सीबीडीटी ने करदाताओं को सेटलमेंट के लिए आवेदन दाखिल करने का अवसर दिया

वित्त अधिनियम, 2021 ने आयकर अधिनियम, 1961 (“अधिनियम”) के प्रावधानों में संशोधन किया है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ दिया गया है कि इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन (“आईटीएससी”) 1/2/2021 से कार्य बंद कर देगा।  इसके अलावा, यह भी प्रावधान किया गया है कि 01.02.2021 को यानि जिस दिन वित्त विधेयक, 2021 लोकसभा के समक्ष रखा गया था या उसके बाद सेटलमेंट के लिए कोई भी आवेदन दायर नहीं किया जा सकता है। 31/1/2021 तक लंबित सेटलमेंट आवेदनों को निपटाने के लिए केंद्र सरकार ने 10/8/2021 को 2021 की अधिसूचना संख्या 91 के तहत सेटलमेंट के लिये अंतरिम बोर्ड (इसके बाद “अंतरिम बोर्ड” के रूप में संदर्भित) का गठन किया है। लंबित मामलों में करदाताओं के पास यह विकल्प होता है कि वे निर्दिष्ट समय के भीतर अपने आवेदन वापस ले सकते हैं और इसके बारे में कर निर्धारण अधिकारी को सूचित कर सकते हैं।

यह दर्शाया गया है कि 01.02.2021 तक कई करदाता आईटीएससी के समक्ष सेटलमेंट के लिये अपना आवेदन दाखिल करने के अग्रिम चरणों में थे।  इसके अलावा, कुछ करदाता उच्च न्यायालयों में इस अनुरोध के साथ पहुंचे हैं कि सेटलमेंट के लिए उनके आवेदन स्वीकार किये जायें। कुछ मामलों में माननीय उच्च न्यायालयों ने अंतरिम राहत देते हुए दिनांक 01.02.2021 के बाद भी सेटलमेंट के आवेदनों को स्वीकार करने का निर्देश दिया है। इसके परिणामस्वरूप अनिश्चितता और लंबी मुकदमेबाजी सामने आई है।

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ऐसे करदाताओं को राहत प्रदान करने के लिये जो 31.01.2021 तक आवेदन दाखिल करने के लिए पात्र थे, लेकिन वित्त अधिनियम, 2021 के तहत आईटीएससी के कार्य बंद करने के कारण इसे दाखिल नहीं कर सके, यह निर्णय लिया गया कि करदाताओं के द्वारा सेटलमेंट के लिये आवेदन अंतरिम बोर्ड के समक्ष 30 सितंबर, 2021 तक प्रस्तुत किये जा सकते हैं, अगर वो निम्नलिखित शर्तें पूरी करते हैं: –

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ऐसे आवेदन, उनकी वैधता के आधार पर, अधिनियम की धारा 245ए के खंड (ईबी) के तहत “लंबित आवेदन” माने जाएंगे और अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अंतरिम बोर्ड द्वारा निपटाये जायेंगे।

यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे आवेदन दाखिल करने वाले करदाताओं के पास अधिनियम की धारा 245एम के प्रावधानों के अनुसार इन आवेदनों को वापस लेने का विकल्प नहीं होगा। इसके अलावा, वे करदाता जिन्होंने 01.02.2021 को या उसके बाद विभिन्न उच्च न्यायालयों के निर्देश के अनुसार पहले ही निपटान के लिए आवेदन दायर कर दिया है और जो उक्त आवेदन को दाखिल करने की तिथि पर उपरोक्त पैरा 3 के अनुसार, ऐसे आवेदन को दायर करने के लिए पात्र हैं,  उन्हें इस तरह के आवेदन को फिर से दाखिल करने के लिए आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी।

इस संबंध में विधायी संशोधन नियत समय में प्रस्तावित किये जायेंगे।

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एमजी/एएम/एसएस