प्लास्टिक मुक्त शहर और महासागर: “पार्ले फॉर द ओशन्स” के संस्थापक और सीईओ सिरिल गुत्श के साथ एक राष्ट्रीय नीति संवाद

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने की अत्यधिक जरूरत को देखते हुए, नीति आयोग ने आज “पार्ले फॉर द ओशन्स” के संस्थापक और सीईओ सिरिल गुत्श के साथ नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार की अध्यक्षता में “प्लास्टिक मुक्त शहरों और महासागरों” पर एक राष्ट्रीय नीति संवाद का आयोजन किया। माननीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव इस संवाद के मुख्य अतिथि थे।

2018 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री ने 2022 तक 100 फीसदी एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। तब से भारत ने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबंध और निषेध सहित कई नियामक हस्तक्षेप किए हैं।

श्री गुत्श को बधाई देते हुए माननीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने इस बात को रेखांकित किया कि प्लास्टिक अपशिष्ट की चुनौती से निपटने के लिए मंत्रालय की प्रमुख पहल- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2021 और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) हैं।

इस संवाद में नॉर्वे के पूर्व पर्यावरण व अंतर्राष्‍ट्रीय विकास मंत्री और यूएनईपी के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री एरिक सोल्हेम ने हिस्सा लिया। इसके अलावा जापान व नॉर्वे के राजदूत, डेनमार्क व स्वीडन के प्रतिनिधि, भारत में यूएनईपी प्रमुख, और संबंधित मंत्रालयों के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए। वहीं, तटीय और गंगा-बेसिन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी और प्रख्यात शिक्षाविद वर्चुअल माध्यम के जरिए शामिल हुए।

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अपनी विस्तृत प्रस्तुति में, श्री गुत्श ने इस क्षेत्र में परिणाम प्राप्त करने के लिए बड़े कारोबारियों और नवप्रवर्तकों की अधिक भागीदारी की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने भविष्य में वर्जिन (नए) प्लास्टिक के उपयोग से साफ-सुथरी जगह बनाने के लिए सामग्री को फिर से डिजाइन करने की अवधारणा को सामने रखा। उन्होंने इस बात को साझा किया कि एक पर्यावरण-अभिनव विकल्प “पार्ले ओशन प्लास्टिक” – इंटरसेप्टेड और अपसाइकल समुद्री प्लास्टिक मलबे से एक गेम-चेंजिंग फाइबर को विकसित और इसका पेटेंट किया है और नए उद्योग मानकों को स्थापित करने के लिए एडिडास, स्टेला मेकार्टनी, अमेरिकन एक्सप्रेस और कोरोना जैसे ब्रांडों के साथ सहयोग किया है। श्री गुत्श ने कहा कि विश्व को जहरीले प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए इस प्रकार की सफलताओं की जरूरत है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने तर्क देते हुए कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन 17 एसडीजी में से 14 में योगदान करने के लिए एक अनूठा एक-दूसरे से संबंधित अवसर पैदा करता है, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत करने के लिए गंगा नदी व तटीय क्षेत्रों में प्लास्टिक का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और द्वीपों के साथ सहयोग का सुझाव दिया।

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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि प्लास्टिक समाज में वरदान से अभिशाप बन जाने का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2022 तक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का वचन देने वाला एक अग्रणी देश है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि तकनीकी प्रगति के युग में नवाचार आगे का रास्ता होगा और देश की विभिन्न आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

इस संवाद में प्लास्टिक उत्पादों के पुनर्चक्रण और फिर से उपयोग, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को बदलने के लिए अनुसंधान व नवाचार के लिए सहायता, संस्थागत सुदृढ़ीकरण, जन जागरूकता, गतिविधियों की निरंतर समीक्षा व सुधार और क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंतर्राष्‍ट्रीय स्तरों पर विनियमनों के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई।

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एमजी/एएम/एचकेपी/वाईबी