वाणिज्य विभाग के व्यापार उपचार महानिदेशालय ( डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ ट्रेड रेमेडीज – डीजीटीआर) ने अप्रैल, 2021 से एंटी-डंपिंग (एडी)/प्रतिकारी शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटीज) (सीवीडी)/सेफगार्ड (एसजी) जांच में 56 अंतिम निष्कर्ष जारी किए

वाणिज्य विभाग के व्यापार उपचार महानिदेशालय (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ ट्रेड रेमेडीज- डीजीटीआर) ने अप्रैल, 2021 से एंटी-डंपिंग(एडी)/प्रतिकारी शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटीज) (सीवीडी)/सेफगार्ड (एसजी) जांच में 56 अंतिम निष्कर्ष जारी किएI अप्रैल, 2021 के बाद से 35 और जांचें शुरू की गई हैं तथा कई अन्य की प्रक्रियाओं पर काम चल रहा हैI

यह उल्लेखनीय है कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जो वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में कार्यरत है। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ ट्रेड रेमेडीज – डीजीटीआर) विदेशों में उत्पादकों / निर्यातकों द्वारा अपनाई गई अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ एक निगरानी के रूप में कार्य करता है और इसका उद्देश्य भारतीय उद्योग के लिए सामान अवसर उपलब्ध कराना है। डीजीटीआर जिन अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ कार्य करता है, वे डंप किए गए आयात या सब्सिडी वाले आयात या आयात के रूप में हैं जो वर्तमान एंटी-डंपिंग (एडी)/प्रतिकारी शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटीज) को दरकिनार करते हैं। डीजीटीआर घरेलू उद्योग को भारतीय उद्योग को नुकसान पहुंचाने वाले आयात में वृद्धि से भी बचाता है।

डीजीटीआर का कार्य उन भारतीय घरेलू उत्पादकों द्वारा दायर की गई शिकायत की विस्तृत जांच करना है जिन्हें विदेशी उत्पादकों / निर्यातकों द्वारा अपनाई गई अनुचित व्यापार प्रथाओं से कथित रूप से क्षति हुई है और फिर यह निर्णय लेना हैं कि शुल्क लगाने की सिफारिश की जाए या नहीं। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) द्वारा अनुशंसित शुल्क लगाने के संबंध में अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लिया जाता है।

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एक जांच शुरू करने के लिए आवेदन आम तौर पर घरेलू उद्योग द्वारा दायर किया जाता है, जिसके बाद डीजीटीआर जांच शुरू करता है और सभी हितधारकों – घरेलू उद्योग, विदेशी उत्पादकों, निर्यातकों, आयातकों, उपयोगकर्ताओं तथा उनके संघों को इस जांच में शामिल होने के लिए बुलाता है। इसके बाद व्यापार उपचार महानिदेशालय घरेलू उद्योग के आरोपों की जांच के लिए प्रत्येक हितधारक से साक्ष्य एकत्र करता है। हितधारकों के तथ्यों, आंकड़ों और कानूनी प्रस्तुतियों की विस्तृत जांच के बाद ही डीजीटीआर शुल्क की सिफारिश के संबंध में निष्कर्ष पर पहुंचता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि क्या घरेलू निर्माताओं को डंप या आयात सब्सिडी वाली सामग्री से किसी क्षति का खतरा है अथवा इससे किसी प्रकार की वास्तविक क्षति हुई भी या नहीं।

सभी प्रकार की जांचों को 12 महीने के भीतर पूरा करना होता है। इस अवधि को 18 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। यद्यपि डीजीटीआर द्वारा जांच को पूरा करने के औसत समय को लगातार कम किया गया है और अब आमतौर पर घरेलू उद्योग को तेजी से राहत सुनिश्चित करने के लिए 5 -7 महीनों के भीतर अधिकांश जांच पूरी करने का प्रयास किया जाता है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म के अधिक से अधिक उपयोग, आवेदन प्रारूपों के सरलीकरण, अनुलग्नकों और प्रश्नावली के माध्यम से निदेशालय द्वारा अपनी प्रक्रियाओं और कार्यवाहियों में कई सुधार किए गए हैं और व्यापार उपचार जांच आयोजित करने में स्व-प्रमाणन की शुरूआत की गई है।

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इन उपायों से भौतिक इंटरफेस की आवश्यकता को कम किया जा सकेगा और तीव्र गति, दक्षता एवं पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा तथा हितधारकों पर अनुपालन बोझ को काफी हद तक कम करके व्यापार सुविधा के एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकेगी ।

हाल ही में छोटे उद्योगों के लिए नमूनाकरण प्रक्रिया शुरू करने से घरेलू उद्योग के ऐसे खंड के लिए अनुपालन का बोझ बहुत कम हो जाएगाऔर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा अलग-अलग हिस्सों में विभक्त उद्योग को व्यापार उपचार उपकरणों के बढ़े हुए लाभ की सुविधा प्राप्त हो सकेगी ।

एंटी-डंपिंग, प्रतिकारी एवं संरक्षण नियमों में संशोधन के लिए भी पहल की गई है। अपवंचन विरोधी प्रावधानों (एंटी – सरकमवेंशन प्रोविजन्स) को मजबूत किया गया है और अवशोषण विरोधी प्रावधान (एंटी- ऐब्जोर्प्शन प्रोविजन्स) पेश किए गए हैं।

व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) द्वारा अनुशंसित शुल्कों का कई भारतीय उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जो भारतीय उद्योग इस शुल्क से लाभान्वित हुए हैं, वे अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, अधिक निवेश आकर्षित करने और अधिक रोजगार पैदा करने में सक्षम हैं।

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