इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी ने एथेनॉल मिश्रित ईंधन पर विचार-विमर्श करने के लिए एथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था पर वेबिनार आयोजित किया

इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए पिछले सप्ताह एस्पायर के अपने प्रौद्योगिकी मंच के माध्यम से ज्ञान साझा करने वाले दो दिवसीय ‘एथेनॉल अर्थव्यवस्था’ वेबिनार का आयोजन किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 5 जून 2021 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर “भारत में वर्ष 2020-2025 के दौरान एथेनॉल सम्मिश्रण से संबंधित योजना पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट” जारी की थी।

भारत और विश्व के तमाम विशेषज्ञ जो एथेनॉल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वाहनों तथा बुनियादी ढांचे के विकास पर काम कर रहे हैं, उन सब ने इस वेबिनार में अपने अनुभवों को साझा किया और उन अवसरों तथा चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला, जो एथेनॉल मिश्रित ईंधन बनाने के लिए प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं विकसित करने के दौरान आ सकती हैं। इसके अलावा भारत में ईबीपी ईंधन को सुचारू रूप से अपनाने के लिए विचारों, नए प्रस्तावों व नए सुझावों पर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को पांच साल घटाकर 2025 तक कर दिया गया है। पेट्रोल को एथेनॉल के साथ मिलाने से आयात पर निर्भरता काफी कम होगी। भारत सरकार 41,000 करोड़ रुपये तक के निवेश की उम्मीद कर रही है, जिससे भारत को 2022 तक 10 प्रतिशत और 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

एस्पायर गवर्निंग बोर्ड के सदस्य सचिव और आईसीएटी के निदेशक श्री दिनेश त्यागी ने इस वेबिनार का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में, उन्होंने भारत के लिए ऊर्जा स्वतंत्रता और स्थिरता को देखते हुए एथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड- आईओसीएल के अनुसंधान एवं विकास निदेशक डॉ. एसएसवी रामकुमार, जो नीति आयोग के तहत तैयार किए गए एथेनॉल अर्थव्यवस्था नीति दस्तावेज के सह-लेखकों में से एक हैं, उन्होंने देश में एथेनॉल सम्मिश्रण के वर्तमान परिदृश्य पर जानकारी प्रस्तुत की। फिलहाल एथेनॉल सम्मिश्रण 8.5 प्रतिशत है और तेल विपणन कंपनियों तथा विभिन्न राज्य सरकारों के ठोस प्रयासों से वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक 10% एथेनॉल बढ़ाये जाने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि इससे 10% मिश्रण के लिए 300 करोड़ लीटर एथेनॉल की वर्तमान क्षमता 400 करोड़ लीटर तक बढ़ जाती है। उन्होंने अनुमान लगाया है कि 2025 तक देश के लिए 1000 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी।

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ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के निदेशक डॉ रेजी मथाई ने कहा कि वर्ष 2023 तक भारत में कुछ स्थानों पर 20% मिश्रित एथेनॉल की बिक्री होगी और 2025 तक यह पूरे भारत में उपलब्ध हो जायेगा। उन्होंने कहा कि वाहन निर्माता एथेनॉल मिश्रित ईंधन की चुनौतियों का समाधान करेंगे और उन्होंने यह भी बताया कि भारत में स्थानीय स्तर पर ई20 ईंधन की उपलब्धता के विकल्प देश की विभिन्न रिफाइनरियों के साथ तलाशे जा रहे हैं।

एस्पायर गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष और मारुति सुजुकी इंडिया के मुख्य तकनीकी अधिकारी श्री सी वी रमन ने कहा कि एथेनॉल मिश्रित ईंधन में 18% गैसोलीन की खपत को घटाने की क्षमता है। ई20 ईंधन से हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी 16% की कमी आएगी। हालांकि, उन्होंने इस पर ग्राहकों की स्वीकार्यता और सड़क पर चलने वाले वाहनों के साथ एथेनॉल मिश्रित ईंधन के साथ अनुकूलता के प्रभाव के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की, जो 20% एथेनॉल मिश्रित ईंधन से चलने के लिए विकसित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप ईंधन की खपत में वृद्धि हो सकती है और वाहनों के रखरखाव पर उच्च लागत आ सकती है। श्री रमन ने एथेनॉल को कार्बन तटस्थ ईंधन के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि ई20 से लेकर ई85/ई100 तक सभी एथेनॉल मिश्रित ईंधन के लिए आरओएन 95 ईंधन मानक होना चाहिए।

हीरो मोटोकॉर्प के ईडी और सीटीओ श्री विक्रम कसबेकर ने कहा कि ऑटोमोटिव उद्योग ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है और भारत में समग्र विनिर्माण क्षमता को बढ़ाया है। उन्होंने कार्बोरेटेड दोपहिया वाहनों पर ई20 ईंधन के प्रभाव पर अपनी चिंता व्यक्त की, क्योंकि देश भर में बड़ी संख्या में ऐसे वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। उन्होंने ई10 को एक निश्चित अवधि के लिए आधार ईंधन होने का सुझाव दिया ताकि ग्राहकों को ईंधन अर्थव्यवस्था के नुकसान की भरपाई की जा सके। उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए ऊर्जा रोड मैप में स्पष्टता होना अनिवार्य है।

‘तकनीकी चुनौतियों’ पर दूसरा सत्र एथेनॉल मिश्रित ईंधन से संबंधित था। इसके वक्ताओं में आईआईटी कानपुर में इंजन रिसर्च लेबोरेटरी से प्रोफेसर अविनाश के अग्रवाल; एआरएआई के उप निदेशक पावरट्रेन डॉ. एस एस थिप्से; आईआईपी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ देवेंद्र सिंह; आईआईटी इंदौर में सहायक प्रोफेसर डॉ देवेंद्र देशमुख; और सूद केमी इंडिया वडोदरा के उपाध्यक्ष (वायु शोधन, अनुसंधान एवं विकास) श्री दिनेश कुमार शामिल थे। इस सत्र में एथेनॉल मिश्रित ईंधन के लिए विकासशील वाहनों की विनिर्माण चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इस दौरान सामग्री की अनुकूलता, ऊर्जा दक्षता, ईंधन की बचत और समाधान के बाद की तकनीकों से मेल खाने वाली तकनीकों पर भी चर्चा की गई, जो मिश्रित ईंधन के लिए वाहनों के विकास में प्रमुख चुनौतियां हैं।

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‘इथेनॉल ब्लेंडेड फ्यूल (ईबीएफ) नीति पर ऑटो उद्योगों के लिए चुनौतियां’ विषय पर पैनल चर्चा का संचालन मोबिलिटी आउटलुक के संपादक श्री दीपांगशु देव सरमा ने किया। पैनलिस्टों में आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन रे; हीरो मोटोकॉर्प के कार्यकारी सलाहकार श्री हरजीत सिंह; एमएसआईएल में कार्यकारी उपाध्यक्ष इंजीनियरिंग श्री अनूप भट; एसआईएएम के कार्यकारी निदेशक श्री पीके बनर्जी; सूद केमी के उपाध्यक्ष (वायु शोधन अनुसंधान एवं विकास) श्री दिनेश कुमार; बॉश (एसीएमए) के महाप्रबंधक श्री के यू रवींद्र; और एफआईपीआई के महानिदेशक डॉ. आर.के मल्होत्रा शामिल थे। सभी पैनलिस्टों ने हानिकारक उत्सर्जन को कम करने, आयात लागत में कमी और कच्चे माल के उत्पादन में किसानों के फायदे में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लाभों को स्वीकार किया।

पैनल ने चर्चा की कि भारत में ईबीपी की सफलता के लिए जागरूकता निर्माण एक महत्वपूर्ण पहलू है, और सभी हितधारकों को ईबीपी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी फैलाने पर काम करना चाहिए। अन्य चुनौतियों में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिए वाहन प्रदर्शन अनुकूलता, कम ईंधन दक्षता, मूल्य निर्धारण, भंडारण, इंजन विश्वसनीयता के मुद्दे, विभिन्न जैव स्रोतों से एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की कार्य क्षमता में असंगति और सभी पहलुओं में नीति में स्थिरता की आवश्यकता आदि शामिल हैं। सत्र के दौरान देश में ईबीपी के समग्र परिदृश्य को शामिल किया गया, जिनमें चुनौतियों और संभावित समाधान भी शामिल हैं, जैसे दीर्घकालिक रणनीति की योजना बनाना, स्थिर मूल्य निर्धारण, सुसंगत नीतियां और सभी विकासों को संरेखित करना, इन उपायों को मंत्रालयों तथा उद्योगों द्वारा एथेनॉल मिश्रित ईंधन के साथ सफल होने के लिए किया जा सकता है।

आईसीएटी राष्ट्रीय स्वचालित बोर्ड (एनएबी) के अधीन है, जो भारी उद्योग मंत्रालय के संरक्षण में एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है।

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