चलो! कांग्रेस एक जिद्दी मुख्यमंत्री से तो मुक्त हुई। यह राहुल गांधी का बोल्ड फैसला है। नवजोत सिंह सिद्धू पर पाकिस्तान परस्त होने के आरोप लगाना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।

चलो! कांग्रेस एक जिद्दी मुख्यमंत्री से तो मुक्त हुई। यह राहुल गांधी का बोल्ड फैसला है।
नवजोत सिंह सिद्धू पर पाकिस्तान परस्त होने के आरोप लगाना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
आसान नहीं है नए नेता का चुनाव। विधायक दल की बैठक स्थगित करनी पड़ी।
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कांग्रेस में यदि सोनिया गांधी की चल रही होती तो कैप्टन अमरिंदर सिंह अभी भी पंजाब के मुख्यमंत्री बने रहते, लेकिन कांग्रेस में अब राहुल गांधी सबसे शक्तिशाली नेता है, इसलिए 18 सितंबर को मुख्यमंत्री को बताए बगैर पंजाब कांग्रेस के विधायक दल की बैठक बुलाई गई। राहुल गांधी की इस पहल से नाराज होकर कैप्टन ने बैठक से पहले ही राज्यपाल को इस्तीफा दे दिया। यानी जिस जिद्दी मुख्यमंत्री से कांग्रेस आलाकमान परेशान था, उस मुख्यमंत्री से एक झटके में पीछा छूट गया। अब परिणाम कुछ भी हों, लेकिन समस्या का समाधान तो हो ही गया है। जिद्दी मुख्यमंत्री से कांग्रेस को मुक्त करने में राहुल गांधी का बोल्ड फैसला रहा है। इस बार राहुल गांधी ने इस बात की परवाह नहीं की कि लोग क्या कहेंगे? लोगों की परवाह किए बिना राहुल ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। अब राहुल पंजाब में कांग्रेस को अपने नजरिए से चला सकते हैं। पंजाब कांग्रेस में अब कांग्रेस आला कमान को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। यह बात अलग है कि जाते जाते अमरिंदर सिंह अपने प्रतिद्वंदी नवजोत सिंह सिद्धू की इमेज पाकिस्तान परस्त कर गए हैं। असल में सिद्धू ने ही कैप्टन के विरुद्ध विधायकों को एकजुट किया। अमरिंदर सिंह अब सिद्धू की इमेज खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यही वजह है कि कैप्टन ने सिद्धू को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ बाजवा का दोस्त बताया है। कैप्टन का मानना है कि सिद्धू राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। पाकिस्तान से आ रहे हथियारों में भी सिद्धू की भूमिका जोड़ दिया गया है। ऐसे सवाल उठता है कि पंजाब में विधानसभा का चुनाव सिद्धू को आगे रख कर कांग्रेस कैसे लड़ेगी? राहुल गांधी मौजूदा समय में सिद्धू को ही पंजाब में कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता मान रहे हैं। कैप्टन को हटाने और सिद्धू को आगे रखने के बाद कांग्रेस की स्थिति का पता 6 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम से पता चलेगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस संगठन में राहुल गांधी ने अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। राहुल गांधी अब पुराने नेताओं को हटाकर नवजोत सिंह सिद्धू, अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल जैसे नेताओं को आगे लाना चाहते हैं। राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन को पंजाब में पर्यवेक्षक बना कर भेजने से जाहिर है कि राहुल गांधी को माकन की योग्यता पर भरोसा है। देखना होगा कि कैप्टन ने सिद्धू पर पाकिस्तान परस्त होने के जो आरोप लगाए हैं, उससे राहुल गांधी कैसे निपटते हैं। सिद्धू पर ऐसे आरोप बहुत गंभीर है। यदि इमरान खान और सिद्धू के बीच फोन पर बातचीत होती है तो यह वाकई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
आसान नहीं है नए नेता का चुनाव:
राहुल गांधी ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटा तो दिया है, लेकिन अब नए नेता का चुनाव करना आसान नहीं है। 18 सितंबर को कैप्टन के इस्तीफे के विधायक दल की जो बैठक हुई थी, उसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर नए नेता को घोषित करने का अधिकार आलाकमान यानी राहुल गांधी को दिया था। उम्मीद थी कि कांग्रेस आलाकमान देर रात को ही नए मुख्यमंत्री की घोषणा कर देगा, इसलिए 19 सितंबर को प्रात: 11 बजे चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुला ली गई, लेकिन देर रात तक नए नेता का चयन हाईकमान नहीं कर सका, इसलिए विधायक दल की बैठक को रद्द करना पड़ा। नियमों के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव विधायक दल की बैठक में ही होगा और फिर इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। जानकार सूत्रों की मानें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया है। हालांकि अभी यह पता नहीं चला कि इन दोनों ने किन कारणों से इंकार किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जिस तरह अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया उस से पंजाब में कांग्रेस की सरकार चलाना आसान नहीं होगा। भले ही 18 सितंबर को कैप्टन ने कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं किया हो, लेकिन कांग्रेस के विधायकों में कैप्टन के समर्थकों की संख्या भी तीस से ज्यादा बताई जा रही है। यदि कैप्टन की सहमति से नेता का चुनाव नहीं होता है तो विधायक दल की बैठक में ही विवाद उत्पन्न हो जाएगा। यही वजह है कि अब कैप्टन को मनाने की कोशिश की जा रही है।