उत्तर प्रदेश में ही क्यों पूरे देश में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस में कोई चेहरा नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी। अभी 403 में से मात्र 6 सीटें हैं।

उत्तर प्रदेश में ही क्यों पूरे देश में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस में कोई चेहरा नहीं है।
लेकिन सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी। अभी 403 में से मात्र 6 सीटें हैं।
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कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने 21 जनवरी को उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किया। इस अवसर पर एक पत्रकार ने पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश में कांग्रेस आपके (प्रियंका गांधी) चेहरे पर चुनाव लड़ रही है? इस पर प्रियंका ने उल्टा सवाल किया क्या आपको दूसरा चेहरा नजर आ रहा है? पत्रकार ने कहा नहीं। प्रियंका ने कहा कि आपको सवाल का जवाब मिल गया है। यानी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रियंका गांधी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। सवाल सिर्फ उत्तर प्रदेश का नहीं है बल्कि पूरे देश में कांग्रेस के पास राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा कोई चेहरा नहीं है। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम आदि ने आवाज उठाई तो इन्हें भी किनारे कर दिया गया। अब केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेता फ्रंट लाइन में है, जो राहुल-प्रियंका की पालकी उठाकर चल रहे हैं। विपक्ष में भले ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रही हों, लेकिन कांग्रेस में गांधी परिवार के दोनों सदस्यों को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। कहा जा सकता है कि कांग्रेस का नेतृत्व ही राहुल और प्रियंका कर रहे हैं। कोई माने या नहीं, लेकिन 125 वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व गांधी परिवार के आसपास सिमट कर रह गया है। यदि कांग्रेस से गांधी परिवार को अलग कर दिया जाता है तो कांग्रेस का विसर्जन हो जाएगा। देश में कांग्रेस की थोड़ी बहुत स्थिति सिर्फ गांधी परिवार के कारण ही है। राहुल गांधी भले निजी यात्रा पर एक एक माह तक विदेश में रहे, लेकिन कांग्रेस तो उन्हीं के चेहरे से जानी जाएगी। गत लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राहुल गांधी कई बार कह चुके हैं कि वे फिर से अध्यक्ष नहीं बनेंगे। इसे कांग्रेस में गांधी परिवार का दबदबा ही कहा जाएगा कि कांग्रेस का कोई दूसरा नेता अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि पिछले ढाई वर्ष से राहुल गांधी की माताजी श्रीमती सोनिया गांधी को ही कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बना रखा है। पूर्व में भी सोनिया गांधी ने ही राहुल गांधी को अध्यक्ष पद सौंपा था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रयास है कि राहुल गांधी ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाले। गहलोत का मानना है कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद राहुल गांधी फिर से कांग्रेस की कमान संभाल लेंगे। वैसे अध्यक्ष नहीं होते हुए भी राहुल गांधी ही अध्यक्ष की भूमिका में है। राहुल गांधी की पसंद से ही पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने में भी राहुल गांधी की भूमिका रही।
यूपी में कितनी सीटें?
कांग्रेस भले ही प्रियंका गांधी के चेहरे पर चुनाव लड़े, लेकिन सवाल उठता है कि मौजूदा समय में 403 में से कांग्रेस के मात्र 6 विधायक हैं। इस बार गांधी परिवार ने अपने सबसे प्रमुख सदस्य प्रियंका गांधी के चेहरे को उत्तर प्रदेश की जनता के समक्ष रखा है तो देखना होगा कि कांग्रेस के कितने उम्मीदवार चुनाव जीतते हैं। लोकसभा में भी उत्तर प्रदेश से श्रीमती सोनिया गांधी के तौर पर एकमात्र सांसद है। राहुल गांधी खुद अमेठी से चुनाव हार गए। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन यह सही है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में प्रियंका गांधी ने बहुत मेहनत की है।