए।
श्री नायडू ने लोगों में निहित कौशल एवं प्रतिभा को पूरी तरह उपयोग करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार लाने, अनुकूल कारोबारी माहौल तैयार करने और नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्‍होंने कृषि का उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही हमारे किसान देश का पेट भरने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं लेकिन वर्षों से उनकी आय महज निर्वाहयोग्‍य है। उन्होंने कहा, ‘सॉइल हेल्थ कार्ड जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सही इनपुट, ई-नाम जैसे बाजार के अवसर, कृषि सिंचाई योजना के जरिये सिंचाई परियोजनाएं, फसल बीमा योजना के जरिये आसान फसल बीमा और खाद्य प्रसंस्करण के जरिये फसलों के बेहतर मूल्यवर्धन के साथ हमारे किसान चमत्कार कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्‍होंने खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।’ उन्होंने किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के अलावा फसलों के विविधीकरण और वैज्ञानिक उत्पादन पर जोर देने का आह्वान किया।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम लोगों पर केंद्रित विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने एक सीमित दायरे से बाहर आकर सोचने और प्रशासन में बदलाव लाने पर जोर देने के लिए सरकार की सराहना की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत पहल पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत गरीबों के लिए 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए जाने पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने लाखों बच्चों को डायरिया से होने वाली मौतों से बचाया और महिलाओं को सुरक्षा एवं सम्मान दिया।
श्री नायडू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक ‘दूरदर्शी दस्तावेज’ बताते हुए कहा कि इसमें ‘भारत में शिक्षा को एक समग्र, मूल्य-आधारित और एक सुखद अधिगम अनुभव बनाने’ का वादा किया गया है। इसी प्रकार प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा पर जोर देने और मातृभाषा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पेशकश स्वागत योग्य कदम हैं।
श्री नायडू ने इस बात को रेखांकित किया कि हमारे जैसे संघीय राज्य में प्रगति केवल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद से ही संभव है। उन्होंने कहा, ‘टीम इंडिया की अवधारणा, जिसे प्रधान मंत्री मोदी जी ने अक्सर रेखांकित किया है, एकमात्र रास्ता है।’ उन्होंने देश की प्रगति के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और निरंतर बातचीत करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने उन 28 प्रतिष्ठित लेखकों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की जिन्होंने इस पुस्तक के लिए भारतीय शासन के विभिन्न क्षेत्रों पर 25 लेखों का योगदान किया है। उन्होंने पुस्तक के संपादक, राज्यसभा सदस्य एवं प्रकाशक श्री के. जे. अल्फोंस की भी सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक हमारे विकास के अधूरे एजेंडे के प्रमुख तत्वों को प्रतिबिंबित करने और उन्हें पहचानने में नीति निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, विदेश एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन, कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्र शेखर, नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, सांसद श्री केजे अल्फोंस, ओकब्रिज पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री विकेश ध्यानी आदि इस उपस्थित थे।
 
भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:
 
मित्रों,
‘एक्सेलरेटिंग इंडिया: 7 इयर्स ऑफ मोदी गवर्नमेंट’ पुस्तक का विमोचन करने के लिए आज यहां आप लोगों के साथ आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे बताया गया है कि यह पुस्तक भारतीय शासन के 25 क्षेत्रों को कवर करने वाले 25 निबंधों का संग्रह है और इसमें 28 प्रतिष्ठित लेखकों का योगदान है। इसके संपादक राज्यसभा सदस्य, लेखक एवं प्रकाशक श्री के. जे. अल्फोंस को इसे प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद।
 
भाइयों और बहनों,
भारत कुछ ही दिनों में अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हमारे दिमाग में उस संघर्ष और बलिदान को लाता है जिसके जरिये हमारे पूर्वजों ने औपनिवेशिक शासन के बीच हमारी आजादी हासिल की थी।
एक अटल संकल्प, क्रांतिकारी उत्साह और हमारी सभ्यता एवं आधुनिक मूल्यों में समन्वय के लिए प्रतिबद्धता के साथ इन महान आत्माओं ने हमारे संविधान के जरिये एक महान राष्ट्र को नए सिरे से स्थापित करने की बुनियाद रखी।
हमारा संविधान प्रत्येक व्यक्ति और समुदाय को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देने का वादा करता है और उन्हें किसी प्रकार के भेदभाव से भी बचाता है। हमने इसे हमेशा बनाए रखने और प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुनिश्चित करने का संकल्प अपने गणतंत्र की शुरुआत में ही लिया था।
हम अपने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं। यह हमारी प्रगति का मूल्यांकन और विश्लेषण करने का भी समय है कि हमने आम आदमी के लिए इस वादे को कितने अच्‍छे तरीके से निभाया है। मैं यह देखने के लिए इस जन-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाना चाहूंगा कि एक राष्ट्र के रूप में हम कहां हैं और आगे की राह कैसी है। कुल मिलाकर राष्ट्र केवल सीमाओं, प्रतीकों और संस्थाओं का समूह नहीं है बल्कि राष्ट्र उसके लोगों में निहित होता है।
 
मित्रों,
मोदी सरकार के पिछले सात वर्षों का उल्लेख कई पहलों के लिए किया गया है जिसका वर्णन इस पुस्तक में काफी अच्छी तरह से दिया गया है। गहन चिंतन और सुधार की निरंतर प्रक्रिया के जरिये मौजूदा व्यवस्था की कार्य प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकार भी लीक से हटकर सोच रही है और इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए शासन में बदलाव करने की कोशिश कर रही है।
चुनौतियां कई रही हैं। हम पिछले डेढ़ साल से इनमें से सबसे जटिल चुनौती का सामना कर रहे हैं। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने हमारे जीवन में अभूतपूर्व व्यवधान डाला है। यह हमारे लिए इतनी बड़ी स्वास्थ्य चुनौती रही है कि जिसका हमने पिछले सौ वर्षों में सामना नहीं किया था।
सरकार दवाओं, टीकों, मास्क, सैनिटाइजर आदि के उत्पादन एवं आपूर्ति को बढ़ाकर और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक बुनियादी ढांचे की व्यवस्था में तेजी लाकर बड़ी तत्परता के साथ इस चुनौती से निपट रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति- 2017 में ‘सभी भारतीयों के लिए अच्छे स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती के हरसंभव उच्चतम स्तर को हासिल करने’ का दृष्टिकोण है। 2018 में आयुष्मान भारत कार्यक्रम को प्राथमिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्वास्थ्य आश्वासन योजना के साथ शुरू किया गया था। इस तरह की नीतियां और योजनाएं देश के सामने मौजूद और आगे उभरने वाली तमाम स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में राष्ट्रीय क्षमता निर्माण के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करती हैं।
प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत पहल के जरिये हमने एक बेहद सफल स्वच्छ भारत अभियान चलाया। इसके तहत गरीबों के लिए 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए जिससे लाखों बच्चों को डायरिया से होने वाली मौतों से बचाया जा सका और महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा मिली। पोषण पर केंद्रित पोषण अभियान और समग्र स्वास्थ्य के लिए योग देश की व्यापक स्वास्थ्य सेवा रणनीति में शामिल हैं।
 
मित्रों,
शिक्षा अगला महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो हमारे मानव संसाधन की गुणवत्ता निर्धारित करता है। साथ ही यह हमारी प्रगति को टिकाऊ, समावेशी और सामंजस्यपूर्ण बनाने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकता है।
हालिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) वास्तव में एक दूरदर्शी दस्तावेज है जो इस वादे को पूरा कर सकती है। यह भारत में शिक्षा को एक समग्र, मूल्य-आधारित एवं सुखद अधिगम अनुभव बना सकती है। यहां तक कि उच्च शिक्षा के मोर्चे पर भी अनुसंधान में सुधार और संस्थानों के बेहतर गुणवत्ता मूल्यांकन के साथ भारत वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तरों पर शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा पर जोर देना एनईपी का एक ऐसा महत्वपूर्ण घटक है, जो मेरे दिल के काफी करीब है। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को भी मातृभाषा में प्रस्‍तुत करने संबंधी सरकार की हालिया पहल एक स्वागत योग्य कदम है।
 
मित्रों,
मोदी सरकार ने कई योजनाएं, कार्यक्रम और नीतियां शुरू की हैं। मैंने मानव विकास से संबंधित दो क्षेत्रों का उल्लेख केवल उदाहरण के तौर पर किया है। और भी बहुत कुछ हैं। इस पुस्‍तक में देश के कुछ प्रबुद्ध लोगों द्वारा वर्षों के अनुभव के साथ काफी सक्षमता इन सबका विश्लेषण किया गया है।
जब योजना आयोग को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के रूप में परिवर्तित किया गया था तो स्पष्ट तौर पर दिशा निर्धारित की गई थी। सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन शासन को एक नए रूप में स्‍थापित करने वाला नया राष्ट्रीय मंत्र बन गया है।
जरूरत इस बात की है कि हमारे द्वारा लिए गए प्रत्येक नीतिगत निर्णय और हमारे द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रत्येक कार्यक्रम में परिवर्तनकारी दृष्टिकोण और सुधारवादी उत्साह व्याप्त हो।
हमारी जैसी लोकतांत्रिक एवं संघीय व्यवस्था में प्रगति केवल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद से ही संभव है। टीम इंडिया की अवधारणा, जिसे प्रधान मंत्री मोदीजी ने अक्सर रेखांकित किया है, एकमात्र रास्ता है।
दूसरा, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास नीतियों और कार्यक्रमों का लाभ सभी तक पहुंचे, खासकर सबसे कमजोर एवं हाशिए पर मौजूद लोगों तक। आकांक्षी जिला कार्यक्रम एक अच्छी पहल है जो उन क्षेत्रों में विकास में तेजी लाने का प्रयास करती है जो पीछे रह गए हैं।
 
मित्रों,
मुझे खुशी है कि ऐसे कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जिनसे ‘ईज ऑफ लिविंग’ में सुधार होगा और कोई भी पीछे नहीं रहेगा।
जन-धन योजना ने गरीबों के लिए बैंकिंग का लोकतंत्रीकरण किया है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, उज्ज्वला योजना जैसी तमाम योजनाओं ने आवास, बिजली, ईंधन जैसी सुविधाओं तक गरीबों की पहुंच में काफी सुधार किया है। मैं 2024 तक लगभग 20 करोड़ घरों में नल जल कनेक्शन देने संबंधी महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सरकार की सराहना करता हूं।
आगे चलकर हमें न केवल पहुंच में सुधार लाने बल्कि इन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसा हमारे मॉडलों की समीक्षा करने और बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिलों से अच्छी प्रथाओं का अनुकरण करने से संभव होगा।
 
मित्रों,
अच्छी शिक्षा के साथ-साथ हमें अपने युवाओं को सही कौशल से लैस करना चाहिए और उन्हें पूरी तरह फलने- फूलने के लिए सही सहयोग प्रदान करना चाहिए। इसके लिए बुनियादी ढांचे में सुधार लाने, एक अनुकूल कारोबारी माहौल तैयार करने, नई तकनीक को अपनाने पर जोर देना आवश्‍यक है।
उदाहरण के लिए, कृषि को ही लेते हैं। भले ही हमारे किसान देश का पेट भरने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं लेकिन वर्षों से उनकी आय महज निर्वाहयोग्य रही है। लेकिन सॉइल हेल्थ कार्ड जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सही सहयोग, ई-नाम जैसे बाजार के अवसर, कृषि सिंचाई योजना के जरिये सिंचाई परियोजनाएं, फसल बीमा योजना के जरिये आसान फसल बीमा और खाद्य प्रसंस्करण के जरिये फसलों के बेहतर मूल्यवर्धन के साथ-साथ खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन करते हुए हमारे किसान चमत्कार कर रहे हैं।
हमें फसलों के विविधीकरण और वैज्ञानिक उत्पादन पर जोर देना होगा। इसके अलावा खेतों से बाजारों के बीच कीमतों में गिरावट को दूर करना होगा ताकि किसानों को उनकी मेहनत का फल मिल सके।
इसी प्रकार, हमें कौशल विकास योजना जैसे सरकारी कौशल कार्यक्रमों को पूरक बनना होगा और अपने युवाओं को नवीनतम तकनीकों में सक्षम होगा ताकि उनकी रोजगार क्षमता में सुधार लाया जा सके। सरकार ने देश में कौशल विकास को गति देने के लिए एक समर्पित कौशल विकास मंत्रालय बनाया है। मुझे खुशी है कि सीएसआर फंड और गैर-सरकारी संगठनों के जरिये उद्योग जगत के नेता इन प्रयासों में योगदान दे रहे हैं।
मुझे इस बात की भी खुशी है कि सरकार पिछले कुछ वर्षों के दौरान आत्मनिर्भर भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से कारोबारी सुगमता में सुधार कर रही है। इसके जरिये विशेष तौर पर स्टार्टअप और भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहित की जा रही है। एक संपन्न अर्थव्यवस्था हमारे देश के लिए काफी संपत्ति और हमारे युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करेगी।
 
मित्रों,
अंत में मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि हम अपने देश के संस्थापकों के सपनों से काफी आगे निकल चुके हैं। उन सपनों को साकार करने के लिए सरकारें लगातार प्रयास करती रही हैं। वर्तमान सरकार ने जो किया है वह सुधार की गति को तेज करने और भारत में शासन के तरीके को बदलने के लिए किया गया है। इससे देश कहीं अधिक आत्मविश्वास एवं क्षमता के साथ अपनी विकास यात्रा पर आगे बढ़ेगा।
एक बार फिर, मुझे आज इस पुस्तक ‘एक्सेलरेटिंग इंडिया’ का विमोचन करते हुए काफी खुशी हो रही है। मुझे विश्वास है कि यह नरेन्द्र मोदी जी के डायनेमिक एवं दूरदर्शी नेतृत्व में पिछले 7 वर्षों के दौरान हुई प्रगति के एक उत्कृष्ट एवं उद्देश्यपूर्ण दस्तावेज के रूप में काम करेगी। यह पुस्तक हमारे नीति निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी। यह अधूरे एजेंडे के प्रमुख तत्वों की पहचान करते हुए बताएगी कि और क्या करने की आवश्यकता है। इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए लेखक एवं प्रकाशक श्री अल्फोंस को मेरी हार्दिक बधाई। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।
जय‍हिंद!
 
*****
 
एमजी/एएम/एसकेसी