इस्तीफे के पत्र में सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने बहुत सख्त भाषा का इस्तेमाल किया है।

इस्तीफे के पत्र में सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने बहुत सख्त भाषा का इस्तेमाल किया है।
आखिर लोकेश शर्मा को इस्तीफा क्यों देना पड़ा। पिछले 12 वर्षों से गहलोत के साथ जुड़े हुए थे।
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पंजाब की घटनाओं का राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पर कितना असर पड़ेगा, यह तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही जानते हैं, लेकिन सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा के इस्तीफे से राजस्थान कांग्रेस में उबाल आ गया है। सब जानते हैं कि सीएम गहलोत विवादों से बचने की कोशिश में रहते हैं, इसलिए पंजाब के घटनाक्रम पर गहलोत ने अभी तक कोई ट्वीट नहीं किया है, लेकिन ओएसडी लोकेश शर्मा ने एक ट्वीट से मुख्यमंत्री सचिवालय पर आफत आ गई है। 18 सितंबर को जब पंजाब कांग्रेस में घमासान हो रहा था, तब लोकेश शर्मा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी की हैसियत से एक ट्वीट किया। यह ट्वीट था, मजबूत को मजबूर, मामूली को मगरूर किया जाए, बाड़ ही खेत को खाए तो उस फसल को कौन बचाए। हालांकि इस ट्वीट में पंजाब की उठापटक का कोई उल्लेख नहीं था, लेकिन मुख्यमंत्री के प्रतिद्वंद्वियों ने ओएसडी के ट्वीट को कांग्रेस आलाकमान से जोड़ दिया। इस ट्वीट का अर्थ राजस्थान में सीएम गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की खींचतान से भी निकाला गया। जानकार सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत ने भी इस ट्वीट पर नाराजगी जताई। सीएम की नाराजगी को देखते हुए ही लोकेश शर्मा ने ओएसडी के पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी, लेकिन इस्तीफे के पत्र की भाषा से प्रतीत होता है कि अब लोकेश शर्मा भी मुख्यमंत्री सचिवालय से नाराज हैं। लोकेश को लगता है कि सचिवालय में बैठे कुछ चुगलखोर अधिकारियों ने ही सीएम को गुमराह किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकेश शर्मा पिछले 12 वर्षों से अशोक गहलोत के प्रति वफादारी दिखा रहे हैं। भाजपा के शासन में गहलोत जब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे, तब लोकेश शर्मा ही राजस्थान में गहलोत का प्रचार प्रसार करते थे। यही वजह रही कि वर्ष 2018 में सीएम बनने पर गहलोत ने लोकेश शर्मा को अपना ओएसडी घोषित कर दिया। गत वर्ष जब कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी हुई, तब लोकेश के मोबाइल से ही एक ऑडियो वायरल हुआ। यह ऑडियो विधायकों की खरीद फरोख्त से जुड़ा हुआ था। तब यह माना गया कि गहलोत सरकार विधायकों के फोन टेप करवा रही है। इसको लेकर दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पुलिस में मुकदमा भी दर्ज करवाया। अन्य समर्थकों की तरह लोकेश शर्मा को भी लगता है कि गहलोत सरकार उन्हीं की वजह से बची हुई है। इस्तीफे के पत्र की भाषा को देखा जाए तो प्रतीत होता है कि लोकेश शर्मा सिर्फ ओएसडी नहीं बल्कि कांग्रेस के बहुत बड़े नेता हैं।
यह है पत्र की भाषा:
आदरणीय मुख्यमंत्री जी
राजस्थान।
आज दिन में मेरे द्वारा किये गए ट्वीट को राजनीतिक रंग देते हुए, गलत अर्थ निकालकर पंजाब के घटनाक्रम से जोड़ा जा रहा है। श्रीमान से निवेदन है कि वर्ष 2010 से मैं ट्विटर पर सक्रिय हूँ और मैंने आज तक पार्टी लाइन से अलग, कांग्रेस के किसी भी छोटे से लेकर बड़े नेता के संबंध में और प्रदेश की कांग्रेस सरकार को लेकर कभी कोई ऐसे शब्द नहीं लिखे हैं जिन्हें गलत कहा जा सके। आपके द्वारा ओएसडी की जिम्मेदारी देने के बाद से मेरी सीमाओं और मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए कभी कोई राजनीतिक ट्वीट नहीं किया। मैंने हमेशा राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की बात, सरकार के फैसले, जनकल्याणकारी योजनाओं और सरकार की सकारात्मक मंशा को ही आगे बढ़ाने का प्रयास किया या सरकार के कार्यकलाप और सरकार की एवं मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने वाले लोगों को तथ्यों के साथ जवाब देकर उनके द्वारा फैलाए जाने वाले भ्रामक प्रचार को रोकने का प्रयास किया। मैं लगभग रोजाना ही ट्वीट करता रहता हूँ। श्रीमान मेरे आज के ट्वीट से किसी भी रूप में पार्टी, सरकार और आलाकमान की भावनाओं को ठेस पहुँची हो तो मैं करबद्ध रूप से क्षमा चाहता हूँ, मेरी मंशा, मेरे शब्द और मेरी भावना किसी को भी किसी भी रूप में ठेस पहंचाने वाली नहीं थी और न कभी होगी। माननीय फिर भी अगर आपको लगता है मेरे द्वारा जान बूझकर कोई गलती की गयी है तो मैं आपके विशेषाधिकारी पद से इस्तीफा भेज रहा हूँ, निर्णय आपको करना है।
सदैव आपका आज्ञाकारी
लोकेश शर्मा
दिनांक: 18.09.21