एआरसीआई ने लिथियम-आयन बैटरी तकनीक निर्माण के स्वदेशीकरण का समर्थन करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये

तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के प्रयास में जल्द हीबेंगलुरु में लीथियम-आयन बैटरी के लिए एक फैब्रिकेशन प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केन्द्र इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) और एनश्योर रिलायबल पावर सॉल्यूशन बैंग्लुरु ने 25 नवंबर, 2021 को लीथियम-आयन बैटरी फैब्रिकेशन लैब स्थापित करने के लिये तकनीकी जानकारी के हस्तांतरण और कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।

तकनीकी जानकारी का हस्तांतरण ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ या ‘सेल्फ रिलाइन्ट इंडिया मिशन’ के अनुरूप अल्टरनेटिव एनर्जी मेटिरियल्स एंड सिस्टम्स पर टेक्निकल रिसर्च सेंटर के अंतर्गत सेंटर फॉर ऑटोमोटिव एनर्जी मेटिरियल्स के द्वारा इलेक्ट्रिक स्कूटर और सोलर स्ट्रीट लैंप में इसके सफल प्रदर्शन और लीथियम-आयन बैटरी प्रक्रिया को तैयार करने के लिये विशेषज्ञता को विकसित करने के आधार पर होगा।

एआरसीआई गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा कि एआरसीआई और एनश्योर रिलायबल पावर सॉल्यूशंस के बीच साझेदारी जलवायु परिवर्तन और कार्बन फुटप्रिंट से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने मजबूत बनने के स्रोत के रूप में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास की आवश्यकता पर बल दिया और तकनीकों को उच्च टीआरएल तक ले जाने के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और उद्योगों के बीच साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सक्षम मानव संसाधनों की आवश्यकता, इनोवेशन इकोसिस्टम में हितधारकों के पूरक संसाधनों का लाभ उठाने के लिए कई प्रारूपों और प्रौद्योगिकी उन्नयन और व्यावसायीकरण के लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह का इकोसिस्टम कैसे विकसित हो, इसके लिए एआरसीआई-एनश्योर समझौता एक रोल मॉडल हो सकता है। 

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एआरसीआई के पूर्व निदेशक डॉ. जी सुंदरराजन ने जोर देकर कहा, “एआरसीआई जैसी शोध एवं विकास प्रयोगशालाओं को लिथियम-आयन बैटरी तकनीक से आगे देखना चाहिये और अन्य वैकल्पिक ऊर्जा सामग्री को शामिल करने वाली तकनीकों का विकास करना चाहिये।”

“इलेक्ट्रोड सामग्री की लागत का लीथियम आयन बैटरी की कुल लागत में बड़ा योगदान होता है, और चूंकि भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिए स्वदेशी रूप से एक प्रौद्योगिकी विकसित करना और लीथियम आयन बैटरी की प्रौद्योगिकी में औद्योगिक संगठनों का समर्थन करना आवश्यक हो गया है,” डॉ टाटा नरसिंग राव, निदेशक, एआरसीआई ने बताया।

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एआरसीआई-चेन्नई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आर गोपालन ने वैकल्पिक ऊर्जा सामग्री और प्रणालियों, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण समाधानों के लिए लीथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी पर तकनीकी अनुसंधान केंद्र स्थापित करने में डीएसटी और एआरसीआई के प्रयासों के बारे में जानकारी दी, और उन्होने कहा कि यह तकनीकी जानकारी का हस्तांतरण एआरसीआई के लिये “आत्मनिर्भर भारत अभियान” की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर है।

सेंटर फॉर ऑटोमोटिव एनर्जी मैटेरियल्स के प्रमुख डॉ. आर. प्रकाश ने लीथियम-आयन बैटरी तकनीक और एआरसीआई द्वारा अपने चेन्नई केंद्र में किये गये कार्यों की जानकारी दी।

एनश्योर रिलायबल पावर सॉल्यूशंस के सीटीओ डॉ. जॉन अल्बर्ट ने लीथियम-आयन सेल निर्माण प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय और भारतीय परिदृश्य के बीच व्यापक अंतर को खत्म करने के लिए उद्योग-शैक्षिक संबंधों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि इस संदर्भ में, एआरसीआई-एनश्योर साझेदारी अहम भूमिका निभाएगी।

डीएसटी से डॉ. एस.के. वार्ष्णेय और डॉ. आर.के. जोशी, डॉ. संजय भारद्वाज, प्रमुख, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, एआरसीआई, और श्री चंद्रकांत और श्री सूर्यकांत, निदेशक, श्री रामचंद्र, व्यापार सलाहकार एनश्योर रिलायबल पावर सॉल्यूशंस ने कार्यक्रम में भाग लिया।

 

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