केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि सीएसआईआर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सहयोग से लद्दाख में आने वाले वसंत के मौसम से सी बकथॉर्न बेरी जिसे “लेह बेरी” के रूप में भी जाना जाता है, की व्यावसायिक खेती शुरू करेगा।

लद्दाख के उपराज्यपाल आर.के. माथुर ने आज केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की  और ठंडे रेगिस्तान के विशिष्ट खाद्य उत्पाद तथा व्यापक उद्यमिता के साथ-साथ आत्म-आजीविका के साधन “लेह बेरी” को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि इस कृषि उत्पाद के मूल्यवर्धन से नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य में क्रांति लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इसके औषधीय गुणों का उल्लेख आठवीं शताब्दी ई. के तिब्बती साहित्य में भी मिलता है। उपराज्यपाल ने श्री सिंह को अवगत कराया कि अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण इस पौधे के फल बहुत ऊंचाई पर तैनात सशस्त्र बल कर्मियों के लिए भी बहुत उपयोगी है।

मंत्री महोदय ने उपराज्यपाल को सूचित किया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सरकार के सहयोग से आने वाले वसंत के मौसम से लद्दाख में सी बकथॉर्न के फल (बेरी) की व्यावसायिक खेती शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर स्थानीय किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए नई कटाई मशीनरी भी विकसित करेगा, क्योंकि वर्तमान में इस वन्य उपज सी बकथॉर्न के फल के लिए काम में लाए जा रहे उपकरणों से केवल 10% ही बेरी निकाली जा रही  है ।

यह भी पढ़ें :   नौसेना कमांडर सम्मेलन 2021/02 का समापन

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैम, जूस, हर्बल चाय, विटामिन सी सप्लीमेंट्स, स्वास्थ्यवर्धक पेय, क्रीम, तेल और साबुन जैसे सी बकथॉर्न के के लगभग 100 उत्पादों की पूरी तरह से जैविक तरीके से खेती, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से स्थानीय उद्यमियों को लाभकारी रोजगार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली यह प्राकृतिक बेरी न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपने औषधीय गुणों एवं महत्व के कारण बहुत लोकप्रिय हो रही है और इसकी मांग बढ़ रही है। श्री सिंह ने बताया कि लद्दाख की प्राचीन स्थानीय अमची चिकित्सा प्रणाली में भी सी बकथॉर्न के फल (बेरी) और इसके उपचारात्मक गुणों पर बहुत अधिक जोर दिया जाता रहा है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उप-राज्यपाल को बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय टीम जल्द ही पश्मीना बकरियों, भेड़ों और याक के लिए जिंक फोर्टिफिकेशन परियोजना का मूल्यांकन करने के लिए लद्दाख का दौरा करेगी, क्योंकि लद्दाख मुख्य रूप से एक पशु-आधारित अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर जीरो-नेट ऊर्जा कार्यक्रम (एनर्जी प्रोग्राम) को सौर ऊर्जा से जोड़कर ऊष्मायन एवं प्रशीतन के लिए भू-तापीय ऊर्जा परियोजना शुरू करने पर विचार कर रहा है ।

यह भी पढ़ें :   महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी कल मुम्बई में पश्चिमी क्षेत्र के छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के ज़ोनल सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगी

लद्दाख के उप-राज्यपाल श्री आर.के.माथुर ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार लेह में सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने के लिए विशेष केंद्र प्रदान करने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 10 अक्टूबर को सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की गई थी।

श्री सिंह ने कहा कि हाल ही में गठित राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के माध्यम से नियोजित सामान्य पात्रता परीक्षा में क्रमशः लेह और कारगिल जिलों में भी एक-एक केंद्र होगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की जांच (स्क्रीनिंग)  / और उन्हें शॉर्टलिस्ट करने के लिए 2022 की शुरुआत से देश भर में एक सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित की जाएगी, जिसके लिए वर्तमान में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) के माध्यम से भर्ती की जाती है। उन्होंने कहा, कि यह न केवल एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा सामाजिक सुधार भी है।

*********

एमजी / एएम / एसटी/वाईबी