सबसे बड़ा जनजातीय मेला मेदाराम जतारा पारंपरिक उत्साह और जोश के साथ मनाया गया

देश का सबसे बड़ा चार दिवसीय जनजातीय मेला सम्माक्का सरलम्मा जतारा पारंपरिक उत्साह और जोश के साथ मनाए जाने के बाद कल संपन्न हो गया। इसे जनजातीय समुदायों के सबसे बड़े मेलों में से एक माना जाता है। इस वर्ष यह ऐतिहासिक त्यौहार 16 फरवरी, 2022 को हजारों भक्तों की भागीदारी के साथ तेलंगाना के मुलुगु जिले के मेदाराम गांव में ऐतिहासिक उत्सव आरंभ हुआ। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, जनजातीय पुजारियों ने चिलकालगुट्टा जंगल और मेदारम गांव में विशेष पूजा की। भक्त जनजातीय देवताओं की पूजा करते हुए सड़क की परिक्रमा करते रहे और देवी-देवताओं को गुड़ चढ़ाने के लिए नंगे पांव चलते रहे।

केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने जारी सम्मक्का-सरलम्मा मेदारम जतारा का दौरा किया और देवी सम्मक्का और सरलम्मा की पूजा की। केंद्रीय मंत्री के साथ जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह भी थीं।

अपनी यात्रा के दौरान, श्री जी किशन रेड्डी ने परंपरा के अनुसार, अपने वजन के बराबर गुड़, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘बंगाराम’ (सोना) के रूप में भी जाना जाता है, की भेंट चढ़ाई। उन्होंने कहा, “मैं भारत के लोगों के लिए सम्मक्का और सरलम्मा अम्मावारुलु का आशीर्वाद चाहता हूं। यह त्यौहार और भक्तों की मण्डली भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचार का उदाहरण है। सम्मक्का और सरक्का का जीवन और अन्याय तथा अत्याचार के विरूद्ध उनकी लड़ाई हम सभी को प्रेरित करती है और यह अनुकरण योग्य है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सम्मक्का सरलम्मा मेदाराम जतारा विश्व के सबसे बड़े जनजातीय त्यौहारों में से एक है और सरकार इसे हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। हाल ही में, भारत सरकार ने इस त्योहार को मनाने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के माध्यम से कुल 2.5 करोड़ रुपये जारी किए। 2014 के बाद से भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने आतिथ्य योजना सहित घरेलू प्रचार और प्रचार के तहत तेलंगाना राज्य में कई त्योहारों को मनाने के लिए 2.45 करोड़ जारी किए हैं।

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Sought blessings of Sammakka and Saralamma Ammavaarulu 🙏🏻Offered ‘Bangaram’ (jaggery) at four-day biennial Sammakka-Sarakka Jatara, known to be the Kumbhmela of the south, at #Medaram village in #Telangana today. pic.twitter.com/7SBoEMXfzt

The congregation of the devotees exemplifies the cultural values and ethos of India.The lives & works of Sammakka & Sarakka are ever inspiring & their fight against injustices & tyranny is worth emulating. pic.twitter.com/wLMRbWjpXl

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मेदाराम जतारा जनजातीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। स्वदेश दर्शन योजना के एक हिस्से के रूप में, पर्यटन मंत्रालय ने मुलुगु, लकनावरम, मेदावरम, तड़वई, दमरवी, मल्लूर और बोगाथा जलप्रपातों के जनजातीय सर्किट को विकसित करने के लिए परियोजनाएं शुरू की और मेदाराम में एक अतिथि गृह का निर्माण किया। भारत सरकार ने तेलंगाना में जनजातीय सर्किट के लिए लगभग 80 करोड़ रुपये मंजूर किए और इसमें पर्यटक सुविधा केंद्र, एम्फीथिएटर, सार्वजनिक सुविधा सुविधाएं, कॉटेज, टेंट आवास, गज़ेबो, बैठने की बेंच, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना, सौर लाइट, मेदारम में भू-दृश्य निर्माण तथा पीने के पानी के फव्वारे का निर्माण शामिल हैं। मुलुगु में 45 करोड़ रुपये की लागत से जनजातीय विश्वविद्यालय के निर्माण का काम शुरू हो गया है और इसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।”

పెద్ద ఎత్తున భక్తులు పాల్గొనే ఈ పండుగ భారతదేశ సాంస్కృతిక విలువలను, సాంప్రదాయాలను తెలియజేస్తుంది.సమ్మక్క, సారక్కల జీవితాలు, అన్యాయాలకు, దౌర్జన్యాలకు వ్యతిరేకంగా వారు సాగించిన పోరాటాలు ఎప్పటికీ స్ఫూర్తిదాయకంగా నిలుస్తాయి, ఆచరించదగినవిగా ఉంటాయి. pic.twitter.com/ePcuFIF7jw

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దక్షిణాది కుంభమేళా గా ప్రసిద్ధిగాంచిన తెలంగాణ రాష్ట్రంలోని మేడారం గ్రామం నందు రెండు సంవత్సరాలకు ఒకసారి నాలుగు రోజుల పాటు జరిగే సమ్మక్క-సారలమ్మ జాతరలో నేడు కుటుంబ సమేతంగా పాల్గొని బంగారాన్ని (బెల్లం) సమర్పించి, సమ్మక్క & సారలమ్మ అమ్మవార్ల ఆశీస్సులు అందుకోవడం జరిగింది. pic.twitter.com/w4vkBbAEdJ

केंद्रीय मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “हम जनजातीय समुदाय के योगदान को स्वीकार करने, जिन्हें वर्षों से भुला दिया गया है, उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में काम करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि 705 जनजातीय समुदायों, जो हमारी जनसंख्या के लगभग 10 प्रतिशत हैं, की विरासत, संस्कृति और मूल्यों की सही पहचान दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।”

इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा, “जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, भारत सरकार प्रगतिशील भारत और इसके लोगों, संस्कृतियों और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के समारोह के 75 वर्ष का स्मरण कर रही है।” हाल ही में हमने महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया। कोमारामा भीम, रामजी गोंड और अल्लूरी सीताराम राजू जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, जो अब तक हमारे स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक रहे हैं, की विरासत का सम्मान करने के लिए देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लगभग 85 विद्रोहों में भाग लेने वाले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को पहचानने के लिए हम देश भर में 10 जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण कर रहे हैं। इसमें प्रत्येक को 15 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता के साथ तेलंगाना में रामजी गोंड जनजातीय आदिवासी संग्रहालय और आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू जनजातीय संग्रहालय का निर्माण शामिल है। ये हमारे वीर जनजातीय योद्धाओं के योगदान को प्रदर्शित करेंगे जिन्होंने अंग्रेजों के दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

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