विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी मंच के अंतर्गत ऊर्जा उद्योग को संबोधित किया

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी मंच और इस उद्योग जगत के प्रमुखों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। श्री सिंह ने प्रतिभागियों को ऊर्जा क्षेत्र के लिए भारत सरकार की प्राथमिकताओं से अवगत कराते हुए कहा कि मंत्रालय 2047 तक ऊर्जा आत्मनिर्भरता हासिल करने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण पर कार्य करना प्रारंभ कर चुका है।

 

The Hon’ble Minister of Power and New & Renewable Energy, Shri R K Singh, addressed the members of @USISPForum and industry leaders, in a Virtual Energy Industry Roundtable, today. pic.twitter.com/YFpTKH7aVM

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत और अमरीका के लक्ष्य समान हैं और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के प्रति समान उत्साहपूर्ण दृष्टिकोण को साझा करते हैं। हम एक ऐसी साझेदारी चाहते हैं जो जलवायु परिवर्तन की समस्या का शमन करने की दिशा में अन्यदुनिया के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सके। इस साझेदारी में यह उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

श्री सिंह ने कहा कि भारत ने 2022 तक आरई की 175 गीगावॉट क्षमता और 2030 तक 450 गीगावॉट आरई क्षमता रखने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत स्थापित सौर और पवन क्षमता में 100 गीगावॉट तक के मुकाम पर पहुंच चुका है और इसमें हाइड्रो क्षमता को भी जोड़ने के बाद, कुल स्थापित नवीकरणीय क्षमता 146 मेगावाट है। इसके अलावा, 63 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता के लिए कार्य जारी है जो भारत को नवीकरणीय क्षमता की वृद्धि के मामले में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाता है।

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ऊर्जा के उपयोग के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करने के भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत अगले 3-4 महीनों में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के व्यवहार्य उपयोग के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु हरित हाइड्रोजन के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियों का आयोजन करेगा।

भंडारण क्षमता को बढ़ावा देने में भारत सरकार के प्रयासों के संदर्भ में श्री सिंह ने कहा कि व्यापक नवीकरणीय क्षमता के एकीकरण को और समर्थन देने के लिए, हम अपनी पंप हाइड्रो भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। निकटतम भविष्य में, भारत में कार्ड पर बैटरी भंडारण को विकसित करने के लिए वैश्विक और घरेलू निर्माताओं को आमंत्रित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की जाएगीं। भारत जल्द ही 4000 मेगावॉटआर्स बीईएसएस बोलियां आमंत्रित करेगा और इसके पश्चात, लद्दाख में 12 गीगावॉट प्रति घंटा परियोजना का शुभारंभ करेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया को इन प्रौद्योगिकियों को व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने और इन्हें व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए अधिक संख्या में इलेट्रोलाइज़र, बैटरी भंडारण सुविधाओं आदि के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। तभी हम वास्तव में जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर स्थानांतरित हो पाएंगे।

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उनके संबोधन के बाद उद्योग प्रतिभागियों के साथ विचार-विर्मश किया गया, जिसका संचालन यूएसआईएसपीएफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री नोल्टी थेरियट ने किया। यह वार्तालाप हाल ही में संपन्न अमेरिका-भारत सामरिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी(एससीईपी) संवाद और गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि की उपलब्धि के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, इस संवाद के तहत निजी क्षेत्र को इस मंच से यह जानकारी भी प्रदान की गई कि किस प्रकार से अमेरिका और भारत के मध्य ऊर्जा सहयोग सतत विकास, प्रौद्योगिकी विकास और बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन कर सकता है, और इसके साथ-साथकार्बन को कम करनेकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए,व्यवसायों और लोगों के लिए अवसरों केसृजनहेतु निवेश की सुविधा भी प्रदान कर सकता है।

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