स्वच्छ भारत 2.0: नीति आयोग- यूएनडीपी द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के सतत प्रबंधन पर महाराष्ट्र और गोवा में शहरी स्थानीय निकायों के लिए पहली क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

 नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), भारत ने आज मुंबई में स्थायी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए पहली क्षेत्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया।

क्षमता निर्माण कार्यशाला की शुरुआत नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार द्वारा सतत शहरी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर नीति आयोग-यूएनडीपी हैंडबुक के लोकार्पण के बाद हुई। इस हैन्डबुक को पिछले महीने नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, विशेष सचिव डॉ के राजेश्वर राव, और यूएनडीपी इंडिया की भारत में निवासी प्रतिनिधि सुश्री शोको नोडा ने पिछले महीने जारी किया था।

 नीति आयोग में विशेष सचिव डॉ के राजेश्वर राव और यूएनडीपी की डिप्टी रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री नादिया रशीद ने इस कार्यशाला का उद्घाटन किया, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों, शहरी विकास विभागों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के 40 सरकारी अधिकारियों और 100+ से अधिक अधिकारियों ने ऑनलाइन भाग लिया।

इस अवसर पर डॉ. राव ने कहा कि स्वच्छ भारत 2.0 के शुभारम्भ के बाद भारत सरकार अब शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए तैयार है। स्वच्छ भारत के लक्ष्यों को साकार करने के लिए प्लास्टिक कचरे का बेहतर प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। कार्यशाला के माध्यम से हमारा उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों को व्यावहारिक समाधान प्रदान करना है। इस हैंडबुक में विस्तृत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विकेंद्रीकृत मॉडल को विश्व स्तर पर अनुकूलित किया गया है और इसने प्लास्टिक पुनर्चक्रण ( रीसाइक्लिंग ) की क्षमता दिखाई है,”।

उन्होंने आगे कहा कि “महाराष्ट्र और गोवा प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए हमारे सामने कई बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं और हमें यहां अपनी पहली कार्यशाला शुरू करने की खुशी है। इस कार्यशाला से मिली सीख और प्राप्त समाधान आने वाले महीनों में अन्य राज्यों में ऐसी कार्यशालाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे”।

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इस हैंडबुक को संयुक्त रूप से यूएनडीपी इंडिया और नीति आयोग द्वारा प्लास्टिक कचरे के क्षेत्र में प्रतिष्ठ विशेषज्ञों और अग्रणी संगठनों के परामर्श से विकसित किया गया है। हैंडबुक के लिए विचारविमर्श फरवरी 2021 में शुरू हो गए थे। इसके बाद शहरी स्थानीय निकायों, पुनर्चक्रणकर्ताओं, कॉरपोरेट्स, सिविल सोसाइटी संगठनों, शिक्षाविदों सहित 20 से अधिक आभासी हितधारक परामर्श हुए। इसके प्रारूप में 14 भारतीय शहरों और 4 दक्षिण पूर्व एशियाई शहरों को शामिल करते हुए विशेषज्ञ साक्षात्कार, केंद्रित समूह चर्चा और तकनीकी कार्यशालाएं के विवरण शामिल किए गए थे। यह पुस्तिका भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के उन शहरों से सर्वोत्तम प्रथाओं और उदाहरणों को प्रस्तुत करती है जो समान बुनियादी ढांचे और प्लास्टिक कचरे की चुनौतियों का सामना करते हैं।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में यूएनडीपी इंडिया की उप निवासी प्रतिनिधि नादिया रशीद ने कहा कि “यूएनडीपी की प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पहल सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा, अलग और पुनर्चक्रण करके एक स्थायी मॉडल को बढ़ावा देती है। इससे यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सफाई साथियों उनके काम के लिए पहचान कर उचित मानदेय भी दिया जाए। ये कार्यशालाएं स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शहरों में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक स्थायी मॉडल को दोहराने और उसे बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। हमें इस प्रयास में भारत सरकार, नीति आयोग और शहरी स्थानीय निकायों के साथ मिलकर काम करने पर गर्व है ”।

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यह हैंडबुक विकेंद्रीकृत सूखे अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन का विवरण देती है। देश में विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल हैं, और उनमे से यूएनडीपी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम, यूएलबी  जैसे कुछ महत्वपूर्ण प्रतिदर्शों को चरण-दर-चरण तरीके से प्रक्रिया को समझने में मदद करने के लिए यहां पर उधृत कर लिया गया है। हैंडबुक में विभिन्न वित्तीय मॉडलों का भी विवरण दिया गया है जिन्हें आर्थिक समावेशन और कचरा बीनने वालों की आजीविका बढ़ाने के लिए अपनाया जा सकता है।

 कार्यशाला में अपने सम्बोधन में बृहन्मुंबई नगर निगम के अतिरिक्त नगर आयुक्त श्री सुरेश काकानी ने कहा कि ” मुंबई जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में उच्च स्थान पर है। टिकाऊ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। मुंबई जलवायु कार्य योजना जलवायु-अनुरूप शमन और अनुकूलन विकसित करने के लिए पहले से ही अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है। हम लोग प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए यूएनडीपी जैसे भागीदारों के साथ पहले से ही ऐसे काम कर रहे हैं जो कचरे के स्थायी निपटान में मदद करने के साथ ही नए प्रतिमान गढ़ेंगे और, और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों  को कम करने में सहायक बनेंगे। हम इस कार्यशाला महाराष्ट्र के शहरी स्थानीय निकायों को सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए और एक मंच प्रदान करने के लिए नीति आयोग के आभारी हैं”।

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