नीति आयोग ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की दिशा में मार्गदर्शन के लिए हैंडबुक जारी की

नीति आयोग ने आज राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में नीतियां और मानदंड तय करने के लिए मार्गदर्शन हेतू एक पुस्तिका जारी की। इसका उद्देश्य चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना और देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में तेजी से बदलाव की सुविधा प्रदान करना है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग के आधारभूत ढांचे को स्थापित करने के लिए इस हैंडबुक को संयुक्त रूप से नीति आयोग, विद्युत मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग ऊर्जा दक्षता ब्यूरो और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट इंडिया द्वारा विकसित किया गया है।

यह हैंडबुक उन संबंधित अधिकारियों और अन्य हितधारकों के लिए एक व्यवस्थित और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है जो इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना, प्राधिकरण और निष्पादन से जुड़े हुए हैं। यह ईवी चार्जिंग की सुविधा के लिए आवश्यक तकनीकी और नियामक ढांचे के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह ईवी क्षेत्र के उभरते स्वरूप पर विचार करते हुए बुनियादी ढांचे के विकास की वर्तमान जरूरतों पर केंद्रित है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने की प्रक्रिया में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई वैश्विक रणनीति का एक हिस्सा है, जिस पर भारत ने महत्वाकांक्षी आकांक्षाएं व्यक्त की हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “हैंडबुक ईवी चार्जिंग नेटवर्क को लागू करने में जिन चुनौतियों का सामना विभिन्न स्थानीय अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है, यह उनका समाधान करती है। यह राज्यों और स्थानीय निकायों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के लिए एक शुरुआती बिंदु के रूप में कार्य करती है।“
श्री अमिताभ कांत, सीईओ, नीति आयोग ने कहा, “भारत में ईवी का बुनियादी ढांचा तेजी से विकसित हो रहा है और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बाजार में कई खिलाड़ी प्रवेश कर रहे हैं। यह पुस्तिका सार्वजनिक और निजी हितधारकों को मजबूत और सुलभ ईवी चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करने के लिए एक साथ काम करने में ताकत प्रदान करेगी।”
विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए ईवी चार्जिंग एक नई प्रकार की बिजली मांग है। यह डिस्कॉम चार्जिंग सुविधाओं के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति कनेक्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्युत वितरण नेटवर्क में इस मांग को पूरा करने के लिए अपेक्षित क्षमता हो। विद्युत मंत्रालय सचिव श्री आलोक कुमार ने कहा, “विद्युत मंत्रालय और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए इसकी केंद्रीय नोडल एजेंसी यानी ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए डिस्कॉम और राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसके लिए यह हैंडबुक बहुत मददगार होगी। देश में ऊर्जा मिश्रण में अक्षय ऊर्जा की तेजी से बढ़ती हिस्सेदारी के साथ, आने वाले वर्षों में ई-मोबिलिटी की ओर परिवर्तन से होने वाले लाभ और अधिक महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है।”
जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के विपरीत, इलेक्ट्रिक वाहनों को किसी भी स्थान पर चार्ज किया जा सकता है, बशर्ते चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध हों। इसके लिए ईवी चार्जिंग नेटवर्क की योजना बनाने के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है- एक जो उन्हें जब भी पार्क किया जाता है, रात में या दिन के दौरान चार्ज करने की अनुमति देता है। स्थानीय अधिकारियों को सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे के आवश्यक पैमाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यह योजना प्रक्रियाओं में शामिल है। डॉ. ओपी अग्रवाल, सीईओ, डब्ल्यूआरआई इंडिया ने कहा, “हैंडबुक परिवहन और शहरी नियोजन ढांचे में ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे को एकीकृत करने में योजना अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है। चार्जिंग नेटवर्क के लिए स्थानीय नियोजन का समर्थन करने के लिए यह एक संसाधन है, क्योंकि अधिक राज्यों और शहरों ने बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन के लिए आवश्यकताओं पर विचार करना शुरू कर दिया है।”
इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ जाने के लिए सार्वजनिक या निजी चार्जिंग स्थलों का एक मजबूत और व्यापक नेटवर्क होना महत्वपूर्ण है। डॉ. आशुतोष शर्मा, सचिव, डीएसटी ने कहा,”डीएसटी भारत में ईवी बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं के अनुरूप लागत प्रभावी चार्जिंग नेटवर्क का समर्थन करने के लिए भारतीय मानकों और प्रोटोटाइप के विकास का नेतृत्व कर रहा है। इस पुस्तिका में परिभाषित कम लागत वाले ईवी चार्ज पॉइंट के लिए वितरित योजना दृष्टिकोण, आगामी मानकों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से समर्थन कर सकता है।”
विद्युत मंत्रालय ने प्रत्येक 3*3 ग्रिड के लिए या राजमार्ग पर प्रत्येक 25 किमी पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन रखने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया है, अन्य छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करना और योजनाएँ बनाना शहरी स्थानीय निकायों या राज्य नोडल एजेंसियों पर निर्भर है। हैंडबुक मुख्य रूप से नगर निगमों और डिस्कॉम जैसे प्राधिकरणों को लागू करने के लिए है, लेकिन नियामक उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है जो चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की प्रक्रिया को और आसान बना सकते हैं।
हैंडबुक को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और भारी उद्योग विभाग का भी समर्थन प्राप्त है।
रिपोर्ट यहां देखी जा सकती है।
 
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