गंगा उत्सव में पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा, नदियां और भारतीय सभ्यता आपस में जुड़ी हुई हैं

‘गंगा उत्सव 2021-द रिवर फेस्टिवल’ के दूसरे दिन समारोह और दिलचस्प बातचीत जारी रही। इस वर्ष यह त्योहार देश के लोगों और नदियों के बीच प्राचीन जुड़ाव को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नदी उत्सव (रिवर फेस्टिवल) मनाने के आह्वान से प्रेरित है।

दिन की शुरुआत सुश्री रेवती सकलकर की मनमोहक आवाज में सरस्वती वंदना से हुई। श्रीमती सकलाकर काशी की कोकिला के नाम से प्रसिद्ध हैं। दूसरे दिन सभी सहयोगी संगठनों के अधिकारियों ने जनता को प्रोत्साहित करने के लिए दर्शकों के रूप में शामिल हुए। उत्सव के पहले दिन की झलक साझा करते हुए श्री राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक, एनएमसीजी ने जीआईजेड, एनआईयूए आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों सहित अन्य संस्थानों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “एनएमसीजी गंगा को फिर से जीवंत करने के लिए जन जागरूकता और जन भागीदारी गतिविधियों में लगातार काम कर रहा है। यह उत्सव गंगा दूत, गंगा प्रहरी, एनवाईकेएस और अन्य जैसे सभी ग्राउंड से जुड़े स्वयंसेवकों को अपना काम जारी रखने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन देता है।”

केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. कृष्णा रेड्डी ने गंगा उत्सव के 5वें संस्करण के उत्सव पर एनएमसीजी को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘इस उत्सव के माध्यम से भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत भी प्रतिबिंबित होती है।’ नदी और लोगों के बीच जुड़ाव पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “नदियां और भारतीय सभ्यता इतनी परस्पर जुड़ी हुई हैं कि हर नदी को भारत में मां कहा जाता है। नदियों के बिना भारत की सभ्यता का कोई अस्तित्व नहीं है।” यही कारण है कि गंगा उत्सव भी आजादी के अमृत महोत्सव का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने गंगा बेसिन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एनएमसीजी के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय द्वारा की गई गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण, जलज सफारी आदि जैसी विभिन्न पहलों के बारे में भी जानकारी दी। इससे स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और नदियों पर उनकी निर्भरता कम होगी।

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नर्मदा नदी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए जल शक्ति मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा, “नदी का अस्तित्व हमसे नहीं है, बल्कि नदी के कारण ही हमारा अस्तित्व है। इसलिए, अपनी नदियों को मानव निर्मित नहरों की तरह मत समझो।”उन्होंने आगे कहा कि हम सभी को उंगली उठाने की बजाय नदियों के संरक्षण में अपने (व्यक्तिगत) योगदान पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “नदी महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं है बल्कि खुद को यह याद दिलाने का अवसर है कि ‘जल ही धन है’ (पानी अनमोल है)। आज, धनतेरस पर आइए हम देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि हमें जल-धन (जल) प्रदान करें।”

आईएनटीएसीएच द्वारा तैयार की गईएक पुस्तक ‘सेलिब्रेटिंग द स्पिरिट ऑफ रिवर’ का विमोचन केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी कृष्णा रेड्डी और जल शक्ति मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने किया। श्री मनु भटनागर, प्रिंसिपल डायरेक्टर, आईएनटीएसीएच ने इस लॉन्च के अवसर पर आईएनटीएसीएच की ओर से उपस्थित थे।

दोनों मंत्रियों ने गंगा से गोदावरी और नर्मदा से कावेरी तक सभी नदियों का जश्न मनाते हुए ‘भारत की नदियां’ का एक गाने का वीडियो भी लॉन्च किया। यह वीडियो आईआईटी मद्रास की एक पहल, द सेंटर फॉर क्लीन वाटर (आईसीसीडब्ल्यू) के सहयोग से जाने-माने भारतीय-अमेरिकी संगीतकार डॉ. कनिका कनिकोश्वरन की रचना है। अग्रणी भारतीय शास्त्रीय संगीतकार बॉम्बे जयश्री और कौशिकी चक्रवर्ती और उनके बेटे के साथ दुनिया भर के कई अन्य संगीतकारों ने वर्चुअल मोड में जुड़कर इस विडियो को बनाया है।

नदियों के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए मंत्रियों द्वारा गंगा नॉलेज पोर्टल का कर्टेन रेजर लॉन्च किया गया। चाचा चौधरी और गंगा की बात के रूप में कॉमिक्स के इस असरदार माध्यम से बच्चों को जोड़ने के लिए पहले से स्वीकृत पहल के संदर्भ में पहली कॉमिक बुक ‘चाचा चौधरी और गंगा उत्सव’ का विमोचन किया गया।

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प्रायोजित थीसिस की पुस्तक, ‘री-इमेजिनिंग अर्बन रिवर’ को गंगा उत्सव-2021 में लॉन्च किया गया था। यह नमामि गंगे मिशन के एक और अभिनव प्रयास से विकसित किया गया है जिसमें राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान के साथ साझेदारी में एक थीसिस प्रतियोगिता के माध्यम से शहरी नदियों के लिए समग्र सोच विकसित करने वाले छात्रों को शामिल किया गया है। गंगा डायलॉग्स में, सुश्री रुचि बडोला, वैज्ञानिक, डब्ल्यूआईआई ने कैसे डब्ल्यूआईआई ने नदी-लोगों को जोड़ने के अभिनव तरीके तैयार किए हैं को लेकर जानकारी दी। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे उन्होंने गंगा की जैव विविधता की रक्षा के लिए गंगा प्रहरी को प्रशिक्षित किया। एक अन्य सत्र में प्रसिद्ध कवि और लेखक श्री दिव्य प्रकाश दुबे ने अभिनेता श्री पीयूष मिश्रा के साथ आकर्षक बातचीत की।

लोक गायक श्री प्रहलाद सिंह टिपानिया ने अपने जीवंत प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने पानी के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सूफी संत कबीर के उद्धरणों को दोहराया। साहित्य उत्सव में सुप्रसिद्ध कवि श्री आलोक श्रीवास्तव एवं श्री नीलोत्पल मृणाल ने गजलों और हिंदी कविताओं के माध्यम से नदी संरक्षण का संदेश दिया। गंगा उत्सव-2021 का दूसरा दिन दीपोत्सव करके संपन्न हुआ।

श्री रोजी अग्रवाल, ईडी (वित्त), एनएमसीजी ने एनएमसीजी की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव दिया। उन्होंने बताया कि पहले दिन 77 से अधिक जिलों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से गंगा उत्सव को मनाया गया। इसमें गंगा बेसिन से बाहर के जिले भी शामिल हैं। उन्होंने मंत्रियों, कलाकारों, दर्शकों और हजारों प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया जो वर्चुअली इस कार्यक्रम में जुड़े। कल कार्यक्रम का समापन केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में होगा।

 

एमजी/एमएम/एके